जय सांई राम।।।
मंत्र का मकसद
पुराने जमाने की बात है। एक फकीर किसी गांव में पहुंचा। वहां की आबोहवा उसे रास आ गई और उसने उसी गांव में डेरा डाल दिया। कुछ दिनों बाद लोग उसके पास आने लगे और अपने दुख-दर्द से मुक्ति के उपाय पूछने लगे। धीरे-धीरे फकीर की ख्याति फैल गई। उसके बारे में यह बात प्रचारित हो गई कि वह जो कहता है, सच हो जाता है।
एक दिन एक व्यक्ति उसके पास आया और बोला, 'महात्मा जी! सुना है आप जो कहते हैं सच हो जाता है।'
' सब परमात्मा की कृपा है।' फकीर ने कहा। यह सुनकर व्यक्ति बोला, 'इन पत्थर की ईंटों को सोने की बना दो।'
उस फकीर ने मंत्र पढ़ा तो ईंटें सोने की बन गई। व्यक्ति चकित होकर फकीर के पैरों में गिर गया और बोला, 'बाबा, यह मंत्र मुझे भी सिखा दो।' फकीर ने पहले तो उसे मना किया, फिर बहुत जिद करने पर उसे मंत्र सिखा दिया। मंत्र सीख कर वह अपने घर पहुंचा और गांव के लोगों को इकट्ठा कर बोला, 'मैं आप सब को एक चमत्कार दिखाता हूं। यह सामने ईंटें पड़ी हैं। इसे मैं सोने की बना दूंगा।' उसकी बात सुनकर लोग हंसने लगे। उसने मंत्र पढ़ कर फूंक मारी पर कुछ नहीं हुआ। उसने कई बार ऐसा किया, फिर भी कोई असर नहीं हुआ। लोगों को लगा कि यह व्यक्ति पागल हो गया है इसलिए ऐसी हरकत कर रहा है। लोग उस पर हंसने लगे और उसे भला-बुरा कहने लगे। वह व्यक्ति भागा-भागा फकीर के पास पहुंचा और बोला, 'महात्मा जी, आपका बताया मंत्र मैंने पढ़ा, लेकिन ईंट सोने की नहीं बनी।'
तब फकीर ने कहा, 'बेटा! मंत्र जान लेने से ही कुछ नहीं होता। मंत्र उसी के काम आता है, जिसका उद्देश्य पवित्र होता है। मैंने लंबी साधना से इसे हासिल किया है, फिर भी मैंने कभी इसका दुरुपयोग करने के बारे में नहीं सोचा। तुम मंत्र द्वारा लोगों को चमत्कृत करके उन पर धाक जमाना चाहते थे। यह मंत्र तभी काम आएगा, जब मकसद साफ होगा।'
उस व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने फकीर से क्षमा मांगी और चला गया।
ॐ सांई राम।।