DwarkaMai - Sai Baba Forum

Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: spiritualworld on March 01, 2012, 07:33:21 PM

Title: रोहिला के प्रति प्रेम (Real Story Shri Sai Baba Ji with mp3 audio)
Post by: spiritualworld on March 01, 2012, 07:33:21 PM
[youtube=480,360]http://www.youtube.com/watch?v=AOTlu5s-AOg[/youtube]


साईं बाबा का प्रेम सभी लोगों के प्रति एकसमान था| बाबा सभी वर्णों के लोगों से समान रूप से प्रेम करते थे| बाबा की दृष्टि में ऊंच-नीच, जाति-पाति, छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नहीं थक| सभी एकसमान थे| एक बार रोहिला (मुस्लिम) फकीर शिरडी में आया| वहां वह बाबा के साथ द्वारिकामाई मस्जिद में ठहरा था| वह सदैव साईं बाबा के साथ रहता था| रोहिला लम्बे-चौड़े और गठे हुए शरीर का व्यक्ति था| साईं बाबा के प्रति उसके मन में बहुत श्रद्धा-भाव था| वह पवित्र कुरान के कलमें दिन-रात बड़ी ऊंची आवाज में पढ़ता और 'अल्लाहो-अकबर' के नारे लगाया करता था|

साईं बाबा का उस फकीर के प्रति प्यार और सहनशीलता ऐसी थी कि उस फकीर का कर्कश आवाज में चिल्लाना शिरडी के लोगों के लिए बहुत ही तकलीफदेह था, परन्तु साईं बाबा न उसे कुछ कहते, न रोकते| रोहिला की आवाज के कारण दिन भर मेहनत करके थके-हारे शिरडी वालों की नींद में खलल पड़ती थी| उनका रात को सोना दूभर हो गया था| कई दिनों तक वे चुपचाप रहकर सब कुछ सहते रहे| पर जब स्थिति असहनीय हो गयी तो वे सब लोग इकट्ठा होकर साईं बाबा के रोहिला के चिल्लाने के बारे में शिकायत कर दी|

लेकिन साईं बाबा ने उनकी बात को नजरअंदाज करते हुए आड़े हाथों लिया| बाबा बोले, तुम लोग रोहिला पर क्यों ध्यान देते हो, सिर्फ अपने काम पर ध्यान दो| उसे अपना काम करने दो|

फिर बाबा उन्हें समझते हुए कहते हैं कि रोहिला की पत्नी का स्वभाव अच्छा नहीं है| वह बहुत बेशर्म है| वह रोहिला को ही नहीं बल्कि मुझे भी कष्ट देती रहती है| इसलिए वह जोर-जोर से चिल्लाता है तो उसके पास नहीं आती| यदि वह चिल्लाना छोड़ दे तो वह उसे तो सतायेगी ही, और मुझे भी सतायेगी| यह उसका मुझ पर एहसान नहीं है| जब वह थक जायेगा, तब रुक जायेगा| तुम उसे कुछ ना कहो|

वास्तव में रोहिला की कोई पत्नी थी ही नहीं| यहां साईं बाबा का आशय बुरे विचारों के त्याग से था| बाबा का कहने का अर्थ यह था कि नींद ही प्रार्थना-आराधना में बाधा बनती है| जरा-सा बेपरवाह होने पर वह शरीर में प्रवेश कर लेती है| मेरा भक्त जहां पर भी मेरा भजन करता है, मैं सदा वहां पर उपस्थित रहता हूं, ऐसा भगवान का कहना है, इसलिए रोहिला के चिल्लाने का बुरा मत मानो, क्योंकि साईं बाबा भी प्रार्थना-आराधना में बहुत महत्व देते थे|


Source: http://spiritualworld.co.in/an-introduction-to-shirdi-wale-shri-sai-baba-ji-shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-baba-ji-ki-lilaye/1581-sai-baba-ji-real-story-rohilla-ke-prati-prem.html