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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: JR on April 21, 2007, 01:03:31 AM

Title: शिव सर्वआत्माओं के परमपिता हैं
Post by: JR on April 21, 2007, 01:03:31 AM
शिव सर्वआत्माओं के परमपिता हैं
 
परमपिता परमात्मा शिव का यही परिचय यदि सर्व मनुष्यात्माओं को दिया जाए तो सभी सम्प्रदायों को एक सूत्र में बाँधा जा सकता है, क्योंकि परमात्मा शिव का स्मृतिचि- शिवलिंग के रूप में सर्वत्र सर्वधर्मावलंबियों द्वारा मान्य है। यद्यपि मुसलमान भाई मूर्ति पूजा नहीं करते हैं तथापिवे मक्का में संग-ए-असवद नामक पत्थर को आदर से चूमते हैं। क्योंकि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि यह भगवान का भेजा हुआ है। अतः यदि उन्हें यह मालूम पड़ जाए कि खुदा अथवा भगवान शिव एक ही हैं तो दोनों धर्मों से भावनात्मक एकता हो सकती है। इसी प्रकार ओल्ड टेस्टामेंट में मूसा ने जेहोवा का वर्णन किया है। वह ज्योतिर्बिंदु परमात्मा का ही यादगार है। इस प्रकार विभिन्न धर्मों के बीच मैत्री भावना स्थापित हो सकती है।

रामेश्वरम्‌ में राम के ईश्वर शिव, वृंदावन में श्रीकृष्ण के ईष्ट गोपेश्वर तथा एलीफेंटा में त्रिमूर्ति शिव के चित्रों से स्पष्ट है कि सर्वात्माओं के आराध्य परमपिता परमात्मा शिव ही हैं। शिवरात्रि का त्योहार सभी धर्मों का त्योहार है तथा सभी धर्मवालों के लिए भारतवर्ष तीर्थ है। यदि इस प्रकार का परिचय दिया जाता है तो विश्व का इतिहास ही कुछ और होता तथा साम्प्रदायिक दंगे, धार्मिक मतभेद, रंगभेद, जातिभेद इत्यादि नहीं होते। चहुँओर भ्रातृत्व की भावना होती।

आज पुनः वही घड़ी है, वही दशा है, वही रात्रि है जब मानव समाज पतन की चरम सीमा तक पहुँच चुका है। ऐसे समय में कल्प की महानतम घटना तथा दिव्य संदेश सुनाते हुए हमें अति हर्ष हो रहा है कि कलियुग के अंत और सतयुग के आदि के इस संगमयुग पर ज्ञान-सागर, प्रेम वकरुणा के सागर, पतित-पावन, स्वयंभू परमात्मा शिव हम मनुष्यात्माओं की बुझी हुई ज्योति जगाने हेतु अवतरित हो चुके हैं। वे साकार प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम द्वारा सहज ज्ञान व सहज राजयोग की शिक्षा देकर विकारों के बंधन से मुक्त कर निर्विकारी पावन देव पद की प्राप्ति कराकर दैवी स्वराज्य की पुनः स्थापना करा रहे हैं।