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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: JR on April 24, 2007, 08:44:35 AM

Title: वेदों का वरदान अग्निहोत्र
Post by: JR on April 24, 2007, 08:44:35 AM
वेदों का वरदान अग्निहोत्र

- प्रस्तुति- नलिनी माधव
 
एक सर्वे के अनुसार प्रतिवर्ष 2000 किस्म की वनस्पतियाँ, पशु-पक्षी इस भूमंडल से समाप्त होते जा रहे हैं। वनों की अनियंत्रित कटाई, रासायनिक खाद एवं छिड़काव द्वारा भूमि की उर्वरता से संबंधित आँकड़ों के अनुसार योरप की चालीस प्रतिशत भूमि कृषि योग्य नहीं रही है।आगामी पाँच वर्षों में पृथ्वी का एक तिहाई हिस्सा कृषि के अयोग्य होने का अनुमान है। इन प्रदूषणजनक स्थितियों का सामना करने के लिए वेदों की देन है 'अग्निहोत्र'। अग्निहोत्र, जो कि आज की परिस्थितियों में वैज्ञानिक कसौटियों पर उतरा है। इसके आचरण से न केवल शरीर स्वस्थ एवं वातावरण शुद्ध होता है बल्कि हृदय रोग, दमा, क्षय रोग, मानसिक तनाव आदि घातक रोगों से भी छुटकारा मिलता है।

सृष्टि के सभी जड़ व चेतन पदार्थों का निर्माण पंच महाभूतों, पृथ्वी, पानी, तेज, वायु एवं आकाश से हुआ है। सृष्टि निर्माण के बाद ईश्वर ने संपूर्ण मानव जाति के कल्याण हेतु सत्य धर्म का संदेश दिया। सत्यधर्म का अर्थ है ऐसे अपरिवर्तनीय सिद्धांत जिन्हें किसी भी कसौटीपर परखने पर सत्य सिद्ध होते हैं। सत्यधर्म में किसी जाति, धर्म, देश, प्रदेश आदि की संकीर्ण विचारधारा के लिए कोई स्थान नहीं है।

हमारे वेद विभिन्न ज्ञान के खजानों का अथाह समुद्र हैं एवं इसी समुद्र मंथन से निकला है पंच साधन मार्ग। पंच साधन मार्ग एक जीवन पद्धति है जो वैदिक ज्ञान के अंतर्गत मनोकायिक (साईकोसोमेटिक) प्रणाली पर आधारित है एवं इसके पाँच मूलभूत सिद्धांत है- यज्ञ, दान, तप, कर्म एवं स्वाध्याय। प्रातः-सायं सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय किए जाने वाला यज्ञ ही अग्निहोत्र है। अग्निहोत्र एक सूक्ष्म एवं घरेलू हवन है जो कि वेदों में वर्णित प्राण ऊर्जा (बायोइनर्जी) विज्ञान पर आधारित है।

राजस्थान में कई अग्निहोत्र प्रचार केन्द्र हैं, यहाँ निःशुल्क जानकारी दी जाती है। इस अभियान से जुड़े सारे कार्यकर्ता निःस्वार्थ भावना से जगह-जगह प्रदर्शनियाँ लगाकर जनसाधारण को इस आश्चर्यजनक वैदिक खजाने की जानकारी दे रहे हैं। इस अभियान को जनआंदोलन का रूप दिया जाए। वैज्ञानिकों को जाँचकर इस अलौकिक शक्ति के प्रायोगिक परिणामों की चर्चा करनी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संगठनों को भी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। अग्निहोत्र का कोई भी विकल्प नहीं है। यही एक सूक्ष्म एवं सुलभ वैदिक विधि है जिससे हम मानव जीवन को जाग्रत कर उसे उसकी छिपी हुई शक्ति का आभास करा सकते हैं।