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Author Topic: जब सिद्दीकी को अक्ल आयी (Real Story Shri Sai Baba Ji with mp3 Voiceover)  (Read 2341 times)

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इसी प्रकार एक मुसलमान सिद्दीकी की बड़ी इच्छा थी कि किसी तरह वह मुसलमानों के पवित्र तीर्थ मक्का-मदीना कीई यात्रा पर जाए| पर, उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी न थी कि वह हज के लिए पैसा इकट्ठा कर पाता| फिर भी वह इच्छा कर रहा था| वह प्रतिदिन द्वारिकामाई मस्जिद में पौधों को पानी देता था| साईं बाबा की धूनी के लिए भी जंगल से लकड़ियां काटकर लाता था| इस आशा से कि कभी साईं बाबा की उस पर कृपा हो जाए और वह हज की मुराद पूरी कर दें|

एक दिन सिद्दीकी द्वारिकामाई मस्जिद के फर्श को पानी से धो रहा था कि अचानक साईं बाबा आ गए| साफ-सुथरा फर्श देखा, तो हंसकर बोले - "फर्श की सफाई करने में तुम बहुत ही माहिर हो| तुम्हें तो काबा में होना चाहिए था|"

"मेरा ऐसा नसीब कहां|" सिद्दीकी ने साईं बाबा के चरण छूते हुए कातर स्वर में कहा|

"चिंता न करो सिद्दीकी| तुम काबा अवश्य ही जाओगे| बस समय का इंतजार करो|" -साईं बाबा ने सिद्दीकी के सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा|

उस दिन से सिद्दीकी काबा जाने का सपना देखने लगा| सोते-जागते, उठते-बैठते उसे हर समय दिखाई देता कि वह काबे में है|

सिद्दीकी की छोटी-सी दुकान थी| जो सामान्य ढंग से चलती थी| पर साईं बाबा के आशीर्वाद से उसी दिन से दुकान पर ग्राहकों की भीड़ आश्चर्यजनक ढंग से आने लगी और कुछ ही महीनों में उसके पास हज यात्रा पर जाने के लायक रुपये इकट्ठा हो गये|

फिर क्या था, वह मक्का-मदीना शरीफ की ओर चल पड़ा| कुछ महीनों बाद सिद्दीकी हज कर लौट आया| अब वह हाजी सिद्दीकी कहलाने लगा| लोग उसे बड़े आदर-सम्मान के साथ हाजी जी कहकर बुलाते थे|

सिद्दीकी को हज से आने के बाद अहंकार हो गया था| कई दिन बीत गए वह साईं बाबा के पास भी नहीं गया और द्वारिकामाई मस्जिद भी नहीं गया|

एक दिन बाबा ने अपने शिष्यों से कहा - "हाजी दिखलायी दे तो उससे कह देना कि इस मस्जिद में कभी न आए|"

इस बात को सुनकर शिष्य परेशान हो गये कि साईं बाबा ने आज तक किसी को भी मस्जिद में आने से नहीं रोका| केवल हाजी सिद्दीकी के लिए ही ऐसा क्यों कहा है ?

हाजी सिद्दीकी को साईं बाबा की बात बता दी गई| साईं बाबा की सुनकर हाजी सिद्दीकी को बहुत दुःख हुआ| हज से लौटने के बाद उसने साईं बाबा के पास न जाकर बहुत बड़ी भूल की है| उन्हीं की कृपा से तो उसे हज यात्रा नसीब हुई थी| वह मन-ही-मन बहुत घबरा गया| साईं बाबा का नाराज होना, उसके मन में घबराहट पैदा करने लगा| किसी अनिष्ट की आशंका से वह रह-रहकर भयभीत होने लगा|

उसने निश्चय किया कि वह साईं बाबा से मिलने के लिये अवश्य ही जायेगा| साईं बाबा नाराज हैं| उनकी नाराजगी दूर करना मेरे लिए बहुत जरूरी है|

सिद्दीकी ने हिम्मत की और वह द्वारिकामाई मस्जिद की ओर चल पड़ा|

हाजी सिद्दीकी ने डरते-सहमते मस्जिद में कदम रखा| हाजी को देखते ही बाबा को क्रोध आ गया| साईं बाबा का क्रोध देखकर वह कांप उठा| साईं बाबा ने घूरकर उसे देखा| हाजी बुरी तरह से थर्राह गया| फिर भी वह साहस बटोरकर डरते-डरते पास गया और साईं बाबा के चरणों पर गिर पड़ा|

"सिद्दीकी तुम हज कर आए, लेकिन क्या तुम जानते हो कि हाजी का मतलब क्या होता है ?" साईं बाबा ने क्रोधभरे स्वर में पूछा|

"नहीं बाबा ! मैं तो अनपढ़ जाहिल हूं|" हाजी सिद्दीकी ने दोनों हाथ जोड़कर बड़े विनम्र स्वर में कहा|

"हाजी का मतलब होता है, त्यागी| तुममें त्याग की भावना है ही नहीं ? हज के बाद तुममें विनम्रता पैदा होने चाहिए थी, बल्कि अहंकार पैदा हो गया है| तुम अपने आपको बहुत ऊंचा और महान् समझने लगे| हज करने के बाद भी जिस व्यक्ति का मन स्वार्थ और अहंकार में डूबा रहता है, वह कभी हाजी नहीं हो सकता|"

"मुझे क्षमा कर दो साईं बाबा ! मुझसे गलती हो गयी|" हाजी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा और वह बाबा के पैरों से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा| वह मन-ही-मन पश्चात्ताप कर रहा था| उसकी आँखें भर आयी थीं| साईं बाबा के पास आकर उसने अपनी गलती स्वीकार का ली थी|

"सुनो हाजी, याद रखो कि इस दुनिया को बनाने वाला एक ही खुदा या परमात्मा है| इस दुनिया में रहने वाले सब इंसान, पशु-पक्षी उसी के बनाए हुए हैं| पेड़-पौधे, पहाड़, नदियां उसी की कारीगरी का एक नायाब नमूना हैं| यदि हम किसी को अपने से छोटा या नीचा समझते हैं, तो हम उस खुदा की बेअदबी करते हैं|"

साईं बाबा ने हाजी से कहा - "यदि तुमने अपना ख्याल या नजरिया न बदला तो हज करना बेकार है| खुदा की इबादत करते हैं हम| इबादत का मतलब यही है कि हर मजहब और हरेक इंसान को अपने बराबर समझो|"

हाजी सिद्दीकी ने साईं बाबा के चरणों पर सिर रख दिया और बोला - "साईं बाबा ! मुझे माफ कर दीजिये, आगे से आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा|"


Source: http://spiritualworld.co.in/an-introduction-to-shirdi-wale-shri-sai-baba-ji-shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-baba-ji-ki-lilaye/1570-sai-baba-ji-real-story-jab-sidhagi-ko-akal-aai.html
« Last Edit: May 28, 2012, 06:48:23 AM by spiritualworld »
Love one another and help others to rise to the higher levels, simply by pouring out love. Love is infectious and the greatest healing energy. -- Shri Sai Baba Ji

 


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