जय सांई राम।।।
जाने क्या चाहे मन बावरा
मन संसार की सबसे बड़ी पहेली, मन संसार का सबसे जटिल तत्व, मन विचारो कि झुरमुट में बसी एक छोटी सी झील, मन................बस मन!
मन कब क्या चाहे कोई नही जानता, क्यो इतने सवाल पूछे यह भी कोई नही जानता, मन मनुष्य का सबसे सगा मित्र, मन ही आत्मन, मन ही ईश्वर।
मन न जाने कब गुनगुनाये, कब छोटे बच्चो कि तरह न जाने क्या जिद्द कर जाए? मन कभी ज़मी पर कभी आसमां पर कभी तितली बन पेड़ों की शाखों पर, कभी मछली बन लहरों की हिलोरों पर, मन कभी मुस्कुराता हुआ, कभी बिन बात रोता हुआ, कभी हसता हुआ, कभी सुनाता हुआ, मन की महिमा मन ही जाने ।
इस मन को समझने के लिए न जाने कितने ऋषि मुनियों ने युगों-युगों तक तपस्या की, न जाने कितने ग्रंथो का वाचन किया, न जाने कितने तीरथ धाम घूम लिए, इस मन के चक्कर में न जाने कितने गृहस्थ साधू हो गए, न जाने कितने आश्रम गुरुकुल खुल गए, पर ये मन और इसकी चाहत फ़िर भी कोई नही समझ पाया।
कहते हैं मन पर काबू रखो, इसे नियंत्रण में रखो पर भाई ये तो हवा हैं, इसे कौन रोक पायेगा? तूफानी नदियां हैं बाँध भी टूट जाएगा, मन पंछी हैं, हर मौसम उड़ता जाएगा, मन लोकगीत हैं अनजाने ही स्फुटित हो जाएगा ।
कौन समझ पाया हैं मन की माया? हम उसे पूर्व में ले जाना चाहते हैं और वह जाता हैं उत्तर में, हम उसे अपनी समझाते हैं वह हमे अपनी ही धुन पर नचवाता हैं।
मन सबसे कुछ अलग हैं, वह अद्भुत हैं आलौकिक हैं, अनादी हैं, मन श्रृंगार हैं, वात्सल्य हैं, मन एक बूंद हैं जीवनदाई जल सी, मन सागर हैं, मन प्रेम हैं, मन आनंद हैं।
मन को पूरी तरह कोई न समझ सका न समझ पायेगा, मन पर कोई पहरे न बिठा सका न बिठा पायेगा, क्योकि मन स्वयम्भू हैं, मन ही शिव हैं मन ही राम है वह हमारी आत्मा का हिस्सा हैं, मन त्रिगुनो त्रिलोकों तीर्थो से परे हैं, मन परे हैं चतुर्वेदो से, धर्मो से, दर्शनों से।
मेरी नज़र में मन ही एकमात्र सच्चा मित्र हैं मानव का, इसलिए जब भी लगे जाने क्या चाहे मन बावरा... तो दिमाग चलाना बंद करे, खुदको एकदम चुप करो और सुनो मन की, उसकी कही करो, मन के नाम पर स्वछंदता का मैं हिमायती नही, पर सबसे प्रेम करो, सारी धरणी को मन से चाहो, फ़िर मन आपको कभी नही भटकायेगा, सच कहें तो वह कभी नही भटकाता, भटकते हम हैं और दोष देते हैं मन को, मन जैसा कोई संगी नही साथी नही सरल नही, अपने मन से पूछें और जिन्दगी की हर परेशानी को दूर करे, मन की माने, उसकी चाहतो को जाने अपने सच्चे मित्र की तरह।
ॐ सांई राम।।।