DwarkaMai - Sai Baba Forum

Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: Admin on January 05, 2008, 01:19:01 PM

Title: अपने मन का साई
Post by: Admin on January 05, 2008, 01:19:01 PM
मिलकर करे एक अच्छा और नेक काम

जय साई राम

बाबा साई ने तो बहुत रास्ते दिखाए है हम सब को, पर हम सिर्फ़ मन्दिर मै जाकर अपना फ़र्ज़ पूरा कर लेते है, आरती कर ली, नाम जाप किया, १० रूपये डाले आरती की थाली में और बस हो गया अपना काम | बोलो जय साई राम | हो गया अपना कर्तव्य पूरा |  मन्दिर से बाहर आकर किसी भिखारी को २-४ रूपये दे दिए | क्या किसी भिखारी को २-४ रूपये देने से हो गयी हमारे अंदर के साई की आत्मा तृप्त ?  क्या हमारे अंदर का साई पूरी तरह से खुश है हम से ?  क्या वो आवाज़ नही देता है आपको ? क्या आपने कभी सुनी है साई की आवाज़ | मुझे पता है की एक साई हमारे अंदर भी तड़प रहा है और वो कुछ कहना चाहता है पर हम जानकर भी अनजान बन जाते है | हम अपना सर दर्द से लेकर अपने बच्चो, केरियर, शादी, प्यार, मोहब्बत तक सब कुछ उसको बोल देते है और एक वो है जो कुछ भी नही कह पता और अगर कभी कहता भी तो शायद हम सुन भी नही पाते है | बाबा ने तो पूरी दुनिया को सवारने का काम किया था और हमसे भी कहा की जाओ जो मैंने तुम्हारे साथ किया वो तुम दुनिया के साथ करो, यही मेरा संदेश है और यह ही मेरी सच्ची भक्ति है |

हम सभी बहुत अच्छे है पता है क्यों? क्यों की साई हमारे अंदर जो है | हम अगर रोज़ एक अच्छा काम नही कर सकते तो कम से कम एक हफ्ते मैं तो कर ही सकते है? कोई भी छोटा सा अच्छा काम जो मेरे तुम्हारे अंदर के साई को बहुत खुश करदे | मुझे पता है की जब भी साई खुश होता है ना वो आपकी-मेरी आँखे भिगो देता है क्यों की वो आँसू साई की आंखो के होते है और वो भी खुशी के सच्चे आँसू |

आओ हम सब मिलकर कुछ अच्छा काम करे, आओ मिलकर अपने अपने अंदर के साई को एक बार और खुश होने का मौका दे |

यह तो साई का मन्दिर और मस्जिद है, जो कुछ भी आप यहाँ लिखते और पड़ते हो वो साई भी देखता और पड़ता है तो अब आप मुझे २ बातें बताओगे:

१. ऐसा क्या किया जाए की साई बहुत खुश हो?
२. आज आपने ऐसा कौन सा अच्छा काम किया की आज वो हमारे मन वाला साई बहुत खुश हो गया?

सभी भक्तो से निवेदन है की वो अपने विचार जरूर लिखे |

जय साई राम
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: MANAV_NEHA on January 05, 2008, 01:38:35 PM
RAVI BHAI AAPNE BAHUT KHUB LIKHA HAI,DIL KHUSH HO GAYA THANKS
MAIN AGAYANI KYA KAHU FIR BHI
YEH TOH TABHI HO SAKTA HAI JAB HUM SABME BABA KO DEKHE,
BIN KISI LALSA KE JAN KALYAN KE KARYE KARE,YEH NAHI KI KISI BHIKARI KO KHANA DIYA YA USE EK DO RUPEES DIYE JISE HAMARA KARTAVYA PURA HUYA,USKI RAKSHA KARNA BHI HAMARA KARTAVIYE HAI
KISI NISAHAY PUR HO RAHE JURM KO ROKANA BHI HAMARA KARTAVIYA HAI
SABHI KO SAMAN SAMJHKAR HI YEH SAMBHAV HO SAKTA,SABME MALIK KA RUP DEKH KAR HI YEH HO SAKTA HAI
SIRF INSAAN HI NAHI BALKI JAANWAR AUR BHI JIV JANTU KE LIYE BHI SAMAN BHAV HO
YEH SUB MALIK KE INSAN KI TARAH KHILAYE HUYE KHUBSURAT FOOL HAI JISE TODNE KA ADHIKAR KISI KO NAHI
BABA PRAY KE BHUKE NAHI HAI PRAY TOH HAR KOI KARTA HAI, BABA KE BATAYE RAASTE
PUR CHALNA HI SABSE BADI PRAY HAI TABHI INSAN BABA KO PAA SAKTA HAI
JAHA TAK PAISE KI BAAT HAI YEH TOH MOH MAYA HAI ,KISI PUR KAM HAI KISI PUR JYADA HAI ,AGAR MALIK NE DIYA HAI TOH USAE JAN KALYAN MEIN LAGAYE JISE MALIK KA DIL KHUSH HOTA HAI
MUJHE MAAF KAR DENA BABA AGAR MAINE KUCH GALAT KAHA HO....SAI RAM :)
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: priyanka_goel on January 05, 2008, 11:31:13 PM
om shri sai nathay namah

bahut acha likha hai apne raviji maine yeh kaise keh sakte ho per main apne taarf se aise koi kaam galat nahin karna chahte ki mere wajhe se kise ka dil dukhe ya koi khast ho maine bas yahein chahte ho apne karm karte raho aur fhal ki ikcha mat rakho jo hai use main khush raho karm ache hoge bin mage sab mil jayega aur mera sai bhi bahut khush hoga
baba koi baat achi nahin likhe ho tomujhe maaf kar dena

om shri sai nathay namah
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 06, 2008, 01:32:54 AM
जय सांई राम।।।

रवि भाई वाह़। मै कई दिनों से देख रहा हूँ कि अपने इस मन्दिर में मेरे भाई बहन बहुत अच्छा लिखने लगे है। अच्छे लेखो की कड़ी में आज फिर कुछ अच्छा लिखा पढ़ने को मिला। दोस्त बहुत ही सटीक बात लिखी है तुमने। मैं अपने अनुभव से बस यही कह सकता हूँ कि मेरे बाबा सांई जैसे सरल दयालु सन्त को खुश करना बहुत ही सरल है। इसके लिये हमसे वो कोई जप तप यां बहुत बड़ी तपस्या नही मांगते। बाबा ने हमे सिर्फ और सिर्फ ईमानदारी से अपने कर्मों को पूरा करने की शिक्षा दी है।

मै मानता हूँ कि भक्ति पथ पर अपनी इच्छा के अनुसार प्रत्युत्तर प्राप्त न होने पर मेरे भाई बहनों का मन ज्यादातर निराश यां फिर विश्वासरहित हो जाता है। ऐसा न हो इसके लिये 'सबूरी'  अत्यंत ज़रूरी है। सांई भक्तों को प्राप्ति एवम् अप्राप्ति से लेश मात्र भी विचलित हुए बिना स्वयम् के आध्यात्मिक कर्तव्य को अविरत चालू रखने के लिये सबूरी की आवश्यकता है। श्री सांई बाबा ने स्वयम् कहा है कि, मनु्ष्य जो कर्म करता है उसका फल एक दिन तो अवश्य मिलता ही है। 'सबूरी' भक्ति पथ पर एक कठिन परीक्षा है और वह परीक्षा बाबा अपने प्रियतम भक्तों से समय समय पर लेते रहते है। उससे हमे धबराना नही चाहिये और ना ही विचलित होना चाहिये!

साधारण मनुष्य बाज़ार में एक मिट्टी का घड़ा खरीदने जाता है जिसकी कीमत मात्र २० रुपये होती है। फिर भी उसे वो दस बार अपनी उंगलियो से बजा बजा कर देखता है। उसके बाद ही उसकी कीमत चुका कर खरीदता है। वैसे ही अपने बाबा भी अपनी भक्ति देने से पहले अपने भक्त को ठोक बजाकर देखते है। इसलिये भक्ति पथ पर सिर्फ बाह्य भक्ति, प्रदर्शन भक्ति नही होनी चाहिये, यानी श्रध्दा विहिन भक्ती नही होनी चाहिये। मेरे बाबा हमसे सिर्फ आन्तरिक, आत्मनिवेदन वाली भक्ति चाहते है।

हम तो बस बाबा को पूजा के दो फूलों की रिश्वत देकर सोचते है कि वो हमे मिल जायें। अंत में मैं तो बस यह कंहूगा कि कोई भी भावहीन क्रिया बाबा की सत्ता तक नहीं ले जा सकती है। जहाँ क्रिया का अभाव है,  वंही बाबा की सत्ता प्रकट होती है।

