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95 वर्षीय वृद्ध मौलीबुवा विठोवा के परमभक्त थे| वे पंढरी के बारकरी में थे| मौलीबुवा पूरे वर्षभर में 8 महीने वे पंढरपुर रहते थे और 4 महीने यानी आषाढ़ से कार्तिक मास तक गंगा के किनारे रहा करते थे| मौलीबुवा का यह नियम था कि वे प्रत्येक वर्ष सवारी लेकर पंढरपुर जाया करते थे और वहां से वापस लौटते समय साईं बाबा के दर्शन करने के लिए शिरडी भी अवश्य जाया करते थे| सवारी के नाम पर उनके पास एक गधा था जिस पर वे अपना सामान रखा करते थे और एक शिष्य भी उनकी सेवा करने के लिये सदैव उनके साथ रहा करता था|
साईं बाबा के प्रति मौलीबुवा के मन में गहन श्रद्धा और विश्वास था| एक बार शिरडी में जब बाबा के दर्शन करने आये तो बाबा को एकटक देखते हुए अचानक ही कहने लगे, ये तो पंढरीनाथ हैं, ये विठ्ठल के अवतार हैं| वही विठ्ठल जो अनाथों के नाथ, दीनदयालु और दिनों के स्वामी हैं|
मौलीबुवा ने पंढरी यात्रा के बाद कई बार साईं बाबा में पंढरीनाथ के दर्शन किये थे| इसके अलावा मौलीबुवा के अतिरिक्त भी अन्य भक्तों ने साईं बाबा में अपने-अपने ईष्टदेव के दर्शन किये थे| इससे यही सिद्ध होता है कि साईं बाबा दत्तात्रेय के अवतार हैं|
Source: http://spiritualworld.co.in/an-introduction-to-shirdi-wale-shri-sai-baba-ji-shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-baba-ji-ki-lilaye/1583-sai-baba-ji-real-story-molibuva-ki-katha.html