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Author Topic: जीवन के लिये श्री सांई के उपदेश  (Read 135115 times)

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Offline tana

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  • ~सांई~~ੴ~~सांई~
    • Sai Baba
ॐ सांई राम~~~

बम्बई के पास बान्द्रा में एक तेंडुलकर कुटुम्ब रहता था, जो बाबा का पूरा भक्त था |उनका ज्येष्ठ पुत्र बाबू डाँक्टरी परीक्षा में बैठने के लिये अनवरत अभ्यास कर रहा था । उसने कई ज्योतिषियों को अपनी जन्म-कुंडली दिखाई, परन्तु सभी ने बतलाया कि इस वर्ष उसके ग्रह उत्तम नहीं है किन्तु अग्रिम वर्ष परीक्षा में बैठने से उसे अवश्य सफलता प्राप्त होगी । इससे उसे बड़ी निराशा हुई और वह अशांत हो गया । थोड़े दिनों के पश्चात् उसकी माँ शिरडी गई और उसने वहाँ बाबा के दर्शन किये । अन्य बातों के साथ उसने अपने पुत्र की निराशा तथा अशान्ति की बात भी बाबा से कही । उनके पुत्र को कुछ दिनों के पश्चात् ही परीक्षा में बैठना था । बाबा कहने लगे कि अपने पुत्र से कहो कि मुझ पर विश्वास रखे । सब भविष्यकथन तथा ज्योतिषियों द्घारा बनाई कुंडलियों को एक कोने में फेंक दे और अपना अभ्यास-क्रम चालू रख शान्तचित्त से परीक्षा में बैठे । वह अवश्य ही इस वर्ष उत्तीर्ण हो जायेगा । उससे कहना कि निराश होने की कोई बात नहीं है । माँ ने घर आकर बाब का सन्देश पुत्र को सुना दिया । उसने घोर परिश्रम किया और परीक्षा में बैठ गया । सब परचों के जवाब बहुत अच्छे लिखे थे । परन्तु फिर भी संशयग्रस्त होकर उसने सोचा कि सम्भव है कि उत्तीर्ण होने योग्य अंक मुझे प्राप्त न हो सकें । इसीलिये उसने मौखिक परीक्षा में बैठने का विचार त्याग दिया । परीक्षक तो उसके पीछे ही लगा था । उसने एक विघार्थी द्घारा सूचना भेजी कि उसे लिखित परीक्षा में तो उत्तीर्ण होने लायक अंक प्राप्त है । अब उसे मौखिक परीक्षा में अवश्य ही बैठना चाहिये । इस प्रकार प्रोत्साहन पाकर वह उसमें भी बैठ गया तथा दोनों परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो गया । उस वर्ष उसकी ग्रह-दशा विपरीत होते हुए भी बाबा की कृपा से उसने सफलता पायी । यहाँ केवल इतनी ही बात ध्यान देने योग्य है कि कष्ट और संशय की उत्पत्ति अन्त में दृढ़ विश्वास में परिणत हो जाती है । जैसी भी हो, परीक्षा तो होती ही है, परन्तु यदि हम बाबा पर दरृढ़ विश्वास और श्रद्घा रखकर प्रयत्न करते रहे तो हमें सफलता अवश्य ही मिलेगी ।

जय सांई राम~~~
"लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

" Loka Samasta Sukino Bhavantu
Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम़।।।

जीवन से अंधकार हटाना व्यर्थ है, क्योंकि अंधकार हटाया नहीं जा सकता। जो जानते हैं, वे अंधकार को नहीं हटाते, वरन् प्रकाश को जलाते हैं।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

मैं मिट्टी के कण-कण में हूँ,
मैं जीवन के क्षण-क्षण में हूँ!
झांके हैं नभ से तारे जो,
उन तारों की टिम-टिम में हूँ!
मैं ही तो हवाओं का वेग हूँ,
मैं ही तो घटाओं का मेघ हूँ!
अहसास करो तुम खुद में ही,
मैं तो हर इक के मन में हूँ!
क्यों फिरता है दर-दर पर तू?
मुझको पाने की चाहत में?
क्यों जलता है पल-पल में तू?
मैं तेरी हर हलचल में हूँ!
कर पलभर तो तू याद मुझे,
ना रहने दूंगा उदास तुझे!
आऊंगा जब पुकारोगे मुझे,
में जन-जन की सुमिरन में हूँ!
मैं मिट्टी के कण-कण में हूँ,
मैं जीवन के क्षण-क्षण में हूँ...

