Join Sai Baba Announcement List


DOWNLOAD SAMARPAN - Nov 2018





Author Topic: ब्रह्म मुहूर्त की महत्ता  (Read 4262 times)

0 Members and 1 Guest are viewing this topic.

Offline JR

  • Member
  • Posts: 4611
  • Blessings 35
  • सांई की मीरा
    • Sai Baba
ब्रह्म मुहूर्त की महत्ता

प्रत्येक प्राणी की दिनचर्या का प्रारंभ प्रातःकाल से होता है। किसी काम की शुरुआत करने के संबंध में सुबह का समय अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में किसी से भी मुहूर्त पूछने की आवश्यकता नहीं होती। प्रातःकाल सूर्योदय के साथ ही कमल खिल जाते हैं। सृष्टि में एक नवजीवन, नवचेतन-स्फूर्ति दृष्टिगोचर होने लगती है। ऐसे सुअवसर की उपेक्षा मात्र नादानी के सिवाय कुछ भी नहीं। शारीरिक स्वास्थ्य- मन-बुद्धि, आत्मा के बहुमुखी विकास सभी की दृष्टि से ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। इस समय प्रकृति मुक्त हस्त से स्वास्थ्य, प्रसन्नता, मेधा, बुद्धि एवं आत्मिक अनुदानों की वर्षा करती है। ऋषियों की दृष्टि में अर्थात स्वस्थ मनुष्य आयु की रक्षा के लिए रात के भोजन के पचने, न पचने का विचार करता हुआ ब्रह्म मुहूर्त में उठे।

महर्षि मनु ने कहा है- प्रत्येक मनुष्य को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर धर्म और अर्थ का चिंतन करना एवं शरीर के रोग और कारणों का विचार तथा वेद के रहस्यों का विचार-चिंतन करना चाहिए।

आज के प्रचलन- देर से सोने और देर से उठने के प्रपंच से रोगों से दूर रह प्रसन्नता की प्राप्ति असंभव है। प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में शय्या अवश्य त्याग देना चाहिए। चौबीस घंटों में ब्रह्म मुहूर्त ही सर्वश्रेष्ठ है। मानव जीवन बड़े भाग्य से प्राप्त होता है। इसका प्रत्येक क्षण बहुमूल्य है, अतः सोने के पश्चात सुबह का समय (ब्रह्म मुहूर्त) जागते ही चेतना का शरीर से सघन संपर्क बनाता है, यही नए जन्म जैसी स्थिति है।

आयुर्वेद के ग्रंथों के कथनानुसार प्रातः उठने से सौंदर्य, यश, वृद्धि, धन-धान्य, स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। शरीर कमल के समान खिल जाता है। प्रातः उठकर ईश्वर-चिंतन के साथ हमें जन्म देने वाली पृथ्वी माँ को नमस्कार करना चाहिए।

दिनचर्या में इसके पश्चात उषापान का क्रम आता है। उषापान शौच जाने से पूर्व ही किया जाना चाहिए। आयुर्वेद में उषापान का विधान है। कहा गया है- 'प्रातः उठकर जो नित्य उषापान करता है, निज शरीर को स्वस्थ बना रोगों से अपनी रक्षा करता है।'

आत्मबोध की साधना प्रातः जागरण के साथ ही संपन्ना की जाती है। रात्रि में नींद आते ही यह दृश्य जगत समाप्त हो जाता है। मनुष्य स्वप्न-सुबुद्धि के किसी अन्य जगत में रहता है। इस जगत में पड़े हुए स्थूल शरीर से उसका संपर्क नाममात्र या कामचलाऊ रहता है।
 
सबका मालिक एक - Sabka Malik Ek

Sai Baba | प्यारे से सांई बाबा कि सुन्दर सी वेबसाईट : http://www.shirdi-sai-baba.com
Spiritual India | आध्य़ात्मिक भारत : http://www.spiritualindia.org
Send Sai Baba eCard and Photos: http://gallery.spiritualindia.org
Listen Sai Baba Bhajan: http://gallery.spiritualindia.org/audio/
Spirituality: http://www.spiritualindia.org/wiki

Offline astrobhadauria

  • Member
  • Posts: 6
  • Blessings 0
कर्म फ़ल को भोगने के लिये ही व्यक्ति रात को जगता है,अगर दिन मे मेहनत से काम किया है,किसी को सताया नही है तो रात मे थक कर बहुत ही अच्छी नींद आती है,रात को जगने मे जगने वालों के लिये कहा है कि- या जगे कोई रोगी,भोगी,या जगे कोइ चोर,या जगे कोइ संत प्यारा,जाकी लागी प्रभु से डोर,बाबा से ध्यान मे बात करने बाला भी जगता है,मगर ध्यान मे जगने और चिन्ता मे जगने उतना ही अन्तर है ,जितना कि स्वर्ग और नरक का,रात को जल्दी सोये,और सुबह को जल्दी जागे,उस प्राणी से दुनिया के दुख दूर दूर ही भागे.
जय सांई राम,ले सांई नाम ।
जय सांई,ना भूल गुसांई ॥

 


Facebook Comments