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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: JR on April 20, 2007, 12:55:13 AM

Title: पौराणिक ग्रंथों में पौधारोपण
Post by: JR on April 20, 2007, 12:55:13 AM
पौराणिक ग्रंथों में पौधारोपण

 
पर्यावरण के प्रति सजगता और पौधारोपण के प्रति सतर्कता हमारे यहाँ पौराणिक काल से ऋषियों ने निर्मित की थी। गंगा के अवतरण के लिए भागीरथ का भागीरथ प्रयास सर्वविदित है। इसके साथ मंदाकिनी को भी अपने तप बल के आधार से धरती पर अवतरित किया गया था। अनेकपवित्र नदियों के साथ अनेक पौराणिक गाथाओं का धर्मशास्त्र में उल्लेख मिलता है जो ऋषियों ने, संतों ने जीव मात्र की महती आवश्यकता की पूर्ति का अपने साधना के तप बल पर से किया था। इसी प्रकार पौधारोपण कब, कहाँ, कैसे किया जाए उनका लाभ और काटे जाने से हानि का भी विस्तारपूर्वक वर्णन धर्मग्रंथों में प्राप्त होता है। पर्यावरण और शुद्ध वायु के प्रति स्पष्ट निर्र्देश धर्मग्रंथों में पाए जाते हैं।

पद्यपुराण में भीष्मजी ने पुलत्स्य ऋषि से वृक्ष लगाने की विधि जानने की जिज्ञासा प्रकट की तब पुलत्स्य ऋषि ने पौधे लगाने की महत्ता का विशेष उल्लेख करते हुए महाराज भीष्मजी को बताया कि उत्तरायण आने पर शुभ दिन पौधा रोपण करें। वृक्ष पुत्रहीन पुरुष को पुत्रवान होनेका फल देते हैं। इतना ही नहीं तीर्थों में जाकर वृक्ष लगाने वालों को पिंड दान का महत्व प्राप्त होता है। अब भीष्मजी यंत्रपूर्वक पीपल के वृक्ष लगाओ। वह अकेला ही तुम्हें एक हजारों पुत्रों का फल देगा। पीपल का पेड़ लगाने से मनुष्य धनी बनता है। अशोक का वृक्ष शोकका विनाश व निवारण करता है। नीम का वृक्ष आयु प्रदान करने वाला माना गया है। जामुन का वृक्ष कन्या देने वाला है। अनार का वृक्ष सुपत्नी प्रदान करता है। पीपल रोगनाशक और पलाश ब्रह्मतेज प्रदान करता है। अड्कोल लगाने से वंश वृद्धि होती है, वहीं खेर का वृक्ष लगाने से मानव को आरोग्यता की प्राप्ति होती है। बेल वृक्ष में भगवान शंकर का और गुलाब के पेड़ में देवी पार्वती निवास करती हैं। अशोक वृक्ष में देव, अप्सराएँ और कुन्द (मोगरे) के पेड़ में गंधर्व निवास करते हैं। बेंत का वृक्ष लुटेरों को स्वतः भय प्रदान करता है। चंदन औरकटहल क्रमशः पुण्य और लक्ष्मी देने वाले हैं। चम्पा का वृक्ष सौभाग्य प्रदान करता है। मोलसिरी से कुल की वृद्धि होती है। दाख का पेड़ सर्वांग सुंदरी स्त्री प्रदान करता है। केवड़े का वृक्ष शत्रु का नाश करने वाला है। इसी प्रकार जिनका नाम नहीं लिया गया है वे वृक्ष भी यथायोग्य फल प्रदान करते हैं। जो वृक्ष लगाते हैं उन्हें पृथ्वी और ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।

पुलत्स्यजी कहते हैं कि मैं संपूर्ण वृक्षों को लगाने का अलग-अलग फल के बारे में बताता हूँ। सुनो जो जलाशय के तट पर चारों ओर पवित्र वृक्षों को लगाता है उनके पुण्यकाल का वर्णन ही नहीं किया जा सकता। अपने द्वारा बनाए गए पोखर (कुआँ) बावड़ी के किनारे वृक्ष लगाने वाला मनुष्य अनंत फल का भागी होता है। जलाशय के समीप पीपल का वृक्ष लगाकर मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है वह सैकड़ों यज्ञों से भी नहीं मिल सकता। प्रत्येक पर्व के दिन जो उसके पत्ते जल में गिरते हैं वे पिंड पितरों को अक्षय प्रदान करते हैं। उस वृक्ष पर रहने वाले पक्षी अपनी इच्छा के अनुसार जो फल खाते हैं उनका ब्राह्मण भोजन के समान अक्षय फल प्राप्त होता है। पीपल की जड़ के पास बैठकर जो जप, होम, स्रोत, पाठ और यंत्र मंत्रादि के अनुष्ठान करते हैं उनका फल भी अनंत होता है। पीपल के जड़ में विष्णु, तने में भगवान शंकरऔर अग्रभाग में साक्षात ब्रह्माजी स्थित हैं।