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

"मैं खुशी हूँ तुम्हारी.....एक बार फिर आ गई हूँ" 

"तुम्हारे आँगन में
रोज आता हूँ मैं
....कभी प्रातः की स्वर्णिम धूप बनकर
....कभी बारिश की मुस्कुराती बूंदे बनकर
....कभी अदृश्य बयार में समाया
मधुर सुवास बनकर
....कभी रमणीय निशा में
चाँद की चांदनी बनकर
....और भी
न जाने कितने रूपों में
रहता हूँ तुम्हारे आस-पास
हमेशा....
....कितने करीब हूँ मैं तुम्हारे
....लेकिन....!
तुम्हारी नजरें
जाने क्या-क्या ढूंढती रहती है
दिन-रात
मुझे नजर अंदाज करके
....शायद....
तुम नहीं जानते
....और ना पहचान पाते हो मैं कौन हूँ...?
"मैं बाबा के रूप में खुशी हूँ "
तुम्हारे अंतरमन की खुशी....."

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

संसार को जोड़ने की चीज है - त्याग, संसार को तोड़ने की चीज है - स्वार्थ, अपना अपना स्वार्थ लेकर चलोगे सम्बन्ध टूटेंगे,  जीवन बिखरेगा, एक दूसरे के प्रति त्याग करके देखीऐ प्यार बढेगा, सम्बन्ध सुधरेंगे
 
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

शब्दों से नहीं कर्म से जाने जाओगे...
बोल कर नहीं कर के दिखाओगे...
तब मैं मानूगा कि तुम मेरे उपदेश सुनते ही
नही बल्कि अमल में भी लाते हो।
 
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline sainath_ka_ashirwad

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mujhe kuch samajh me nahi aata ko mujhe ye batye ki main kya karu

Offline Bhimsingh

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he mere sai, aapke charno main mera pranam

baba mere aur dolly ke upper jo  mushibat aayee hai, ushe jaldi door kar do, taaki hum dono ek dushre ke saath kush rahe sake, mere baba dolly ki saari bimari door kardo aur ushe mere jaisa banado, aur samajhdaar kar do, taaki wo bhi duniya ki har khushi jee sake,

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

प्रेम अपने में न बंधन है, न मुक्ति है। प्रेम तो ऐसा समझो कि राह के बीच मे पड़ा हुआ एक पत्थर है। चाहो तो इसकी वजह से रुक जाओ, और चाहो तो इस पर चढ़ जाओ,  इसकी सीढ़ी बना लो। प्रेम को सीढ़ी बनाओगे तो "मुझ" तक पंहुच जाओगे।
             
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

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अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

इस जगत में इससे बड़ी और कोई सौभाग्य की घड़ी नही है जब तुम किसी आदमी की अंधेरी ज़िंदगी में दीया जलाने में सफल हो जाओ। तुम्हारे हाथ से अगर किसी की ज़िन्दगी में एक फूल भी खिल जाए तो इससे बड़ी और  कोई धन्य घड़ी नही है।   
       
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
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  • साई राम اوم ساي رام ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ OM SAI RAM
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मनुष्य को हमेशा अच्छा और गुणी का प्रयास करना चाहिए। केवल जब कोई मनुष्य अच्छे विचारों और भावनाओं से भर जायेगा और अच्छे कर्म करेगा तब उसका जीवन सार्थक हो जाएगा। आपको हमेशा ऐसे गतिविधि में अपने आप को व्यस्त रखना चाहिए जिससे आपके समय और कौशल का उपयोग करके सर्वोत्तम लाभ लिया जा सकता हो। यही आपका कर्तव्य है , और कर्तव्य ही भगवान। हर मनुष्य को इस बात को समझना होगा कि शरीर उसे दूसरों की सेवा करने के लिए दिया गया है। आपको अपने शरीर का उपयोग समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए। ऐसा मन जो दुसरो को आनंद प्रदान करने में नहीं होता और ऐसा शरीर जो दूसरों की सेवा में इस्तेमाल नहीं होता है, पूरी तरह से व्यर्थ है। सभी से प्रेम और सेवा द्वारा ही भगवन से प्रेम किया जा सकता है। ~ बाबा

