DwarkaMai - Sai Baba Forum

Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: JR on April 20, 2007, 09:21:20 AM

Title: ईश्वर हमारे सम्मुख है
Post by: JR on April 20, 2007, 09:21:20 AM
ईश्वर हमारे सम्मुख है  

 
ईश्वर सभी जगह व्याप्त है। हमें महसूस करने की जरूरत होती है। हम उन्हें सम्मुख होते हुए भी समझ नहीं पाते। हम ही उनसे विमुख रहते हैं। वे तो हमेशा हमें चाहते हैं। हममें जितना प्रेम है, ज्ञान है, आदर है वह ईश्वर के ही कारण है। ईश्वर तो सदा हमारा सम्मान करते हैं। सगेसंबंधी, मित्र, परिवारजन तो कोई गुण, धन, पद होने की वजह से हमारा आदर करते हैं। जैसे ही किसी चीज में कमी आई, वे हमारा साथ छोड़ देते हैं या उनके प्यार में, व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है, लेकिन ईश्वर ऐसा नहीं करते।

यदि हम दुखी हैं, बेघर हैं तो भी उनका द्वार हमारे लिए खुला रहता है। वे कभी हमें अपमानित कर बाहर नहीं निकालते हैं। कोई हमारी व्यथा सुने न सुने, वे जरूर सुनते हैं। वे तो दुराचारी से दुराचारी और पापी से पापी व्यक्ति भी शरण में आए तो उनकी मदद करते हैं, परंतुहम ईश्वर को सिर्फ ईश्वर के रूप में स्नेह, श्रद्धा नहीं देते। हम तो हमेशा सांसारिक चीजों की कामना के साथ ही उनका स्मरण करते हैं। कभी निःस्वार्थ भाव से उनकी शरण में नहीं जाते। अगर हम हमेशा उनके सम्मुख रहें, मन निर्मल रखें तो वे हमें पाप से बचाते हैं जैसा कि सुंदरकांड में कहा गया हैः-

'सम्मुख होई जीव मोहि जबही,
जन्म कोटि अघ नासहिं तबही'।  


यदि हम ईश्वर को एक विश्वास, शक्ति मानकर यह मानें कि वे तो हर जगह हमेशा हमारे समक्ष ही हैं। सुख हो या दुःख वे हमेशा हमारे पास हैं उन्हें हम सभी स्थितियों में स्मरण करते रहें। नित्य क्रियाकलाप की भाँति पूजा-पाठ करना या मंदिर जाना इत्यादि न करके दिल से महसूस करें तो हम उन्हें अपने पास ही पाएँगे। तो आइए, ईश्वर की शरण में उनके सम्मुख हमेशा रहें, स्वाध्याय करें, ताकि वे हमसे विमुख न हों।