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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: JR on April 23, 2007, 03:03:50 AM

Title: दिल जीतने वाला काम करें
Post by: JR on April 23, 2007, 03:03:50 AM
दिल जीतने वाला काम करें  

 
आज हमारे अखलाक, किरदार, चरित्र, व्यवहार में जो गिरावट आ रही है, नैतिक मूल्यों का जो पतन हो रहा है, वह न सिर्फ हमारी तहजीब व संस्कृति की बरबादी के लिए खतरा है बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए भी खतरनाक है।

हम घर, मकान, फैक्टरी, धन-दौलत, स्वास्थ्य की रक्षा के प्रति तो सतर्क रहते हैं, उसकी रक्षा के लिए सारे कारगर उपाय करते हैं, लेकिन नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए गंभीर नहीं रहते। पूरे देश में शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ संस्कारों में कमी आना चिंताजनक है। पश्चिमी संस्कृति, फैशन और टीवी केबल नेटवर्क ने सांसारिक-मोहमाया की तरफ आकर्षित करके आज सबको धर्म से दूर कर दिया है। गौरतलब रहे कि जहाँ दीनदारी (धार्मिकता) नहीं रहती, न वहाँ उसूल रहते हैं और न ही वहाँ अनुशासन पाया जाता है। शरीयते इस्लामी का पालन करने से जिन्दगी में अनुशासन आता है। पाँचों वक्त की नमाज वक्त की पाबंदी करना सिखाती है। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल. पूर्ण रूप से अनुशासित थे। आपके संस्कारों पर नजर डालें तो पता चलता है कि आपके अखलाक व किरदार तो बेमिसाल थे। एक सहाबी ने हजरत आएशा रदी. से पूछा-कि 'ताजदारे मदीना हजरत मोहम्मद सल. के अखलाक कैसे थे?' आपने फरमाया- 'क्या तुमने कुरआन नहीं पढ़ा? आपका अखलाक तो पूरा कुरआन है।' यानी जिन्दगी का जो नक्शा आप सल. ने दुनिया के सामने पेश किया उसकी चलती-फिरती तस्वीर आप थे।

आज हम कुरआन को तो मानते हैं, लेकिन कुरआन की नहीं मानते। कुरआन को पढ़ते तो जरूर हैं, लेकिन समझते नहीं हैैं। प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान हजरत मौलाना अब्दुल करीम पारीख साहब अक्सर तकरीरों में इस बात पर जोर देते हैं कि कुरआन को समझकर पढ़ें। कुरआन को समझकर पढ़ने से इंसानियत की फिक्र होगी, ईमान ताजा होगा, नैतिक, सामाजिक कमजोरियाँ दूर होंगी। ईमानदारी, आदर्शवादिता, चरित्र, अखलाक, किरदार व संस्कारों को नई उड़ान मिलेगी। इस्लाम ने दिल जीतने वाला काम करने, रिश्तों की गरिमा, तहजीब, अदब, अखलाक, ईमानदारी व सच का दामन हमेशा थामे रखने जैसी नैतिक शिक्षा दी है। जरूरत सिर्फ अमल करने की है।