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आत्मा को पवित्र करें
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Topic: आत्मा को पवित्र करें (Read 2273 times)
0 Members and 1 Guest are viewing this topic.
JR
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Blessings 35
सांई की मीरा
आत्मा को पवित्र करें
«
on:
April 23, 2007, 03:02:26 AM »
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आत्मा को पवित्र करें
- ज्योत्स्ना भोंडवे
जिस पुरुष में कर्म के लिए तिरस्कार नहीं होता और उस के चित्त में गलती से भी कभी फल की इच्छा प्रविष्ठ नहीं होती। यह कर्म मैं करूँगा या शुरू किया हुआ काम मैं पूर्ण करूँगा। इस कल्पना से भी जिसका मन अशुद्ध नहीं होता और जिसने ज्ञानरूपी कर्म से सब कर्मों को जलाकर राख कर डाला हो ऐसा पुरुष ब्रह्म-स्वरूप होता हैं और मानव देह में श्री साईंबाबा प्रत्यक्ष ब्रह्म थे और समाधि के पश्चात भी पूर्णब्रह्म हैं। श्री साँईंबाबा का तत्वज्ञान मानवता और समभाव पर आधारित हैं। आपने इसके अलावा जीवन में किसी और तत्व का प्रतिपादन नहीं दिया। सभी जीवात्माएँ एक है बस सबने अलग-अलग चोला धारण किया है। सो हमें हर एक साथ समरस होना चाहिए और विश्वबंधुत्व की भावना को बढ़ाना चाहिए। भक्ति दो तरह की होती है सकाम और निष्काम। सकाम भक्ति मन में फल की इच्छा के साथ की जाती है जिसका फल भक्त को तुरंत मिलता है और बाबा भक्त की झोली में फल डालकर तुरंत मुक्त हो जाते हैं। बाबा की कृपा हो गई यह समझकर भक्त आनंद से झूठ उठता है।
निष्काम भक्ति में भक्त बगैर किसी तरह की आशा लिए भक्ति करता है। इस मार्ग में भक्ति करते भक्त की हड्डियाँ घिस जाती हैं। कई तरह के बंधनों का पालन करना होता है, तब कहीं जाकर ईश्वर की प्राप्ति होती है। यह मार्ग कड़ी तपस्या करने वालों का है। दुनिया के बाजार में रुपए की कीमत हैं लेकिन अध्यात्म में रुपए का मोल कुछ भी नहीं। जो साँईंबाबा देना चाहते हैं। वह कोई और दे ही नहीं सकता। भक्त को चाहिए कि श्रद्धा और सबूरी के साथ बाबा के चरणों में पूर्ण विश्वास रख अपने पूर्व जन्मों की वासनाओं का अंत कर अपनी आत्मा को पवित्र करे। बाबा को जो भी शुद्ध भक्तिभाव से प्रेम करते हैं उनके ऊपर बाबा की चौकस नजर रहती हैं जो हमेशा उनका निरीक्षण और देखभाल करती रहती है। बाबा की कृपा से भक्त का भाग्य बदलने में देर नहीं लगती लेकिन वे पात्र की योग्यता को अवश्य ध्यान में रखते हैं। आज जब भी हम शिर्डी पर उनकी समाधि के समक्ष खड़े होते हैं तो उन्हें अपने समक्ष साक्षात पाते हैं। उनके नेत्रों की करुणा मन को भिगों देती हैं। बाबा की आँखें चारों तरफ ऐसे घूमती हैं मानों अपने बच्चों के हर सुख-दुःख को बाँट रही हों और कह रही हो- मैं हरक्षण तुम्हारे साथ हूँ बस तुम मुझमें अपनी श्रद्धा और विश्वास रखो।
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सबका मालिक एक - Sabka Malik Ek
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Ramesh Ramnani
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Re: आत्मा को पवित्र करें
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Reply #1 on:
May 18, 2007, 10:06:34 AM »
Publish
जय सांई राम।।।
आदमी लाख़ संभालने पर भी गिरता है, मगर झुकके उसको जो उठा ले वो ख़ुदा होता है।
यही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिये मरे।
जीवन का संगीत परोपकार से पुण्य होता है।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
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अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी
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आत्मा को पवित्र करें
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