जय सांई राम।।।
आया होली का त्यौहार,
बाबा मुझ पर भी रंग डालो।
मैं फेकूँगा क्रोध का रंग,
उस पर करूणा रंग बरसा दो,
फेकूँ जब मद, मत्सर रंग,
तब कृपा-सिन्धु लहरा दो।
झूठ अहं का रंग डालूँ जब,
चरणों की रज से नहला दो,
डालूँ रंग जब मोह-माया का,
दया-क्षमा बरसा दो।
मेरे फीके रंग न रहें,
गहरे अपने रंग दे दो,
अतीत का रंग मिटाकर,
नव रंग, नई उमंग दो।
श्रध्दा और सबूरी से बस,
दो रंगों में जीवन रंग दो,
कोई चाह नही, कोई राह नहीं,
अपनी चाहत का रंग भर दो।
ॐ सांई राम।।।