रवि भाई निष्काम भक्ति के विषय में सन्त कबीर भी कुछ ऐसा ही कहते है
 
प्रेम पियाला सो पियो, शीश दच्छिना देय
लोभी शीश न दे सकै, नाम प्रेम का लेय

वो कहते हैं कि प्रेम का प्याला वही प्रेमी पी सकता है जो अपना सिर दक्षिणा दे सकता है और जो भगवान का नाम केवल दिखाने के लिए लेता है वह लोभी कभी भी प्रेम नहीं कर सकता। यहाँ कबीरदास जी का अपना सिर दक्षिणा में दिने से आशय निष्काम भक्ति से है। हमारे दिमाग में भक्ति के समय भी अनेक बाते भरी होतीं है और अगर उन चिंताओं का बोझ सिर से उतार कर भक्ति में लीन हुआ जाये तभी सच्ची भक्ति प्राप्त हो सकती है।

कथन थोथी जगत में, करनी उत्तम सार
कह कबीर करनी भली, उतरै भौजल पार

उनका आगे यह भी कहना है कि अपने मुहँ से बातें करना बहुत आसन होता है परन्तु करना मुश्किल है। वास्तविकता यह है कि जब कोई अच्छा काम करेंगे, तभी इस जीवन रुपी भवसागर से पार हो सकेंगे।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 09, 2008, 10:08:27 PM
जय सांई राम।।।

आज का संकल्प

आईये आज हम यह संकल्प लें कि आज से हम अपने माता-पिता का किसी भी बात पर दिल नही दुखाऐंगे। और ऐसा हम सिर्फ आज ही नही बल्कि हर रोज़ करेंगे। फिर देखो कैसे आपका भी जीवन बाबामयी हो जायेगा, कैसे बाबा आपकी सुनते है और कैसे आपकी हर मुराद, हर कार्य को पूर्ण करते है।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 09, 2008, 10:32:13 PM
जय सांई राम।।।

बाबा भगवान होते हुऐ भी भगवान जैसे दूरस्थ, उच्च कोटि के परस्थ नही लगते,  वे सांई भक्तों के लिए माँ जैसे है, जब चाहे उनके पास जाओ,  दुःख-दर्द सुनाओ,  मन की तसल्ली पावो! जो चाहे मांगो,  झोली भर ले जाओ! शिर्डी एक ऐसा स्थान है,  जहां से कोई भी रिक्त हस्त - खाली हाथ लौटता नही है।

अगर कोई असन्तुष्ट लौटता है तो वह,  जिसे ५ दिन रहना था ३ दिन ही रहने को मिला पांछ बार दर्शन करने थे दो बार हुए! बस! सब की बिगड़ी  हुई यंहा बनती है! वे सब कुछ जानते है; कुछ कहने की ज़रूरत नही! बस केवल जाओ और उनके सामने खड़े हो जाओ! अपका काम बन जायेगा! इसीलिये तो रवि भाई ने अपने टापिक का नाम भी "आपके मन का सांई"  रखा है।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on January 09, 2008, 11:04:28 PM
ॐ सांई राम~~~

बाबा~~~मेरे दिल के सांई~~~मेरे बाबा~~~

बस,यही चाहूं गी कि कभी गल्ती से भी किसी के दिल को दुःख न पहुचाऊं।बाबा इतनी समझ देना।

मेरे मन दिल न किसी का दुखा
भले ही तूं ऱब को न मना,
न मंदिर जा,न दीपक जला
पर किसी को यूं ही न सता,
आंसू कही जो तेरे कारण बहे
न सोच कि तूं बच जाए गा,
ये आंसू नहीं दरिया है पाप का
जिसमें तूं गोते खाएगा,
छटपटाए गा,चिल्लाएगा
पर कोई न बचाएगा,
तेरी करनी क्या रंग लाए,
ये तो ऱब ही तुझे बताएगा~~~~

बस ,मेरे मन का सांई तो यही बोलता है कि कभी भी किसी इंसान का दिल ना दुखाऊं, ये गलती कभी ना हो मुझसे।चाहे कुछ और करूं ना करूं पर ये पाप ना हो मुझसे।

जय सांई राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dnarang on January 10, 2008, 12:12:24 AM
Mere Mann ka Sai Yehi kehta hai ki jo bhi karo, jiske liye bhi karo, sada uski bhalai ke liye karo. Kabhi kissi ka bura mat socho aur kabhi kisa ka bura mat karo. Baba kabhi bhi mujhse yeh galti na ho aur kabhi bhi me apne dar se kissi ko dutkaro nahi.
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 11, 2008, 09:02:46 AM
जय सांई राम।।।

मंदिर होये मूरत, हृदय बसे भगवन

ये छोटी सी कहानी हमारी माँ काफ़ी बार हम सारे भाई बहनो को दोहराती रहती थी। एक कस्बे में सुखी नामक बहू, अपने पति और साँस के संग रहा करती थी।  उनकी ईश्वर पर अटल श्रद्धा थी! लेकिन सांसजी को प्रभु पर कोई भरोसा ना था | किसी हादसे वश वो अपना विश्वास प्रभु पर से खो  चुकी थी!  हालाकी पती जी ईश्वर को मानते थे!

जब भी सुखी बहू ईश्वर का नाम स्मरण करने लगती, सांसजी टोक दिया करती, गुस्सा हो जाती!  सुखी बहू की जीवन में बस एक ही इच्छा थी, के पास के गांव जाकर, वंहा के हरी नारायण मंदिर के दर्शन करे, जो की काफ़ी जागृत देव स्थान माना जाता था!  मगर अपनी नास्तिक साँस से कभी अनुमति नही माँग पाई!

एक बार पती जी लंबे अरसे से बाहर देश गये! सुखी बहू दिन भर काम करती, प्रभु को याद करती, मिलके आने दो की रट सुनाती! सासू मां ने गुस्से में सुखी बहू को पेड़ के साथ बँधवा दिया, कस कर रस्सिया बँधी!  सुखी को ना वो खाना देती ना पानी!  ’अपने ईश्वर को बुलाओ मदद के लिए’  सुखी भी नारायण का जाप करे जा रही थी!

आख़िर प्रभु को दया आ ही गयी सुखी पर! उन्होने पति का रूप धरा और पहुँचे, जंहा सुखी को बाँध रखा था!  हालचाल पूछा, क्यों बँधा पूछा? सुखी ने प्रभु मिलन की इच्छा प्रगट की! पति रूप में जो प्रभु थे बोले “ठीक है, तुम सांसु मा को बिना बताए ही चली जाओ, तुम्हारी जगह यंहा हम रहेंगे, सब संभाल लेंगे! तुम जाओ और उस पत्थर की मूरत के दर्शन कर आओ”

जैसे ही सुखी चली गयी, प्रभु ने सुखी का रूप धारण किया, खुद बँध गये,पेड़ से!  सासू मां समझती,सुखी ही है, रोज ताने कसती उस पर! प्रभु बस मिथ्या हंस पड़ते!

इधर सुखी बहू मूरत के दर्शन कर खुश हुई!  पर पत्थर की मूरत में, उसे भगवान का तेज ना दिखाई दिया!  कुछ गांववाले जो तीर्थ से आए, उन्होने सुखी बहू मंदिर में होने की खबर सांसुजी तक पहुँचा दी!

सांसुजी विश्वास ना करे, कहे सुखी तो पेड़ से ही बँधी है |लोग भी जाते, देख कर हैरान हो जाते!

सुखी बहू घर लौटी, तो दो दो सुखी को देख कर सारे लोग भ्रम में पड़ गये!  दोनो कहती मैं असली बहू हूँ! आख़िर हार कर असली सुखी बोली ’प्रभु अब खेल खत्म करो, मैं मंदिर दर्शन तो कर आई, पर आप मुझे वंहा नही मिले, बस आपकी मूरत थी” और रो पड़ी !

प्रभु प्रकट हुए बोले सुखी बहू, इसलिए तो हमने कहा था, जाओ और उस पत्थर के मूरत के दर्शन करो, अरे जब हम यंहा है, आपके मन में है, वंहा कैसे मिलेंगे इतना कह चले गये !

प्रभु दर्शन पाकर सारे लोग धन्य हो चुके थे! सासु मां को भी अपनी ग़लती का एहसास हुआ!  सुखी बहू को भी समझ आ गया के प्रभु, हर हृदय में बसते है! चाहे वो इंसान का हो या किसी और प्राणी मात्र का! दिल से उन्हे याद करो, प्रभु ज़रूर भक्तो की पुकार सुनते है!

हमारी मां अक्सर कहती, कि प्रभु से मिलना हो तो मदिर जाओ ना जाओ, मगर किसी की मदद जरूर करो!

किसीसे दो मीठे लफ्ज़ कहो!  किसी और के लिए भी कभी दुआ करो, किसी की खोई मुस्कान लौटाओ, किसीकी तकलीफ़ को समझो, प्रभु तुम्हे वंही मिल जाएँगे!

