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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: spiritualworld on December 22, 2011, 09:31:33 PM

Title: सबका रखवाला साईं (Real Story Shri Sai Baba Ji with mp3 audio)
Post by: spiritualworld on December 22, 2011, 09:31:33 PM
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साईं बाबा लोगों को उपदेश भी देते और उनसे विभिन्न धर्मग्रंथों का अध्ययन भी करवाते| साईं बाबा के कहने पर काका साहब दीक्षित दिन में एकनामी भागवत और रात में भावार्थ रामायण पढ़ते थे| उसका यह नियम और समय कभी नहीं चूकता था|

एक दिन काका साहब दीक्षित जब रामायण पाठ कर रहे थे तब हेमाडंपत भी वहां पर उपस्थित था| वहां उपस्थित सभी श्रोता पूरी तन्मयता के साथ प्रसंग का श्रवण कर रहे थे| हेमाडंपत भी प्रसंग सुनने में पूरी तरह से मग्न थे|

लेकिन तब ही न जाने कहां से एक बिच्छू आकर हेमाडंपत पर आकर गिरा और उनके दायें कंधे पर बैठ गया| हेमाडंपत को इसका पता न चला| कुछ देर बाद जब बाबा की नजर अचानक हेमाडंपत के कंधे पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि बिच्छू उनके कंधे पर मरने जैसी अवस्था में पड़ा था| लेकिन बाबा ने बड़ी शांति के साथ बिच्छू को धोती के दोनों किनारे मिलाकर उसमें लपेटा और दूर जाकर छोड़ आये| बाबा की प्रेरणा से ही वह बिच्छू से बचे और कथा भी बिना बाधा के चलती रही|

इसी तरह एक बार शाम के समय काका साहब दीक्षित बाड़े के ऊपरी हिस्से में बैठे हुए थे| उसी समय एक सांप खिड़की की चौखट से छोटे-से छेद में से होकर अंदर आकर कुंडली मारकर बैठ गया| अंधेरे में तो वह दिखाई नहीं दिया, लेकिन लालटेन की रोशनी में वह स्पष्ट दिखाई पड़ा| वह बैठा हुआ फन हिला रहा था|

तभी कुछ लोग लाठी लेकर वहां दौड़े| उसी हड़बड़ाहट में वह सांप वहां से जान बचाने के लिए उसी छेद में से निकलकर भाग गया| लोगों ने उसके भाग जाने पर चैन की सांस ली| जब सांप भाग गया तो वहां उपस्थित लोग आपस में वाद-विवाद करने लगे| एक भक्त मुक्ताराम का कहना था - "कि अच्छा हुआ जो एक जीव के प्राण जाने से बच गए|" लेकिन हेमाडंपत को गुस्सा आ गया और वे मुक्ताराम का प्रतिरोध करते हुए बोले - "ऐसे खतरनाक जीवों के बारे में दया दिखायेंगे तो यह दुनिया कैसे चलेगी? सांप को तो मार डालना ही अच्छा था|" इस बारे में दोनों में बहुत देर तक बहस होती रही| दोनों ही अपनी-अपनी बातों पर अड़े रहे| आखिर में जब रात काफी हो गयी तो, तब कहीं जाकर बहस रुकी| सब लोग सोने के लिये चले गये|

अगले दिन प्रात: जब सब लोग बाबा के दर्शन करने के लिए मस्जिद में गये, तब बाबा ने पूछा - "कल रात दीक्षित के घर में क्या बहस हो रही थी?" तब हेमाडंपत  ने बाबा को सारी बात बताते हुए पूछा कि सांप को मारा जाये या नहीं? तब बाबा अपना निर्णय सुनाते हुए बोले - "सभी जीवों में ईश्वर का वास है| वह जीव चाहे सांप हो या बिच्छू| ईश्वर ही सबके नियंता हैं| ईश्वर की इच्छा के बिना कोई भी किसी को हानि नहीं पहुंचा सकता| इसलिए सबसे प्यार करना चाहिए| सारा संसार ईश्वर के आधीन है और इस संसार में रहनेवाले किसी का भी अलग अस्तित्व नहीं है| इसलिए सब जीवों पर दया करनी चाहिए| जहां तक संभव हो हिंसा न करें| हिंसा से क्रूरता बढ़ती है| धैर्य रखना चाहिए| अहिंसा में शांति और संतोष होता है| इसलिए शत्रुता त्यागकर शांत मन से जीवन जीना चाहिए| ईश्वर की सबका रक्षक है|" बाबा के इस अनमोल उपदेश को हेमाडंपत कभी नहीं भूले| बाबा ने हेमाडंपत ही नहीं अपने सम्पर्क में आये हजारों लोगों का जीवन सुधारा| वे सन्मार्ग पर चलने लगे|



Source: http://spiritualworld.co.in/an-introduction-to-shirdi-wale-shri-sai-baba-ji-shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-baba-ji-ki-lilaye/1630-sai-baba-ji-real-story-sabka-rakhwala-sai.html