जय साँई राम।।।
जीवन का रहस्य
जीवन को अनेक अर्थो में निरूपित किया जाता है और विभिन्न प्रसंगों में यह रेखांकित होता रहा है, लेकिन जीवन का वास्तविक भेद क्या है, इस पर मतभेद है। जो प्राणी अपने जीवन को जैसा समझ पाता है वैसा ही उसको जीता है। प्राय: सभी लोग जीवन को अपनी-अपनी समझ के अनुसार समेटते या विस्तार करते हैं। जीवन को क्या करना चाहिए, यह भी समस्या है, लेकिन इस समस्या को हर कोई बनाए रखना चाहता है, इसे सुलझाने वाला कोई बिरला ही पहले पहल जीवन का रहस्य जान पाता है। जीवन का मार्ग ज्ञात न हो, तो उसका रहस्य मालूम नहीं हो सकता, यदि विचार करके देखा जाए तो जीवन का प्रवाह स्वयं से अन्य की ओर होता है। जीव से आत्मा की ओर सर्वथा नैसर्गिक मार्ग है। जीवन तो दूसरों के लिए ही है, अपने लिए नहीं-यह सामाजिक व्याख्या है, लेकिन यह जीवन का रहस्य कदापि नहीं खोलती। जीवन का रहस्य अपने आप में है, अपनी समझ में है। बस जीवन का भोग मात्र अपने लिए भर न हो, दूसरों के लिए भी हो। इसमें भी भेद है। अपनों के लिए न जी कर परायों के लिए जिया जाए। जीवन का मुक्त मार्ग यहीं से खुलता है, इसके रहस्य को पाना आसान नहीं।
जीवन को जीवनदाता बाबा साँई की धरोहर मानकर इसके रहस्य से जो व्यक्ति जितना परिचित हुआ उसे उतना ही फल मिला। ज्ञानियों ने जीवन के भेद को संसार के समक्ष प्रकट किया। जीवन के अंतर्निहित भेदों को जानने की उत्सुकता होनी चाहिए, रहस्यों के भीतर झांकने का साहस चाहिए। जब जिज्ञासा और साहस नहीं रहता तो जीवन नीरस प्रतीत होता है। निराशा से घिरा मनुष्य जीवन के रहस्यों को खोज नहीं पाता, लेकिन इनसे मुँह मोड़कर आत्मघात करना उचित नहीं। मनुष्य के जीवन का उद्देश्य ही है जीवन के रहस्य से पर्दा उठाना, फिर भी वह अंतिम लक्ष्य नहीं है। मैं क्या हूँ, यह रहस्य समझना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। स्वयं का अस्तित्व जीवन के कारण तत्व से आरंभ होना चाहिए, लेकिन यह खोज सांसारिक है। इसके पीछे आत्मा को धारण करने का रहस्य प्राकृतिक विज्ञान से परे है। पराशक्ति का प्रभाव जीवन में स्पंदित है जो अज्ञात नहीं कहा जा सकता। मुझे क्या करना है, यह अगला कदम है।
भक्ति का रास्ता प्रेम की गली से ही गुजरता है। बाबा साँई ने उस प्रेम की गली तक पहुंचने के लिये श्रद्दा और सबूरी के दो पंख हर मानव के लिये उपलब्ध कराऐ हैं, जिसके सहारे हर भक्त बाबा साँई की शिरडी नामक प्रेम की नगरी तक पँहुच सकता है।
ॐ साँई राम।।।