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 20, 2008, 05:16:55 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई ने आज मुझसे कहा कि निरंतर सोच-विचार करने वाला मनुष्य अपने आपको क्षति पहुंचाता है। अगर वह हमेशा अपने शरीर में रोग के लक्षणों पर ही उधेड़ बुन करते रहेगा तो निश्चित रूप से एक दिन रोग ग्रस्त हो जायेंगे।  वो वहमी कहलाया जाने लगेंगा

जानते हो मेरे साथ भी यही कुछ हुआ था?   

अगर आप रोग ग्रस्त होते हुए भी अपने को रोगी नहीं मानते तो आप जल्दी ही रोग मुक्त हो जायेगें। आपका आत्मविश्वास और बाबा में श्रध्दा और सबूरी आपको हमेशा के लिये निरोगी बना देगा.

आपने प्राय: यह भी देखा होगा कि लोग अपने रोग के लक्षणों और अपनी दुर्बलताओं को बढा-चढाकर बताते हैं. शायद वे समझते हैं कि इससे उन्हें लाभ मिलेगा. मगर नहीं, इससे उनके रोग एवं क्षीणता में वृद्धि होती है. वे और ज्यादा दुर्बल हो जाते हैं. निरंतर सोच-विचार व्यक्ति को विक्षिप्त कर देता है.

आईये इस सप्ताह यही संकल्प लें कि हमारे जीवन में जो कुछ भी कमियां है उन्हें बाबा को समर्पित करे और उन्हे दूर करने की कोशिश करें।  याद रखिये आपके जीवन के लिये यह उपाय आगे चलकर बहुत कारगर सिद्द होगा।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saloni on January 21, 2008, 03:38:39 AM
mere man ka sai to kehta hai aur chahta bhi hai ki mein nirmel ho jau apne vicharo mein

kanjoos ho jau galat kerne mein, hout bolne mein, gussa kerne mein
dildar ho jau pyar kerne mein, dene mein, hassi lane mein

aise bahut si cheeze chahte hai mere man ke sai

aage aage ayengi sabhi baatein
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on January 21, 2008, 03:45:16 AM
ॐ साईं राम~~~

मेरे मन का साईं अपने बाबा से बस हर पल दुआ यही चाहे~~~

हे साईं इक करिश्मा दिखा दे
सब के दिलों में प्यार बसा दे,
नफरत का नामों निशा मिटा दे!
कोई किसी का दिल न दुखाएं
कोई किसी को न सताएं
हर कोई किसी के काम आए
न कोई रोए न तिलमिलाए
सिर्फ प्यार ही प्यार दिखाए
आँखों में न आँसू आए
केवल चहरे खिलखिलाएं
हे साईं ऐसा करिश्मा दिखा दे
सदा के लिए न सही,बस इक दिन के लिए ही दिखा दे!!!

जय साईं राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: MANAV_NEHA on January 21, 2008, 04:12:22 AM
आज मेरे मन का साई कहता है कुछ ऐसा करो जिसे दूसरो को खुशी हो इसे तुम्हारा मन भी खुश होगा
सबके गम को अपना समझो तुम्हारा गम भी कम होगा
जैसे खुशी बाटने से बढती है वैसे ही गम बाटने से कम होता है
जितनी खुशी हमे मन्दिर में जाकर प्रे करने से मिलती है उसे कही जयादा किसी निसहाये का सहारा बनने से मिलेगी अगर हम किसी का सहारा बनेगे तोह वो मालिक हमारा सहारा बानेगा
दूसरो का भला करोगे तुम्हारा भी होगा
अगर हम भगवान की पूजा न भी करे और अगर जन कल्याण के लिए एक भी पूरे दिन में काम करे वो भी भगवान की पूजा के समान है
मालिक दोनों ही कर्मो से परसन होता है
साई राम   
 
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 23, 2008, 04:32:40 AM
जय सांई राम।।।

Today Sai of  My Heart Said....

"Promise Yourself"

To be strong that nothing can disturb your peace.....
To talk health, happiness, prosperity to every person......
To make all your friends feel that there is something of value in them....
To think only the best, to work only for the best, and to expect the best.....
To be just as enthusiastic about the success of others as you are at your own....
To forget mistakes of the past and press on to the greater achievement of future.....
To wear a cheerful face at all times and give a pleasant smile to all you meet.....

"To give so much time your improvement that you've no time to critisize others."


दोस्तो सुनो अपने मन के सांई की सदा....

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 27, 2008, 06:33:18 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई की आज की आवाज़.....
 
तुम भी अपनी कोई पहचान रखना

मुस्कराहट....दोस्त की पहचान होती है
खुशबू.....फूल की पहचान होती है.
लहज़ा....ज़ज़बात की पहचान होता है
अलफाज़....इज़हार की पहचान होते है
सुर....नगमें की पहचान होते है
रक्स....खुशी की पहचान होते है.
आह....दर्द की पहचान होती है
दुआ....जज़बों की पहचान होती है
ज़र्फ....इन्सान की पहचान होता है
बूंद...बारिश की पहचान होती है
कतरा....दरिया की पहचान होता है
धड़कन....प्यार की पहचान होती है
हरारत.....ज़िन्दगी की पहचान होती है
गर्ज़ की हर शैय किसी ना किसी शैय से पहचानी जाती है
लेकिन ये....आंसू????
  Aansoo .. khushi key .. ghum key ... hotey hain aik jaisey ....
Inn Aansoouon ki koie .. pehchaan nahin hoti ...??
आंसू खुशी के....गम के....होते है एक जैसे....
इन आंसूओं की कोई पहचान नहीं होती
अगर आंसू की कोई पहचान नहीं होती
तो हमारी तुम्हारी सब की क्या पहचान है???
क्या हम भी इन्सानों के समन्दर में
एक कतरे की सी हैसियत नहीं रखते है?

खुद को पहचानो...और....अपनी पहचान बना कर जाओ
     
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 29, 2008, 08:05:56 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई की आज की आवाज़.....

अगर  चाहते  हो  जीवन  में  मिले  सफलता  का  सिंहासन...
मर्यादा   में रहना  सीखो,  करो  सदा  पालन  अनुशासन....
   
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Apoorva on January 30, 2008, 01:41:07 PM
आदरणीय रमेश जी,
आपकी साडी बातें इतनी अच्छी लगती है कि मन करता है कि बस सुनते जाओ | यह सत्य है कि हम सभी जानते है कि क्या सही है क्या ग़लत है, पर उसको भूल जाते है | मैं तो आपके लिये बालक ही हूँ पर फ़िर भी यह कहूँगा आप हम सभी के लिये एक सच्चे मार्गदर्शक है |
 
मेरे मन का साईं कहता है, भूखे को भोजन दो मेरा पेट भरेगा,
जरूरतमंद कि मदद करो, मुझे तुम्हारी दक्षिणा मिल जायेगी |
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on February 14, 2008, 08:47:55 AM
आदरणीय रमेश जी,
आपकी साडी बातें इतनी अच्छी लगती है कि मन करता है कि बस सुनते जाओ | यह सत्य है कि हम सभी जानते है कि क्या सही है क्या ग़लत है, पर उसको भूल जाते है | मैं तो आपके लिये बालक ही हूँ पर फ़िर भी यह कहूँगा आप हम सभी के लिये एक सच्चे मार्गदर्शक है |
 
मेरे मन का साईं कहता है, भूखे को भोजन दो मेरा पेट भरेगा,
जरूरतमंद कि मदद करो, मुझे तुम्हारी दक्षिणा मिल जायेगी |


जय सांई राम।।।

खुशामदीद मेरे भाई अपूर्वा!  ये तो तुम्हारा बढपन है कि तुम ऐसा महसूस करते हो!  दोस्त तुम बिलकुल सही कह रहे हो!  भारतीय होने के नाते बचपन से हम ना जाने कितने संस्कार अपने बड़े बुर्ज़गों से सीखते है! ना जाने कितने आर्दशों की कहानियाँ किस्से सुनते है लेकिन पर जब उनपर चलने, अमल करने की बात आती है तो हम सब भूल जाते है और ऐसे आगे बढ़ जाते है मानो वो आर्दश हमारे लिये नही किसी ओर के लिये कहे गये हो!

मेरे मन के सांई का आज का संदेश -  कभी ज़िन्दगी में किसी के लिये मत रोना.....क्योंकि वो तुम्हारे आंसूओं के काबिल नही होगा....और वो जो इस काबिल होगा.....वो तुम्हें कभी रोने नही देगा.....
   
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: meghadeep on February 18, 2008, 04:42:50 AM
Lab pe aati hai duaa ban ke tamanna meri........
Jindagi shamma ki surat ho khudaya meri.........

ho Mera kaam garibon ki himayat karna..........
dardmando se zaifon se muhabbat karna.........

mere baba 2.........Burai se bachana mujhko.......
nek jo rah ho us reh pe chalana mujhko.........

mere baba ...........her burai se bachana mujhko.........
nek jo rah ho us reh pe chalana mujhko.........

Dur Duniya ka tere dam se andhera ho jaaye...........
her jagha tere chamekne se Ujaala ho jaaye.........