विश्व भर के सभी मनुष्य ईश्वर के ओर तीर्थयात्रा के रूप में बढ़ रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति की प्रगति उनके द्वारा अपनाई गई अनुशासन
, चरित्र निर्माण, आदर्श के प्रति ध्यान, चुने गए नेतृत्व तथा मन में बढे विश्वास पर निर्भर करता है। जिस प्रकार अलग अलग जगह के पेड़ और पौधे, पक्षियों और जानवरों में अंतर होता है, उसी प्रकार एक समुदाय से दुसरे समुदाय में रीती रिवाज, प्रथा, आदर्श, अनुशासन अलग हो सकते है, जो उस क्षेत्र के लिए और उसके विकास के स्तर के लिए अच्छा होता है। आप किसी को एक समुदाय से दुसरे समुदाय में बदल नहीं सकते हैं। आप जिस माहौल में बड़े हुए हैं वही आपके लिए सबसे अनुकूल है।

~ बाबा

Offline saiguru

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he sainath tumhari jay jay kar ho,sradha,saburi dedo hame sad bhudhi dedo.sairam

Offline Ramesh Ramnani

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जय सांई राम।।।

ध्यान रहे, धृणा और प्रेम एक साथ भीतर नही हो सकते। और जब तक धृणा है तब तक प्रेम नही। फिर चाहे धृणा को तुम कोई भी रंग दो, कोई भी रूप दो।  और जब प्रेम आता है तो यूँ आता है जैसे प्रकाश आता है। प्रकाश के आगमन पर अंधेरा नही रह सकता।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

Offline sawan

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OM SAI NATHAYA NAMAH...

SAI BABA KEHTE HAIN KI MAIN KAN KAN MEIN BASTA HOON..TUM JAHA B HO JAISE B HO...MAIN TUMHARE SATH SADEV HE REHTA HOON..MUJHE KISI B VASTU KA LALACH NAHI ..MAIN TOH BAS SHRDA AUR PREM KA HE BHOOKHA HOON...JO BAKHT MUJHE PREM AUR SACHE VISHWAS SE EK NAMASKAR KARTA HAIN..MAIN SADEV KE LIYE USSI KA HO JATA HOON...WOH KAHI B RAHE ..KITNI B DOOR RAHE..JAB B WOH MUJHE SACHE MANN SE YAAD KAREGA ,MAIN USKE SAMEEP DOUDA DOUDA CHALA AAOGA..MERE LIYE SAB EK JAISE..KOI GAREEB YA AMEER NAHI...BADA YA CHHOTA NAHI...SAB EK SAMAAN HAIN......MAIN USS KE ADDEN HO JATA HOON JO MUJHE SACHE MANN SE YAAD KARTA HAIN...
 
AISE BAKHT VATSAL SHRI SAI DADA KO HUM KAISE BHOOL SAKTE HAIN..JO BAS EK SADARAN SA NAMASKAAR KARNE PAR HAMARE SATH HO LETE HAIN...HUM KAHI B RAHE KITNA B DOOR RAHE....JAB B UNKO PUKARTE HAIN WOH DOUDE DOUDE AATE HAIN..KYA HUMEIN AISE KARUNA AVTAAR BABA JI KO BHOOL NA CHAHIIYE...AGAR HUM KITNE B JANAM LE .. TAB B BABA JI KA YEH RINN NAHI CHUKA SAKTE.....AISE SAI BABA KO HAMARA LAKH LAKH PRANAAM......
 HUM YAHI VINTI KARTE HAIN BABA JI SE KI WOH HUMEIN KABHI APNE SHRI KAMAL CHARNO SE DOOR NA KARE...JO KABHI HUM GALTI SE BATAK JAYE..HUEMIN SAHI RAH PE LE AAYE..AUR SADEV HE HAMARE SATH RAHE...HUM SAB BABA JI KE KAHE HUE RASTE PE CHALTE RAHE AUR SADEV UNKA HE SAMARAN KARTE RAHE..HAMARE JEVEN KI YEH YATRA SHRI SAI BABA JI KE NAAM SE CHALTI RAHE AUR AANT KAAL MEIN B HUM UNKA NAAM LE KE HE ISS DEH KO UNKE CHARNI MEIN SAMARPIT KAR DE...........

 BABA JI HUM SAB PE APNE AASHIRWAD KA HATH RAKHE SADA HE RAKHE....HUM HAMEHSA UNKE SHRI CHARAN KAMLO KA DIYAAN KARTE RAHE.....
 OM SAI NATHAYA NAMAH....

Offline saiguru

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he sainath tumhari jay jay kar ho,sradha,saburi dedo hame sad bhudhi dedo.sairam

 


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