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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: spiritualworld on May 28, 2012, 06:23:27 AM

Title: बाबा की आज्ञा का पालन अवश्य हो (Real Story Shri Sai Baba Ji with mp3 audio)
Post by: spiritualworld on May 28, 2012, 06:23:27 AM
[youtube=480,360]http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=6M3f9T8tNg0[/youtube]


रहाता शिरडी की दक्षिण दिशा और नीम गांव उत्तर दिशा में बसा हुआ था| इन दोनों गांवों के मध्य में बसा था शिरडी| पर साईं बाबा अपाने पूरे जीवनकाल में इन दोनों गांव के बाहर कभी नहीं गए| न ही बाबा न रेलगाड़ी देखी थी और न ही उसमें कभी सफर ही किया था| फिर भी साईं बाबा को शिरडी से जाने वाली रेलगाड़ी के सही समय की जानकारी रहती थी|

बाबा शिरडी आने वाले प्रत्येक भक्त को सही मार्ग बड़े प्यार से दिखाते, उसके संकट से उसे मुक्ति दिलाते| जो बाबा का कहना मानता वह हर समय सुरक्षित रहता और जा बाबा के कहने को नहीं मानता वह स्वयं ही संकटों में घिर जाता| शिरडी की एक विशेषता यह थी, कि जो भी शिरडी आता, वह बाबा की मर्जी से ही आता और लौटता भी बाबा की मर्जी से ही| यदि कोई बाबा से वापस जाने की आज्ञा मांगता तो बाबा बड़े सहज भाव से कहते - 'अरे ! ठहर जरा! दाल-रोटी खाकर जाना|' यदि बाबा की आज्ञा को न मानकर जल्दबाजी में ऐसे ही निकलता तो गाड़ी भी छूटती और खाना भी नसीब न होता तथा बाबा की आज्ञा की अवहेलना करने पर कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता|

एक बार की बात है तात्या कोते पाटिल बाजार जाने के लिए घर से चला और मस्जिद के पास तांगा रोककर बाबा के चरण स्पर्श किये और फिर बाबा से निवेदन किया कि - "बाबा मैं कोपर गांव के बाजार जा रहा हूं, आज्ञा दें|"बाबा ने कहा - "तात्या ! आज गांव मत छोड़ो, बाजार रहने दो|" लेकिन तात्या नहीं माना| फिर उसकी जिद्द को देखते हुए बाबा बोले - "अच्छा ! अगर जा ही रहा है तो अपने साथ शामा को भी ले जा|"

पर तात्या कोते ने बाबा की बात सुनी-अनसुनी कर तांगे पर सवार होकर अकेला ही चल दिया| उस तांगे में एक तेज दौड़ने वाला घोड़ा भी था जो बड़ा चंचल था| शिरडी से तीन मील आगे सांवली विहार गांव के पास पहुंचते ही वह घोड़ा बड़ी तेजी के साथ उल्टी-सीधी दौड़ लगाने लगा| परिणाम यह हुआ कि घोड़े की कमर में मोच आ जाने से घोड़ा जमीन पर गिर पड़ा तथा तांगे का नुकसान भी बहुत हो गया| तात्या कोते को चोट तो नहीं लगी, पर साईं बाबा द्वारा आज्ञा ने देने की बात उसे अवश्य याद आ गयी|

तात्या कोते ने एक बार पहले भी साईं बाबा की आज्ञा का उल्लंघन किया था| जब वह तांगे से कोल्हर गांव जा रहा था और घोड़ा बेकाबू होकर बबूल के पेड़ से जा टकराया था| तांगा टूट गया था| घटना जानलेवा थी पर बाबा की कृपा से ही वह बाल-बाल बच गया था| इसके बाद तात्या ने फिर कभी भी बाबा की बात नहीं टाली|















Source: http://spiritualworld.co.in/an-introduction-to-shirdi-wale-shri-sai-baba-ji-shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-baba-ji-ki-lilaye/1595-sai-baba-ji-real-story-baba-ki-aagya-ka-palan-avshye-ho.html
Title: Re: बाबा की आज्ञा का पालन अवश्य हो (Real Story Shri Sai Baba Ji with mp3 audio)
Post by: Pearl India on May 28, 2012, 07:19:44 AM
OM SAI RAM

Thanks for sharing this beautiful series of events.
Its true even now,that if we do not,for any reason follow Baba's commands,some or the other calamity befalls us.His simple words which seem so casual utterances but are really not,only if we are able to understand them,they hold our welfare always.

OM SAI MA
Title: Re: बाबा की आज्ञा का पालन अवश्य हो (Real Story Shri Sai Baba Ji with mp3 audio)
Post by: spiritualworld on May 29, 2012, 12:31:00 AM
OM Sai Ram Suhani Ji... Thanks for your motivating comment... ... .

OM SAI RAM