Ho tere dam se yunhi mere watan ki zinat........
Jis tarha phool se hoti hai chaman ki Zinat.........

mere baba ...........her burai se bachana mujhko
nek jo rah ho us reh pe chalana mujhko
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on February 24, 2008, 12:20:15 AM
जय सांई राम।।।

आज एक बार फिर मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - रूक जाओ

बस रूक जाओ.  अभी. यहीं.  इसी वक्त.  एक क्षण आगे नहीं.  एक क्षण पीछे नहीं.  इसी घड़ी में इसी क्षण में रूक जाओ. अपने शरीर को स्थिर कर दो.  जड़वत.  शरीर का कोई हिस्सा हिलना नहीं चाहिए. तनिक भी नहीं.  हाथ जहां हैं रहने दो.  पैर जहां हैं वहीं रोक दो.  आंखें खुली हैं तो खुली ही रखना.  पुतलियों को रोक दो.  शरीर जिस हालत में है रहने दो. यह मत देखना कि यह टेढ़ा है तो थोड़ा सीधा कर दें. यह मत देखना कि थोड़ी रीढ़ की हड्डी सीधी कर लें. टेढ़े-मेढ़े आड़े-तिरछे जैसे हो वैसे ही स्थिर हो जाओ. थोड़ी देर उसी अवस्था में मन को अपने शरीर के साथ मिलाने की कोशिश करो. मन को अनुभव करो. सांस को अनुभव करो.

तुम्हें अपूर्व शांति का अनुभव होगा. तुम्हारा मन स्थिर हो जाएगा. सांस लयबद्ध हो जाएगी. शरीर और मन में नयी ताजगी भर जाएगी. क्या अनुभव होगा यह तुम जानों लेकिन जो अनुभव होगा वह तुम्हारे जीवन में बहुत काम आयेगा. 

ज्यादा नहीं. तीन-चार मिनट. ऐसे ही दिन में कई बार स्थिर होने का अभ्यास करो. जब याद आ जाए तो कर लेना. कोई नियम मत बनाना कि इतने बजे करना है. ऐसे करना है. बस जब याद आ जाए कर लेना. यात्रा करते हुए याद आ जाए तो कर लेना. बैठे-बैठे याद आ जाए तो कर लेना. चलते-चलते याद आ जाए तो कर लेना. कहीं किनारे खड़े हो जाना किसी अजनबी की भांति और बस वहीं थोड़ी देर के लिए स्थिर हो जाना. देखना दुनिया कैसे चल रही है और तुम कैसे स्थिर हो गये हो. धीरे-धीरे संसार का बहुत सारा रहस्य समझ में आने लगेगा.  अपने संकट और उनके समाधान भी समझ में आने लगेंगे.

तुम इसका अभ्यास करना. धीरे-धीरे ध्यान की ओर बढ़ने लगोगे. मन को पकड़ना शुरू कर दोगे. क्योंकि अब मन समझ में आने लगेगा. उसकी गति समझ में आने लगेगी. और एक बार इसकी गति समझ में आने लगे तो सुख-दुख का भेद अपने आप मिटने लगता है. बहुत कुछ होने लगता है. बहुत कुछ…..
   
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on February 24, 2008, 12:37:32 AM
Mere man ka Sai yeh kehtaa hai ki mein kissi ko dukh na do,kissi ko dokha na do,woh kaam  na karo jissey mere man ka Sai haan nahi kehtaa,mere dwaar se koi khaali haath na jai,mein kisi ke baddua na loo,Sach ki rah par sadaa chaloon................. :D :D

ALLAH MALIK!


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on February 24, 2008, 05:59:07 AM

जय सांई राम।।।

जहाँ तक है तुम्हारी दृष्टि...वो सारा आकाश तुम्हारा है...क्षितिज भ्रम है...पर उस विस्तार तक, तुम्हे पहुचाना-मेरा लक्ष्य है...तुम्हारा बाबा

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।। 
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on February 25, 2008, 02:33:46 AM
जय सांई राम।।।

आज के मेरे मन के सांई की आवाज़.....

चेहरे की हंसी से हर गम को छुपाओ
बहुत कुछ बोलो पर कुछ ना बताओ
खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ
ये राज़ है ज़िन्दगी का बस जीते ही जाओ।
 
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: R.K on March 09, 2008, 01:14:29 PM
मेरे मन का साई
मेरे मन का साई मुझसे कहना चाहता हैं अगर कुछ कर सकते हो तो किसी के लिए कुछ एसा करो की किसी को मुस्कराहट मिल सके, अगर कर सकते हो तो किसी के आसू रोको, कम से कम किसी के दुःख का कारन तो मत बनो.

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on March 16, 2008, 12:30:56 AM
मेरे मन का साई
मेरे मन का साई मुझसे कहना चाहता हैं अगर कुछ कर सकते हो तो किसी के लिए कुछ एसा करो की किसी को मुस्कराहट मिल सके, अगर कर सकते हो तो किसी के आसू रोको, कम से कम किसी के दुःख का कारन तो मत बनो.


जय सांई राम।।।

आर के भाई स्वागत है आपका बाबा सांई के इस मनोरम मंदिर में।  बहुत खूब लिखा है आपने - किसी के आसू रोको,  कम से कम किसी के दुःख का कारण तो मत बनो।  अति सुन्दर.....

हमेशा की तरह आज मेरे बाबा ने कहा कि

तुम जलो तो साथ रौशन जाने कितने दीप होंगे

तुम चलो तो हमकदम बन जाने कितने मीत होंगे

आदमी को आदमी की नज़र से बस देखना

जो मिलेंगे सच कहूँ 'मैं' वो बड़े विनीत होंगे
   
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on March 17, 2008, 05:19:42 AM
ॐ साईं राम~~~

आज मेरे मन का सांई....

कुछ मौन पल चाहे~~

खाली पन्नों पर
अपने शब्दों से रंग भरना चाहे...
उन शब्दों से सांई ही मूरत ही बन जाए...
उन शब्दों के रंग भरते भरते सब कुछ सांईमय हो जाए,
हम सब सांईमय हो जाए...
हम सब सांईमय हो जाए...
हम सब सांईमय हो जाए...

जय सांई राम~~~



       
 
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on March 30, 2008, 07:34:08 AM
जय सांई राम।।।

आज बहुत दिन हो गये अपने मन के मीत की बात कहे...कुछ तरंगें उठीं मन में आज फिर और मन के मीत ने अपने मन को जीतने की कुछ रीत सुझाई। सोचा आपसे साझा कर लूँ....आईये विचारें ये चंद सुझाव जिन्हें आज के दौर में टिप्स कहने का चलन है - बाबा की टिप्स।

एक ---- दूसरों को अपने विषय में बोलने दें।
दो ----- दूसरों की रूचि की बात करें।
तीन ----- दूसरों के महत्व को कम मत आँकें।
चार ----- बहस से बचें,  समझ और सुझाव का मार्ग अपनाएं।
पाँच----- कभी किसी को मुंह पर ग़लत न कहें।
छः ------ दूसरों के सामने स्वयं की आलोचना की हिम्मत रखें।
सात ----- कभी अपने मित्र को यह एहसास करायें कि कुछ मामलों में वह आपसे भी आगे निकल गया है।
आठ ------ अपने मित्र को उसकी जगह पर स्वयं को रखकर समझने की कोशिश करें।
नव -------- दूसरों की खासियत खोजें।
दस -------- अपनी कमजोरियों से जी न चुराएं।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on April 03, 2008, 03:21:42 AM
जय सांई राम।।।

बाबा के मन्दिर के पत्थरों की दास्तान...

कल मेरे मन के सांई मुझसे बोले कि तुम्हे मेरी शिरडी समाधि मन्दिर वाली मूर्ती कैसी लगती है मैने ज़वाब मे उतर दिया बाबा ये भी कोई पूछने की बात हुई।  ऐसी मनमोहक मूर्ती तो आज तक के किसी भी सांई मन्दिर की ना रही होगी। जब मै पहली बार १९९९ में शिरडी आया था तो आपकी इसी मूर्ती को देखने के पश्चात ही तो मैं आपका दीवाना बन गया था।  इस पर बाबा बोले सुनना चाहोगे मेरी इस मूर्ती के बनने की दास्तान। मै बोला बेशक बाबा बताओ ना।  इस पर बाबा ने मुझे यह कहानी सुनाई जिस पर अगर आप सब भी गौर करे तो यह हम सब पर बखूब लागू होती है।

जानते हो जब यह समाधि मन्दिर भूटी महाशय बनवा रहे थे तो रोज की तरह जब रात को जब महलसपति महाराज मन्दिर का द्वार बंद करके घर चले जाते तों आधी रात को पत्थर आपस में बात किया करते थे। वह पत्थर जो फर्श पर थे, मेरी मूर्तिवाले पत्थर से अक्सर बोला करते थे,  'तुम्हारी भी क्या किस्मत है लोग हमें अपने पैरों से रौंदते हुए, जूते - चप्पलो से कुचलते हुए तुम्हारे पास आयेगें और तुम्हारे आगे श्रद्धा से हाँथ जोड़ खड़े होंगे। तुमको फूल-मालाये चढ़ायेंगे। काश हम भी तुम्हारी जगह होते, पर हम तों यंहा फर्श पर लेटे-लेटे दर्द से कराहते रहते है। वाह! किस्मत हो तों तुम्हारे जैसी।

