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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: Ramesh Ramnani on February 12, 2007, 02:53:41 AM

Title: सबका मालिक एक: शिरडी के साईबाबा
Post by: Ramesh Ramnani on February 12, 2007, 02:53:41 AM

जय साँई राम।।।

श्रीसच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज को शिरडी के साईबाबा के नाम से आज हर एक व्यक्ति जानता है। विक्रम संवत् 1975 (सन् 1918 ई.) की विजयादशमी के अपराह्नकाल में महासमाधि लेकर यद्यपि साईबाबा ब्रह्मलीन हो गए, लेकिन उनके भक्त उनकी उपस्थिति को आज भी महसूस करते हैं। शिरडी में बाबा के समाधि-मंदिर में पहुंचने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को उनका शुभाशीर्वाद अवश्य मिलता है। साईबाबा के कारण ही महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपर गांव ताल्लुका में स्थित शिरडी नामक स्थान महातीर्थ बनकर सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हो गया है।

 साईनाथ ने शिरडी में एक पुरानी वीरान मसजिद को अपना निवास बनाया। यहां बाबा लगभग 60 साल रहे। साईबाबा की अलौकिक शक्तियों को धीरे-धीरे लोग पहचानने लगे और उनके पास अपनी समस्याओं के समाधान एवं आध्यात्मिक मार्ग-दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंचने लगे। साईनाथ से मिलने वालों में दीन-हीन, साधु-संत, पंडित-विद्वान, सिद्ध-अवधूत, प्रतिष्ठित व्यक्ति, उच्च अधिकारी, राजघरानों के सदस्य आदि सभी प्रकार के लोग होते थे। मस्जिद को बाबा ने द्वारकामाई नाम दिया जहां सबको आश्रय मिला। समाज के सभी वर्ग के लोग साईनाथ के दर्शनार्थ द्वारकामाई आते थे। यहां बाबा का खुला दरबार लगता था। द्वारका शब्द की व्याख्या स्कन्दपुराण में इस प्रकार की गई है-

चतुर्वर्णामपि-वर्गाणां यत्र द्वाराणि सर्वत:।
अतो द्वारावतीत्युक्ता विद्वद्भिस्तत्ववादिभि:॥

इसका भाव यह है कि जिस स्थान के द्वार चारों वर्णो के लोगों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने के लिये सदा खुले रहते हों, विद्वान उसे द्वारका के नाम से पुकारते हैं। द्वारकामाई के संदर्भ में यह व्याख्या पूरी तरह लागू होती है। साईबाबा ने यौगिक शक्ति से वहां अग्नि प्रज्वलित की जिसे निरंतर लकडि़यां डालते हुए आजतक सुरक्षित रखा गया है। भस्म को बाबा ने ऊदी नाम दिया और वे इसे अपने भक्तों को बांटते थे। ऊदी (विभूति) के सेवन से हजारों श्रद्धालु असाध्य रोगों से मुक्त हो चुके हैं। इस ऊदी में विशेष शक्ति आज भी है। भक्तजन बड़ी श्रद्धा से ऊदी को अपने मस्तक पर लगाते हैं तथा सेवन करते हैं। इससे स्वास्थ्य और शान्ति की प्राप्ति होती है। द्वारकामाई के समीप थोड़ी दूर पर वह चावड़ी है जहां बाबा एक दिन छोड़कर विश्राम किया करते थे। साईनाथ के भक्त उन्हें शोभायात्रा के साथ चावड़ी लाते थे। उसकी स्मृति में प्रत्येक गुरुवार के दिन द्वारकामाई से साईबाबा की पालकी चावड़ी जाती है। सन् 1886 ई. में मार्गशीर्ष की पूर्णिमा (दत्तात्रेय-जयंती) के दिन बाबा ने अपने प्राण ब्रह्माण्ड में चढ़ाकर त्रिदिवसीय समाधि ली थी। इससे पूर्व उन्होंने अपने भगत म्हालसापति से कहा कि तुम मेरे शरीर की तीन दिन तक रक्षा करना। मैं यदि वापस लौट आया तो ठीक अन्यथा मेरी समाधि बना देना। ऐसा कहकर बाबा रात में लगभग दस बजे पृथ्वी पर लेट गए। उनका श्वासोच्छ्वास बन्द हो गया। अनेक लोग वहां एकत्रित होकर बाबा के शरीर में पुन: प्राण आने की प्रतीक्षा करने लगे। तीन दिन बीत जाने पर रात के लगभग तीन बजे साईनाथ की देह में चेतना वापस लौट आई। सन् 1918 में विजयादशमी के दिन महासमाधि लेने से दो वर्ष पूर्व साईबाबा ने एक अद्भुत लीला करके अपने निर्वाण-दिवस का संकेत दशहरे को सीमोल्लंघन करने (नगर की सीमा के बाहर जाने) की बात कह कर दे दिया था। साईनाथ के महाप्रयाण से पूर्व एक विशेष शकुन घटा। द्वारकामाई मसजिद में एक पुरानी ईट हुआ करती थी जिसे बाबाश्री अपनी जीवन-संगिनी की तरह सदा साथ रखते थे। वे रात में ईट को सिर के नीचे रखकर सोते थे और दिन में उस पर हाथ टेककर बैठते थे। एक दिन बाबाजी की गैरमौजूदगी में मसजिद की सफाई करते समय एक भक्त से वह ईट गिर कर टूट गई। यह जानकारी मिलते ही साईबाबा ने शरीर त्यागने की घोषणा कर दी।  विक्रम संवत् 1975 की विजयादशमी (15 अक्टूबर सन् 1918) को दोपहर 2.30 बजे साईबाबा ब्रह्मलीन हो गये। ऐसा कहा जाता है कि बायजाबाई जिन्हें साईबाबा माई कहकर बुलाते थे, उनको दिये गये वचन के पालन में उनके पुत्र तात्या कोटे पाटिल की मृत्यु टालने के निमित्त साईनाथ ने अपने प्राण का बलिदान दे दिया। शरीर छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी सेविका लक्ष्मीबाई शिंदे को नवधा भक्ति के प्रतीक के रूप में 9 सिक्के आशीर्वाद-स्वरूप देते हुए कहा-मुझे मसजिद में अब अच्छा नहीं लगता है, इसलिए मुझे बूटी के पत्थरवाड़े में ले चलो, वहां मैं सुखपूर्वक रहूंगा।

मेरा साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा मेरा साँई


ॐ साँई राम।।।

Title: Re: सबका मालिक एक: शिरडी के साईबाबा
Post by: saloni1 on October 10, 2007, 10:29:47 AM
SAI BABA HAM AAPKEY BCAHEY HAIN . HAMARI GALTIYON KO MAAF KER DO BABA SAI .
PLEASE FORGIVE US SAI MA
Title: Re: सबका मालिक एक: शिरडी के साईबाबा
Post by: my_sai on November 04, 2007, 10:34:30 PM
TUM DAYA KE SAGER HO BABA . TUM KARUNA NIDHAN HO .
TUM SAB KI SUNTEY HO BABA . TUM SAB PER DAYA KERTEY HO
KOI GALTI HO GAYI HO TO SADGURU HAMAIN MAAF KER DENA . AAPKO KOTI KOTI PRANAM SAI MA