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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: rajender1555 on November 13, 2007, 04:36:54 AM

Title: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: rajender1555 on November 13, 2007, 04:36:54 AM

OM  SHRI SAI NATHAY NAMAH OM  SHRI SAI NATHAY NAMAH
प्राणिमात्र की पीड़ा हरने वाले साई हरदम कहते, 'मैं मानवता की सेवा के लिए ही पैदा हुआ हूं। मेरा उद्देश्य शिरडी को ऐसा स्थल बनाना है, जहां न कोई गरीब होगा, न अमीर, न धनी और न ही निर्धन..।' कोई खाई, कैसी भी दीवार..बाबा की कृपा पाने में बाधा नहीं बनती। बाबा कहते, 'मैं शिरडी में रहता हूं, लेकिन हर श्रद्धालु के दिल में मुझे ढूंढ सकते हो। एक के और सबके। जो श्रद्धा रखता है, वह मुझे अपने पास पाता है।'

साई ने कोई भारी-भरकम बात नहीं कही। वे भी वही बोले, जो हर संत ने कहा है, 'सबको प्यार करो, क्योंकि मैं सब में हूं। अगर तुम पशुओं और सभी मनुष्यों को प्रेम करोगे, तो मुझे पाने में कभी असफल नहीं होगे।' यहां 'मैं' का मतलब साई की स्थूल उपस्थिति से नहीं है। साई तो प्रभु के ही अवतार थे और गुरु भी, जो अंधकार से मुक्ति प्रदान करता है। ईश के प्रति भक्ति और साई गुरु के चरणों में श्रद्धा..यहीं से तो बनता है, इष्ट से सामीप्य का संयोग।

दैन्यता का नाश करने वाले साई ने स्पष्ट कहा था, 'एक बार शिरडी की धरती छू लो, हर कष्ट छूट जाएगा।' बाबा के चमत्कारों की चर्चा बहुत होती है, लेकिन स्वयं साई नश्वर संसार और देह को महत्व नहीं देते थे। भक्तों को उन्होंने सांत्वना दी थी, 'पार्थिव देह न होगी, तब भी तुम मुझे अपने पास पाओगे।'

अहंकार से मुक्ति और संपूर्ण समर्पण के बिना साई नहीं मिलते। कृपापुंज बाबा कहते हैं, 'पहले मेरे पास आओ, खुद को समर्पित करो, फिर देखो..।' वैसे भी, जब तक 'मैं' का व्यर्थ भाव नष्ट नहीं होता, प्रभु की कृपा कहां प्राप्त होती है। साई ने भी चेतावनी दी थी, 'एक बार मेरी ओर देखो, निश्चित-मैं तुम्हारी तरफ देखूंगा।'

1854 में बाबा शिरडी आए और 1918 में देह त्याग दी। चंद दशक में वे सांस्कृतिक-धार्मिक मूल्यों को नई पहचान दे गए। मुस्लिम शासकों के पतन और बर्तानिया हुकूमत की शुरुआत का यह समय सभ्यता के विचलन की वजह बन सकता था, लेकिन साई सांस्कृतिक दूत बनकर सामने आए। जन-जन की पीड़ा हरी और उन्हें जगाया, प्रेरित किया युद्ध के लिए। युद्ध किसी शासन से नहीं, कुरीतियों से, अंधकार से और हर तरह की गुलामी से भी! यह सब कुछ मानवमात्र में असीमित साहस का संचार करने के उपक्रम की तरह था। हिंदू, पारसी, मुस्लिम, ईसाई और सिख..हर धर्म और पंथ के लोगों ने साई को आदर्श बनाया और बेशक-उनकी राह पर चले।