यह सुनकर मेरी मुर्तिवाला पत्थर बोला, 'भाई बात तों तुम ठीक कह रहे हो पर याद करो वो दिन जिस दिन मुझ पर छेनी और हथौड़ों से मुझे तराशा जा रहा था,  मैं उस चोट को बर्दाश्त करता रहता था,  तुम सब मुझपर हँस रहे होते थे, तरस खा रहे होते थे। अगर तुमने भी वैसी चोटे अगर अपने जिंदगी में खाई होती,  तों आज तुम भी यहाँ होते जहाँ मैं हूँ।

अंत में बाबा ने कहा कि बच्चे ध्यान लायक बात यह है कि जिंदगी में कामयाबी बिना संघर्ष और बिना तकलीफों के किसी को नही मिलती, जो लोग इसे झेलते है सफलता उन्ही को मिलती है,  किस्मत पर कुछ भी नही छोडा जा सकता।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on April 11, 2008, 09:04:17 PM
जय सांई राम।।।

आज एक बार फिर मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - रूक जाओ

बस रूक जाओ.  अभी. यहीं.  इसी वक्त.  एक क्षण आगे नहीं.  एक क्षण पीछे नहीं.  इसी घड़ी में इसी क्षण में रूक जाओ. अपने शरीर को स्थिर कर दो.  जड़वत.  शरीर का कोई हिस्सा हिलना नहीं चाहिए. तनिक भी नहीं.  हाथ जहां हैं रहने दो.  पैर जहां हैं वहीं रोक दो.  आंखें खुली हैं तो खुली ही रखना.  पुतलियों को रोक दो.  शरीर जिस हालत में है रहने दो. यह मत देखना कि यह टेढ़ा है तो थोड़ा सीधा कर दें. यह मत देखना कि थोड़ी रीढ़ की हड्डी सीधी कर लें. टेढ़े-मेढ़े आड़े-तिरछे जैसे हो वैसे ही स्थिर हो जाओ. थोड़ी देर उसी अवस्था में मन को अपने शरीर के साथ मिलाने की कोशिश करो. मन को अनुभव करो. सांस को अनुभव करो.

तुम्हें अपूर्व शांति का अनुभव होगा. तुम्हारा मन स्थिर हो जाएगा. सांस लयबद्ध हो जाएगी. शरीर और मन में नयी ताजगी भर जाएगी. क्या अनुभव होगा यह तुम जानों लेकिन जो अनुभव होगा वह तुम्हारे जीवन में बहुत काम आयेगा. 

ज्यादा नहीं. तीन-चार मिनट. ऐसे ही दिन में कई बार स्थिर होने का अभ्यास करो. जब याद आ जाए तो कर लेना. कोई नियम मत बनाना कि इतने बजे करना है. ऐसे करना है. बस जब याद आ जाए कर लेना. यात्रा करते हुए याद आ जाए तो कर लेना. बैठे-बैठे याद आ जाए तो कर लेना. चलते-चलते याद आ जाए तो कर लेना. कहीं किनारे खड़े हो जाना किसी अजनबी की भांति और बस वहीं थोड़ी देर के लिए स्थिर हो जाना. देखना दुनिया कैसे चल रही है और तुम कैसे स्थिर हो गये हो. धीरे-धीरे संसार का बहुत सारा रहस्य समझ में आने लगेगा.  अपने संकट और उनके समाधान भी समझ में आने लगेंगे.

तुम इसका अभ्यास करना. धीरे-धीरे ध्यान की ओर बढ़ने लगोगे. मन को पकड़ना शुरू कर दोगे. क्योंकि अब मन समझ में आने लगेगा. उसकी गति समझ में आने लगेगी. और एक बार इसकी गति समझ में आने लगे तो सुख-दुख का भेद अपने आप मिटने लगता है. बहुत कुछ होने लगता है. बहुत कुछ…..
  
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।


ॐ सांई राम~~~

आज मन का सांई बस यही चाह रहा है~~~~~~रूक जाऊं, थम जाऊं~~~~
बाबा के प्यार में ऐसी रंगू की रंग कभी ना उतरे~~~~~~
श्रद्धा का स्नान करके, सबुरी से तन मन रंग डालूं~~~

जय सांई राम~~~

       
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on April 21, 2008, 09:17:53 AM
जय सांई राम।।।

आज एक बार फिर मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - रूक जाओ

बस रूक जाओ.  अभी. यहीं.  इसी वक्त.  एक क्षण आगे नहीं.  एक क्षण पीछे नहीं.  इसी घड़ी में इसी क्षण में रूक जाओ. अपने शरीर को स्थिर कर दो.  जड़वत.  शरीर का कोई हिस्सा हिलना नहीं चाहिए. तनिक भी नहीं.  हाथ जहां हैं रहने दो.  पैर जहां हैं वहीं रोक दो.  आंखें खुली हैं तो खुली ही रखना.  पुतलियों को रोक दो.  शरीर जिस हालत में है रहने दो. यह मत देखना कि यह टेढ़ा है तो थोड़ा सीधा कर दें. यह मत देखना कि थोड़ी रीढ़ की हड्डी सीधी कर लें. टेढ़े-मेढ़े आड़े-तिरछे जैसे हो वैसे ही स्थिर हो जाओ. थोड़ी देर उसी अवस्था में मन को अपने शरीर के साथ मिलाने की कोशिश करो. मन को अनुभव करो. सांस को अनुभव करो.

तुम्हें अपूर्व शांति का अनुभव होगा. तुम्हारा मन स्थिर हो जाएगा. सांस लयबद्ध हो जाएगी. शरीर और मन में नयी ताजगी भर जाएगी. क्या अनुभव होगा यह तुम जानों लेकिन जो अनुभव होगा वह तुम्हारे जीवन में बहुत काम आयेगा. 

ज्यादा नहीं. तीन-चार मिनट. ऐसे ही दिन में कई बार स्थिर होने का अभ्यास करो. जब याद आ जाए तो कर लेना. कोई नियम मत बनाना कि इतने बजे करना है. ऐसे करना है. बस जब याद आ जाए कर लेना. यात्रा करते हुए याद आ जाए तो कर लेना. बैठे-बैठे याद आ जाए तो कर लेना. चलते-चलते याद आ जाए तो कर लेना. कहीं किनारे खड़े हो जाना किसी अजनबी की भांति और बस वहीं थोड़ी देर के लिए स्थिर हो जाना. देखना दुनिया कैसे चल रही है और तुम कैसे स्थिर हो गये हो. धीरे-धीरे संसार का बहुत सारा रहस्य समझ में आने लगेगा.  अपने संकट और उनके समाधान भी समझ में आने लगेंगे.

तुम इसका अभ्यास करना. धीरे-धीरे ध्यान की ओर बढ़ने लगोगे. मन को पकड़ना शुरू कर दोगे. क्योंकि अब मन समझ में आने लगेगा. उसकी गति समझ में आने लगेगी. और एक बार इसकी गति समझ में आने लगे तो सुख-दुख का भेद अपने आप मिटने लगता है. बहुत कुछ होने लगता है. बहुत कुछ…..
   
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।


ॐ सांई राम~~~

आज मन का सांई बस यही चाह रहा है~~~~~~रूक जाऊं, थम जाऊं~~~~
बाबा के प्यार में ऐसी रंगू की रंग कभी ना उतरे~~~~~~
श्रद्धा का स्नान करके, सबुरी से तन मन रंग डालूं~~~

जय सांई राम~~~

       


जय सांई राम।।।

तेरा सफर ही मंजिल है तेरी...
आ मुझसे गुजर तू...
अपनी मंजिल को चला चल....

आप सबको शायद कल के मेरे मन के सांई की कही बात में और आज के मेरे मन के सांई में विरोधाभास लगे लेकिन जब बात सांई की कही हो तो....

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on May 03, 2008, 12:34:08 AM
ॐ सांई राम~~~

मेरे बाबा मेरे सांई....आज बस यही बोल रहा है मेरे मन का सांई कि...

इस योग्य मैं नहीं हूँ,जो सांई तुझे बुलांऊ,
पर चाहती हूँ इतना,हर पल तुझे ध्याऊँ,
तूँ मेरा होवे न होवे,मैं तेरी बन जाऊँ~~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: my_sai on May 04, 2008, 09:16:29 AM
om sai ma ,
sai ma aaj merey man ka sai keh raha hai ki main apney is janam or pichley kai janamo main kiye huay apradho ke liye aap se or apney elders se haath jod ker shama chaati hoon . sai ma mujhey or merey periwar ko maafi milegi kya ?
sai ma ham sabko maaf ker do ,
hamain aasra e do apney cherno ki sheetal chaaya main

jai sai ram
jai sai ram
jai sai ram
jai sai ram
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on May 05, 2008, 02:37:47 AM
ॐ सांई राम~~~

आज मेरे मन का सांई पूछे मुझसे मैं क्या चाहती हूँ??

