जय सांई राम।।।
हे नटराज ! गंगाधर शंभो भोलेनाथ जय हो !
जय-जय-जय विश्वनाथ जय-जय कैलाशनाथ
हे शिव शंकर तुम्हारी जय हो!
हे दयानिधान ! गौरीनाथ चन्द्रभान अंगभस्म ज्ञानमाल
मैं रहूं सदा शरण तुम्हारी जय हो !
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
जय सांई राम।।।
शिवरात्री के लिए फलाहारी व्यंजन
कल शिवरात्री है और शिवरात्री के बारे में सोचकर बहुत सी यादें ताजा हो आईं हैं मुझे याद आए कुछ अपने बचपन में माँ द्बारा बनाये कुछ विशेष उपवास के व्यंजन!
आप भी आज़मायें अगर समय हो आपके पास। चूंकि मुझे भिन्न भिन्न व्यजंन बनाकर खिलाने का शौक है तो आईये मैं आपको इस दिन से जुड़े कुछ व्यजंनों के बारे में व उन्हें बनाने की विधि बता दूँ ।
आलू के गुटके
आलुओं को छीलकर बड़ा बड़ा काट लें। थोड़ा अदरक बारीक पीस लें। थोड़े अदरक को कद्दूकस कर लें। कटे आलू में अदरक, धनिया पावडर, मिर्च व नमक डाल दें। अब इन्हें अच्छे से मिला लें। एक घंटे तक ऐसे ही रहने दें । आलू में मसाला अच्छे से मिल जाएगा । एक मोटे तले की कड़ाही या पतीले में बघार लायक तेल गरम करें । यदि हींग जीरा उपवास में खाते हैं तो वह डालें अन्यथा ऐसे ही आलू इसमें पलटकर अच्छे से मिला लें । हलकी आँच में नरम होने तक पकाएँ।
मखानों की खीर
मखानों को तोड़कर, ना टूटें तो चाकू से काटकर अन्दर से साफ कर लें । कभी कभी इनके बीच में जाला या कीड़ा हो सकता है । दूध को उबालकर कम आँच पर मखाने डालकर पकने दीजिये । जब दूध काफी गाढ़ा हो जाए तो किशमिश, कटे बादाम व शक्कर डाल दें । ठंडा होने पर यह खीर चौलाई के लड्डू के साथ बहुत अच्छी लगती है ।
समाँ के चावल (उपवास के चावल जो बहुत बारीक व छोटे होते हैं ) की खीर
दूध को उबाल लें । चावल बीनकर धो लें और दूध में डालकर पकने दें । जब यह चावल की खीर सा गाढ़ा हो जाए तो किशमिश, कटे बादाम व शक्कर डालकर ठंडा होने को रख दें ।
समाँ के चावल की फिरनी
चावल धोकर सुखा लैं । अब बारीक पीस लें । दूध उबालकर गाढ़ा होने दें । कस्टर्ड की तरह एक कटोरी में ठंडे दूध में चावल का पावडर मिला लें । अब इस मिश्रण को गरम दूध में डालकर पकाएँ । चावल अच्छे से मिल जाए व दानेदार कस्टर्ड सा बन जाए । चाहें तो अलग अलग कटोरी या मिट्टी के सकोरों में डालकर ठंडा करें । ऊपर से बारीक कटे बादाम डाल दें ।
साबूदाने की खिचड़ी
एक कटोरी साबूदाने को आधा कटोरी से थोड़े कम पानी में भिगोएँ । चार पाँच घंटे भीगने दें । एक कटोरी कच्ची मूँगफली को मोटे तले वाली कड़ाही में कम आँच में बराबर चलाते हुए भून लें । मूँगफली जलनी या काली नहीं होने देनी चाहिये । भुन जाने पर ठंडी होने दें । एक कपड़े पर रखकर इनपर बेलन चलाएँ । छिलके उतर जाने पर सूप या थाली में डाल फटककर छिलके हटा लें । अब इन्हें दरदरा पीस लें । जब साबूदाना भीगकर नरम हो जाए तो उसमें यह पावडर मिला लें । नमक ,मिर्च, अमचूर या चाटमसाला मिला लें । एक कड़ाही में तीन बड़े चम्मच तेल गरम करने रखें, दो तीन सूखी लाल मिर्च बीच में से दो टुकड़े कर तेल में डालकर भून लें । (साबुत मिर्च भूनने से फटकर उड़ती है व चाहरे पर आती है। ) इन्हें बाहर निकाल लें और गरम तेल में सरसों, हींग फोड़ें और साबूदाने का मिश्रण डालकर चलाएँ । बीच बीच में पलटते रहें । ढक्कन ना लगाएँ । करीब दस मिनट में पक जाने पर आग से उतार लें । खाने से पहले भूनी मिर्च डाल दें।
साबूदाने की वड़ियाँ
एक कटोरी साबूदाने का आधा कटोरी से थोड़े कम पानी में भिगोएँ । चार पाँच घंटे भीगने दें । आधा किलो आलू उबालें । गरम आलुओं को ही छील लें । अब इन्हें जब गरम हों तभी कांटे या मैशर से मैश कर लें । ध्यान रहे मैश करें ना कि कचूमर बनाएँ । (चाहे कटलेट के लिये हों या टिक्की या बोंडों के लिए, इन्हें कभी भी चिपचिपा नहीं होने देना चाहिये।) मैश किए आलू में छोटे छोटे से कण दिखने चाहिए। नमक मिर्च मिलाएँ । अब १/4 साबूदाना छोड़कर बाकी को आलू में मिलाएँ । हाथ से गोल गोल टिक्कियाँ बना लें । कड़ाही में तलने के लिए तेल गरम करें । बचे हुए साबूदाने को एक छोटी थाली में बिछा लें । अब हर टिक्की को हलके से बिछाए हुए साबूदाने पर दबाएँ । साबूदाने टिक्की की सतह पर चिपक जाएँगे । तेल गरम होने पर एक टिक्की डालें थोड़ी पक जाए तो दूसरी फिर तीसरी । एक साथ डालने से ये आपस में चिपक जाती हैं । सुनहरा होने पर पेपर नैपकिन पर निकालें । अलग से जो साबूदाना लगाया गया था वह फूलकर वड़ी के ऊपर कुरकुरा व सफेद दिखता है खाने में स्वाद व देखने में सुन्दर भी ।
कहने को ये सब उपवास का भोजन है परन्तु यह आम दिन के भोजन से अधिक गरिष्ठ व कैलोरी वाला हो जाता है । अतः केवल शिवरात्री, जन्माष्टमी जैसे त्यौहारों के लिए उपयुक्त हे आम उपवास के लिए नहीं।
फलों की चाट...
सेब, केले, अमरूद, के छोटे छोटे टुकड़े कर लीजिये । सबको एक बर्तन में डालकर नमक, काला नमक, मिर्च,शक्कर (या शूगर फ्री )मिला दीजिये । नींबू का रस निचोड़ कर अच्छे से मिला लीजिये । अब चाहें तो संतरे का केसर और अंगूर पूरे या काटकर आधे करके डाल दीजिये । फ्रिज में रखिये । दो घंटे बाद काफी रसीला बन जाएगा तब खाइये ।
यदि कोई भी इनमें से कुछ भी बनाए व पसन्द आये तो मुझे बताना ना भूलियेगा।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।