दरअसल, साई प्रकाश पुंज थे, जिन्होंने धर्म व जाति की खाई में गिरने से लोगों को बचाया और एक छत तले इकट्ठा किया। घोर रूढि़वादी समय में अलग-अलग जातियों और वर्गो को सामूहिक प्रार्थना करने और साथ बैठकर 'चिलम' पीने के लिए प्रेरित कर साई ने सामाजिक जागरूकता का भी काम किया। वे दक्षिणा में नकद धनराशि मांगते, ताकि भक्त लोभमुक्त हो सकें। उन्हें चमत्कृत करते, जिससे लोगों की प्रभु के प्रति आस्था दृढ़ हो। आज साई की नश्वर देह भले न हो, लेकिन प्यार बांटने का उनका संदेश असंख्य भक्तों की शिराओं में अब तक दौड़ रहा है।



साईबाबा की दिव्यशक्ति से महातीर्थ बनी शिरडी
शिरडी के साईबाबा आज असंख्य लोगों के आराध्यदेव बन चुके है। उनकी कीर्ति दिन दोगुनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। यद्यपि बाबा के द्वा...


OM SHRI SAI NTHAY NAMAH OM SHRI SAI NTHAY NAMAH

RAJENDERMEHAR@GMAIL.COM
Title: Re: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: priyanka_goel on November 13, 2007, 04:58:01 AM
om shri sai nathay namah

bahut acha baat bataye apne
vaba please rajender ji ki saare problem sort out kar do

om shri sai nathay namah
Title: Re: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: MANAV_NEHA on November 13, 2007, 04:59:27 AM
Sai
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PLZ BABA BLESS URS CHILD
Title: Re: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: Ramesh Ramnani on November 17, 2007, 08:55:47 AM
जय सांई राम।।।

बहुत बढिया राजेंन्द्र भाई। स्वागत है तुम्हारा बाबा सांई के इस मनोरम मन्दिर में।

वाह क्या बात कही अपने बाबा सांई की...."मेरे पास आओ, खुद को समर्पित करो, फिर देखो"....बहुत खूब मेरे दोस्त यही सूत्र है बाबा सांई को अपना बनाने का....'सबको प्यार करो, क्योंकि मैं सब में हूं। अगर तुम पशुओं और सभी मनुष्यों को प्रेम करोगे, तो मुझे पाने में कभी असफल नहीं होगे।'  'एक बार शिरडी की धरती छू लो, हर कष्ट छूट जाएगा।'  कितने सरल सूत्र दिये है ना अपने बाबा सांई ने। है ना?

भाई क्या करते हो?  कँहा रहते हो? थोड़ा अपने बारे मे लिखना।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: rajender1555 on January 19, 2008, 01:59:13 AM
om sai ram
Title: Re: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: Ramesh Ramnani on January 19, 2008, 07:39:06 AM
जय सांई राम।।।

'नानक दुखिया सब संसार'  इस बात पर ध्यान दिया जाए,  तो संसार में कोई भी सुखी नहीं है!  सब दु:खी हैं. सबके अपने-अपने दु:ख हैं! किसी को छोटा दु:ख है, तो किसी को बड़ा दु:ख!  ऑंसू के साथ आने वाले दु:ख अस्थायी होते हैं!  ऐसे दु:ख ऑंसुओं के साथ आते हैं और उसी के साथ चले भी जाते हैं!  ये बार-बार आते हैं और ऑंसुओं के समंदर में डुबकी लगाकर चले भी जाते हैं!  इंसान को सुख से अधिक दु:ख साथ देता है!  सुख एक मेहमान की तरह होता है, आता है और चला भी जाता है!  फिर भी लोग उसी सुख की तलाश में भटकते रहते हैं!  पर जिन्हें उसकी तलाश नहीं होती, वे इसी दु:ख में रहकर भी दूसरों के जीवन में खुशियों के फूल बिखेरते रहते हैं!

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: SAB K DOOKH HARNE WALA
Post by: tana on January 21, 2008, 03:11:25 AM
ॐ साईं राम~~~

नानक दुखिया सब संसार,
सोई सुखी जो नाम आधार~~~

कोई तन दुखी,कोई मन दुखी,
कोई धन से रहे उदास,
थोङे-थोङे सब दुखी,
सुखी,बस साईं-राम का दास~~~

साईं साईं जपे जाओ~~~बाबा सुने गे जरूर और वो करे गे अपना काम~~~

जय साईं राम~~~