मैने कहाँ सांई~~ अब तो मैं तुझ से तुझे मागनां चाहती हूँ~
बनाया हुआ तेरा संसार देखा,
मगर अब मेरे सांई मैं बस तुझे ही देखना चाहती हूँ~~~

जय सांई राम~~~
       
 
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 06, 2008, 09:46:22 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई का आज का संक्षिप्त संदेश - यदि समस्या है तो समाधान है ही।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 07, 2008, 04:48:04 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई ने आज मुझसे कहा - सच बोलने मे थोड़ी सी परेशानी जरुर होती है पर बाद मे जब सब कुछ ठीक हो जाता है तो मज़ा आने लगता है . फिर तो ऐसी आदत हो जाती है कि चाहे सच कितना ही कड़वा क्यूं ना हो मुह से सच ही निकलता है. मेरा अपना अनुभव रहा है कि एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है.

क्यूं सच है ना ????

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on May 07, 2008, 05:06:08 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई ने आज मुझसे कहा - सच बोलने मे थोड़ी सी परेशानी जरुर होती है पर बाद मे जब सब कुछ ठीक हो जाता है तो मज़ा आने लगता है . फिर तो ऐसी आदत हो जाती है कि चाहे सच कितना ही कड़वा क्यूं ना हो मुह से सच ही निकलता है. मेरा अपना अनुभव रहा है कि एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है.

क्यूं सच है ना ????

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।


ॐ सांई राम~~~

हांजी रमेश भाई...

बिल्कुल सही कहा आप ने एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है....

और एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ और बोलने पङते है....

जय सांई राम~~~

       
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 09, 2008, 08:42:37 AM
जय सांई राम।।।

Today My मन का साई asked BABA SAI, "How do I get best out of life?"

BABA said, "Face your past without regret. Handle you present with confidence.  And prepare your future without fear".

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 10, 2008, 06:48:03 AM
जय सांई राम।।।

Today My मन का साई said....

Whenever you are silent, you are close to 'ME'.  Whenever your mind begins chattering, you start going away from 'ME'.

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 11, 2008, 08:26:39 AM
जय सांई राम।।।

Today My मन का साई said....

Don't Spend TIME Just Working And Being Busy.  You will Always Complain about Lack of Time.
 
Instead Put a Little Bit of Effort; Plan and Organize Your Life. You will Realize That You have TIME for Everything....

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 15, 2008, 11:34:27 PM
जय सांई राम।।।

Today My मन का साई said....

We must have respect and understanding for women and all female life on this Earth which bears the sacred gift of life."
 
HE further said that many men of today had lost their ability to look at the Woman in a sacred way. HE said we are only looking at Her in a physical sense and had lost the ability to look at Her sacredness. HE emphasized that the Woman has a powerful position in the Unseen World. She has the special ability to bring forth life.

Today BABA's message for all of us is to start showing respect to all women in our life and to look upon them in a sacred manner. We must start this today.

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 22, 2008, 09:29:30 AM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - मन बुरा नहीं है इसे सुंदर भावनाओं से तरंगित करो तो यही मन सुंदर विचारों से ऊँचाइयों को छू लेगा, और अगर बुरे विचारों से भरोगे तो यह न्यूनतम से न्यूनतम नीचे गिर जाता है ! इसलिए मन के अन्दर उठती तरंगों को पवित्र बनाए रखो !

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 25, 2008, 08:55:00 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के साई की बात आज फिर आप सब के लिये -

थक जाओ गर पथरीले रास्तों पे चलते हुऐ
कभी सोच ना लेना कि वंहा तन्हा हो तुम
मूंद कर पलको को अपनी जो तुम देखोगे
अपने साथ ही सदा मुझ को पाओगे तुम

हर वक्त बुरा कट जाता है, यकीन करना
आँखों में कभी तुम अश्क ना भर लेना
गम बढ़ जाये, मुस्कराहट खोने लगे
अपनी दुआओं में मुझ को पाओगे तुम

इश्क नाम तो नहीं है मिलन का, दीदार का
दिल से दिल का मिल जाना है नाम्-ए-मौहब्बत
जो याद आ जाये मेरी, ना समझना कि दूर हूँ
अपने सीने में धड़कता मुझ को पाओगे तुम

वक्त की गरमी जो झुलसाने लगे वजूद
मेरी चाहत की नमी को महसूस करना
जो सर्द हवाऐं ज़माने की आने लगें पास
मेरी शिरडी की गरमी को महसूस करना

मै तुमसे जुदा तो नही हूँ मेरे प्यारे बच्चो
अपने साथ ही सदा मुझ को पाओगे तुम सदा।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on May 27, 2008, 11:08:21 PM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - तुम सब प्रकाश हो!  तुम्हारी शक्ति अपरमपार है! लेकिन तुम सब अपनी शक्ति को भूल गये हो!  पिता परमात्मा ने तुम लोगों को ज्योति स्वरूप की तरह इस जगत में भेजा है! तुम सभी जँहा भी रहो अपने हिस्से का प्रकाश फैलाते रहो!  जहाँ भी रहो उस स्थान को प्रकाशित करते रहो!

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on June 04, 2008, 03:49:27 AM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा -

अपने लौ को सदैव मध्यम ही जलने देना
देखना प्रकाश पर खुद के कभी घमंड न हो
प्रेरणा बनो सबकी, दिखाना राह-ए-नज़र
सबको मेरी शिरडी की
और दीप बन तुम जलते रहना यूंही सदा निरंतर!

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on June 05, 2008, 03:57:29 AM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - "धैर्य रखो,  देखो घबराओं मत, हिम्‍मत से काम लो। समय को देखकर बर्ताव करो। मन से सारे भय को निकाल दो।" 

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on June 06, 2008, 10:14:47 AM
जय सांई राम़।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - Here is a top-10 list of positive emotions. I don't know whether you will find them in Sai Satcharitra or not because these were not needed in those days but now in present day context, they are needed more than anything else, you will find it's a pretty good list. See how many of these you can feel today.

1. Joy/happiness
2. Confidence/self-esteem
3. Optimism/positive thinking
4. Interest/curiosity
5. Amusement/humor
6. Contentment/serenity/tranquility
7. Love/affection/warmth/caring
8. Respect/positive regard
9. Pride/satisfaction/achievement
10. Gratitude/thankfulness

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on June 15, 2008, 04:33:25 AM
ॐ सांई राम~~~

ओ,मेरे मन के सांई बस अब तूं सांई सांई बोल~~~

सांई कृपा अनन्त है , सांई नाम अनमोल~~~
जन्म सफल हो जाये गा, सांई सांई बोल~~~

सांई सांई बोल~~~सांई सांई बोल~~~सांई सांई बोल~~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on July 21, 2008, 09:07:06 AM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा -

अंधेर भरे जीवन में जलाने
के लिए एक जोत लाया हू!
मायूसी भरी आखो के लिए
एक प्यारा -सा ख्वाब लाया हू!
निराशा पूर्ण जीवन के लिए
आशा के एक किरण लाया हू!|
काली घनेरी अमावस्या की रात में
पूनम का चाँद लाया हू!
सूखे रेगिस्तान में आज
पानी की फुहार लाया हू!
आज मुसीबतों से भरे जीवन के लिए
समाधानों का भंडार लाया हू!
अशांत मन के लिए
शान्ति भरा अहसास लाया हू!
मै आज आपको आप मे
जल रही आग से परिचित कराने आया हू!
मै कोई और नही बल्कि आपके
ही दिल की धड़कन हू जो आज
आपके सामने आपका सांईसारथी बनकर आया हू!

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 02, 2008, 02:02:49 AM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा -

जब दिल हो उदास
बस आँखें बंद कर लेना
और न हो कोई पास
तो खुद से तुम कह देना
बस आँखें बंद कर लेना
देखो तुम यूँ न रोना
अपनी प्यारी आँखें को
आंसू में न डुबोना
जब भी आये मेरी याद
बस आँखें बंद कर लेना
समझना मैं जानता हूँ तुम्हारा हाल
मैं नज़र नहीं आता पर होता हूँ
बिलकुल तेरे करीब तेरे ह्रदय में बसा सदा
तुम मुझे अपना दर्द बता देना
मत होना उदास
बस आँखें बंद कर लेना

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: SaiServant on August 02, 2008, 03:58:41 PM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा -

जब दिल हो उदास
बस आँखें बंद कर लेना
और न हो कोई पास
तो खुद से तुम कह देना
बस आँखें बंद कर लेना
देखो तुम यूँ न रोना
अपनी प्यारी आँखें को
आंसू में न डुबोना
जब भी आये मेरी याद
बस आँखें बंद कर लेना
समझना मैं जानता हूँ तुम्हारा हाल
मैं नज़र नहीं आता पर होता हूँ
बिलकुल तेरे करीब तेरे ह्रदय में बसा सदा
तुम मुझे अपना दर्द बता देना
मत होना उदास
बस आँखें बंद कर लेना

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।


Dearest Ramesh Bhai, thanks for such heart touching words.
May Baba bless our Bhai!

Om Sai Ram!
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on August 02, 2008, 09:13:47 PM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा -

जब दिल हो उदास
बस आँखें बंद कर लेना
और न हो कोई पास
तो खुद से तुम कह देना
बस आँखें बंद कर लेना
देखो तुम यूँ न रोना
अपनी प्यारी आँखें को
आंसू में न डुबोना
जब भी आये मेरी याद
बस आँखें बंद कर लेना
समझना मैं जानता हूँ तुम्हारा हाल
मैं नज़र नहीं आता पर होता हूँ
बिलकुल तेरे करीब तेरे ह्रदय में बसा सदा
तुम मुझे अपना दर्द बता देना
मत होना उदास
बस आँखें बंद कर लेना

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

ॐ सांई राम~~~

रमेश भाई,
सांईराम

ये बाबा ने आप से शायद मेरे लिए लिखवाया है..........हाँ बाबा है साथ मेरे करीब मेरे ह्रदय में~~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on August 11, 2008, 12:38:57 AM
जय सांई राम।।।

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा -

जब दिल हो उदास
बस आँखें बंद कर लेना
और न हो कोई पास
तो खुद से तुम कह देना
बस आँखें बंद कर लेना
देखो तुम यूँ न रोना
अपनी प्यारी आँखें को
आंसू में न डुबोना
जब भी आये मेरी याद
बस आँखें बंद कर लेना
समझना मैं जानता हूँ तुम्हारा हाल
मैं नज़र नहीं आता पर होता हूँ
बिलकुल तेरे करीब तेरे ह्रदय में बसा सदा
तुम मुझे अपना दर्द बता देना
मत होना उदास
बस आँखें बंद कर लेना

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

ॐ सांई राम~~~

ओ,मेरे मन के सांई बस अब तूं सांई सांई बोल~~~

सांई कृपा अनन्त है , सांई नाम अनमोल~~~
जन्म सफल हो जाये गा, सांई सांई बोल~~~

सांई सांई बोल~~~सांई सांई बोल~~~सांई सांई बोल~~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 13, 2008, 08:46:53 AM
जय सांई राम।।।

जाने क्या चाहे मन बावरा

मन संसार की सबसे बड़ी पहेली, मन संसार का सबसे जटिल तत्व, मन विचारो कि झुरमुट में बसी एक छोटी सी झील, मन................बस मन!

मन कब क्या चाहे कोई नही जानता, क्यो इतने सवाल पूछे यह भी कोई नही जानता, मन मनुष्य का सबसे सगा मित्र, मन ही आत्मन, मन ही ईश्वर।

मन न जाने कब गुनगुनाये, कब छोटे बच्चो कि तरह न जाने क्या जिद्द कर जाए? मन कभी ज़मी पर कभी आसमां पर कभी तितली बन पेड़ों की शाखों पर, कभी मछली बन लहरों की हिलोरों पर, मन कभी मुस्कुराता हुआ, कभी बिन बात रोता हुआ, कभी हसता हुआ, कभी सुनाता हुआ, मन की महिमा मन ही जाने ।

इस मन को समझने के लिए न जाने कितने ऋषि मुनियों ने युगों-युगों तक तपस्या की, न जाने कितने ग्रंथो का वाचन किया, न जाने कितने तीरथ धाम घूम लिए, इस मन के चक्कर में न जाने कितने गृहस्थ साधू हो गए, न जाने कितने आश्रम गुरुकुल खुल गए, पर ये मन और इसकी चाहत फ़िर भी कोई नही समझ पाया।

कहते हैं मन पर काबू रखो, इसे नियंत्रण में रखो पर भाई ये तो हवा हैं, इसे कौन रोक पायेगा? तूफानी नदियां हैं बाँध भी टूट जाएगा, मन पंछी हैं, हर मौसम उड़ता जाएगा, मन लोकगीत हैं अनजाने ही स्फुटित हो जाएगा ।

कौन समझ पाया हैं मन की माया? हम उसे पूर्व में ले जाना चाहते हैं और वह जाता हैं उत्तर में, हम उसे अपनी समझाते हैं वह हमे अपनी ही धुन पर नचवाता हैं।

मन सबसे कुछ अलग हैं, वह अद्भुत हैं आलौकिक हैं, अनादी हैं, मन श्रृंगार हैं, वात्सल्य हैं,  मन एक बूंद हैं जीवनदाई जल सी, मन सागर हैं, मन प्रेम हैं, मन आनंद हैं।

मन को पूरी तरह कोई न समझ सका न समझ पायेगा, मन पर कोई पहरे न बिठा सका न बिठा पायेगा, क्योकि मन स्वयम्भू हैं,  मन ही शिव हैं मन ही राम है वह हमारी आत्मा का हिस्सा हैं, मन त्रिगुनो त्रिलोकों तीर्थो से परे हैं, मन परे हैं चतुर्वेदो से, धर्मो से, दर्शनों से।

मेरी नज़र में मन ही एकमात्र सच्चा मित्र हैं मानव का, इसलिए जब भी लगे जाने क्या चाहे मन बावरा... तो दिमाग चलाना बंद करे, खुदको एकदम चुप करो और सुनो मन की, उसकी कही करो, मन के नाम पर स्वछंदता का मैं हिमायती नही, पर सबसे प्रेम करो, सारी धरणी को मन से चाहो, फ़िर मन आपको कभी नही भटकायेगा, सच कहें तो वह कभी नही भटकाता, भटकते हम हैं और दोष देते हैं मन को, मन जैसा कोई संगी नही साथी नही सरल नही, अपने मन से पूछें और जिन्दगी की हर परेशानी को दूर करे, मन की माने, उसकी चाहतो को जाने अपने सच्चे मित्र की तरह।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 17, 2008, 01:15:31 AM
जय सांई राम।।।

मन कचरा है!  ऐसा नहीं है कि आपके पास कचरा है और दूसरों के पास नहीं है। मन ही कचरा है। और अगर आप कचरा बाहर भी फेंकते रहें,  तो जितना चाहे फेंकते रह सकते हैं,  लेकिन यह कभी खत्म होने वाला नहीं है। यह खुद ही बढ़ने वाला कचरा है। यह मुर्दा नहीं है, यह सक्रिय है। यह बढ़ता रहता है और इसका अपना जीवन है,  तो अगर हम इसे काटें तो इसमें नई पत्तियां प्रस्फुटित होने लगती हैं।

तो इसे बाहर निकालने का मतलब यह नहीं है कि हम खाली हो जाएंगे। इससे केवल इतना बोध होगा कि यह मन, जिसे हमने अपना होना समझ रखा था, जिससे हमने अब तक तक तादात्म्य बना रखा था, यह हम ही हैं। इस कचरे को बाहर निकालने से हम प्रथकता के प्रति सजग होंगे,  एक खाई के प्रति,  जो हमारे और इसके बीच है। कचरा रहेगा, लेकिन उसके साथ हमारा तादात्म्य नहीं रहेगा, बस। हम अलग हो जाएंगे, हम जानेंगे कि हम अलग हैं।

तो हमें सिर्फ एक चीज करनी है - न तो कचरे से लड़ने की कोशिश करें और न उसे बदलने की कोशिश करें - सिर्फ देखें! और, स्मरण रखें, 'मैं यह नहीं हूं।'  इसे मंत्र बना लें - 'मैं यह नहीं हूं।'  इसका स्मरण रखें और सजग रहें और देखें कि क्या होता है।

तत्क्षण एक बदलाहट होती है। कचरा अपनी जगह रहेगा, लेकिन अब वह हमारा हिस्सा नहीं रह जाता। यह स्मरण ही उसका छूटना हो जाता है।

आईये आज़मायें इसे आज से....बहुत कारगर साबित होगा।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on August 18, 2008, 12:33:51 AM
ॐ सांई राम~~~

सदा मेरे मन के सांई की पुकार~~~

ऐसी कृपा बाबा करो मेरो,
नाम ना विसरू पल भी तेरो.....

जय सांई राम~~~
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saisewika on September 05, 2008, 11:21:19 AM
ॐ साईं राम
मेरे मन का साईं अक्सर चुप रहता है. कुछ बोलता नही......
बस साक्षी बना सब देखता है.......
लेकिन आज मेरे मन का साईं दुखी है.......बहुत दुखी ......
हमारी इस प्यारी द्वारकामाई में बाबा जी के ही दिन जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है...वह क्यों हुआ? कौन दोषी है ?.......किसने क्या किया ? क्यो किया ? इससे कोई फर्क नहीं पङता. फर्क पङता है तो इस बात से की हमारी द्वारकामाई की छवी पर तो इस विवाद का कोई असर नहीं पडेगा?.हम यहाँ आते हैं तो इस लिए की हम साईं भक्तों की संगती में होते हैं तो ख़ुद को सौभाग्यशाली समझते हैं...सारा जहाँ जैसे साईंमय हो जाता है. सब साईं भक्त हैं सबके दिल में साईं का वास है सब साईं की ही बात करते हैं तो लगता है की हम शिर्डी पहुँच गए ......लेकिन कल सारे विवाद में साईं कहीं नही थे.......भक्त भी नहीं थे........बस रस्साकशी थी.....कौन सही है कौन ग़लत यह साबित करने की कोशिशें थी.........
मेरे मन के साईं ने कहा की क्यों ना सब कुछ बाबा पर ही छोड़ दें हम ख़ुद क्यों जज की कुर्सी पर बैठें ?
जब सारा जीवन ही उन्हें सौंप दिया है तो सारे मसले भी उन्हें ही सुलझाने दें तो बेहतर होगा......

जय साईं राम   
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: SaiServant on September 05, 2008, 11:20:22 PM
ॐ साईं राम
मेरे मन का साईं अक्सर चुप रहता है. कुछ बोलता नही......
बस साक्षी बना सब देखता है.......
लेकिन आज मेरे मन का साईं दुखी है.......बहुत दुखी ......
हमारी इस प्यारी द्वारकामाई में बाबा जी के ही दिन जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है...वह क्यों हुआ? कौन दोषी है ?.......किसने क्या किया ? क्यो किया ? इससे कोई फर्क नहीं पङता. फर्क पङता है तो इस बात से की हमारी द्वारकामाई की छवी पर तो इस विवाद का कोई असर नहीं पडेगा?.हम यहाँ आते हैं तो इस लिए की हम साईं भक्तों की संगती में होते हैं तो ख़ुद को सौभाग्यशाली समझते हैं...सारा जहाँ जैसे साईंमय हो जाता है. सब साईं भक्त हैं सबके दिल में साईं का वास है सब साईं की ही बात करते हैं तो लगता है की हम शिर्डी पहुँच गए ......लेकिन कल सारे विवाद में साईं कहीं नही थे.......भक्त भी नहीं थे........बस रस्साकशी थी.....कौन सही है कौन ग़लत यह साबित करने की कोशिशें थी.........
मेरे मन के साईं ने कहा की क्यों ना सब कुछ बाबा पर ही छोड़ दें हम ख़ुद क्यों जज की कुर्सी पर बैठें ?
जब सारा जीवन ही उन्हें सौंप दिया है तो सारे मसले भी उन्हें ही सुलझाने दें तो बेहतर होगा......

जय साईं राम  



Om Sai Baba!

Very sad indeed! I'm shocked and speechless that such a situation has arisen among Sai devotees. I visited this forum after many days, and read something that makes me ashamed before Baba.

Baba, please forgive them, for they don't know what they are doing. Or, could it be your wish? only You know the answer, Baba Sai..

Om Sai Ram!

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on September 05, 2008, 11:58:48 PM
ॐ साईं राम
मेरे मन का साईं अक्सर चुप रहता है. कुछ बोलता नही......
बस साक्षी बना सब देखता है.......
लेकिन आज मेरे मन का साईं दुखी है.......बहुत दुखी ......
हमारी इस प्यारी द्वारकामाई में बाबा जी के ही दिन जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है...वह क्यों हुआ? कौन दोषी है ?.......किसने क्या किया ? क्यो किया ? इससे कोई फर्क नहीं पङता. फर्क पङता है तो इस बात से की हमारी द्वारकामाई की छवी पर तो इस विवाद का कोई असर नहीं पडेगा?.हम यहाँ आते हैं तो इस लिए की हम साईं भक्तों की संगती में होते हैं तो ख़ुद को सौभाग्यशाली समझते हैं...सारा जहाँ जैसे साईंमय हो जाता है. सब साईं भक्त हैं सबके दिल में साईं का वास है सब साईं की ही बात करते हैं तो लगता है की हम शिर्डी पहुँच गए ......लेकिन कल सारे विवाद में साईं कहीं नही थे.......भक्त भी नहीं थे........बस रस्साकशी थी.....कौन सही है कौन ग़लत यह साबित करने की कोशिशें थी.........
मेरे मन के साईं ने कहा की क्यों ना सब कुछ बाबा पर ही छोड़ दें हम ख़ुद क्यों जज की कुर्सी पर बैठें ?
जब सारा जीवन ही उन्हें सौंप दिया है तो सारे मसले भी उन्हें ही सुलझाने दें तो बेहतर होगा......

जय साईं राम   




Om Sai Baba!

Very sad indeed! I'm shocked and speechless that such a situation has arisen among Sai devotees. I visited this forum after many days, and read something that makes me ashamed before Baba.

Baba, please forgive them, for they don't know what they are doing. Or, could it be your wish? only You know the answer, Baba Sai..

Om Sai Ram!


Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Raz on September 07, 2008, 10:27:28 AM
ॐ साईं राम~~~

आज मेरे मन का सांई....

कुछ मौन पल चाहे~~

खाली पन्नों पर
अपने शब्दों से रंग भरना चाहे...
उन शब्दों से सांई ही मूरत ही बन जाए...
उन शब्दों के रंग भरते भरते सब कुछ सांईमय हो जाए,
हम सब सांईमय हो जाए...
हम सब सांईमय हो जाए...
हम सब सांईमय हो जाए...

जय सांई राम~~~



       
 
जय सांई राम।।।

आज एक बार फिर मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - रूक जाओ

बस रूक जाओ.  अभी. यहीं.  इसी वक्त.  एक क्षण आगे नहीं.  एक क्षण पीछे नहीं.  इसी घड़ी में इसी क्षण में रूक जाओ. अपने शरीर को स्थिर कर दो.  जड़वत.  शरीर का कोई हिस्सा हिलना नहीं चाहिए. तनिक भी नहीं.  हाथ जहां हैं रहने दो.  पैर जहां हैं वहीं रोक दो.  आंखें खुली हैं तो खुली ही रखना.  पुतलियों को रोक दो.  शरीर जिस हालत में है रहने दो. यह मत देखना कि यह टेढ़ा है तो थोड़ा सीधा कर दें. यह मत देखना कि थोड़ी रीढ़ की हड्डी सीधी कर लें. टेढ़े-मेढ़े आड़े-तिरछे जैसे हो वैसे ही स्थिर हो जाओ. थोड़ी देर उसी अवस्था में मन को अपने शरीर के साथ मिलाने की कोशिश करो. मन को अनुभव करो. सांस को अनुभव करो.

तुम्हें अपूर्व शांति का अनुभव होगा. तुम्हारा मन स्थिर हो जाएगा. सांस लयबद्ध हो जाएगी. शरीर और मन में नयी ताजगी भर जाएगी. क्या अनुभव होगा यह तुम जानों लेकिन जो अनुभव होगा वह तुम्हारे जीवन में बहुत काम आयेगा. 

ज्यादा नहीं. तीन-चार मिनट. ऐसे ही दिन में कई बार स्थिर होने का अभ्यास करो. जब याद आ जाए तो कर लेना. कोई नियम मत बनाना कि इतने बजे करना है. ऐसे करना है. बस जब याद आ जाए कर लेना. यात्रा करते हुए याद आ जाए तो कर लेना. बैठे-बैठे याद आ जाए तो कर लेना. चलते-चलते याद आ जाए तो कर लेना. कहीं किनारे खड़े हो जाना किसी अजनबी की भांति और बस वहीं थोड़ी देर के लिए स्थिर हो जाना. देखना दुनिया कैसे चल रही है और तुम कैसे स्थिर हो गये हो. धीरे-धीरे संसार का बहुत सारा रहस्य समझ में आने लगेगा.  अपने संकट और उनके समाधान भी समझ में आने लगेंगे.

तुम इसका अभ्यास करना. धीरे-धीरे ध्यान की ओर बढ़ने लगोगे. मन को पकड़ना शुरू कर दोगे. क्योंकि अब मन समझ में आने लगेगा. उसकी गति समझ में आने लगेगी. और एक बार इसकी गति समझ में आने लगे तो सुख-दुख का भेद अपने आप मिटने लगता है. बहुत कुछ होने लगता है. बहुत कुछ…..
  
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Raz on September 08, 2008, 09:32:32 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई ने आज मुझसे कहा - सच बोलने मे थोड़ी सी परेशानी जरुर होती है पर बाद मे जब सब कुछ ठीक हो जाता है तो मज़ा आने लगता है . फिर तो ऐसी आदत हो जाती है कि चाहे सच कितना ही कड़वा क्यूं ना हो मुह से सच ही निकलता है. मेरा अपना अनुभव रहा है कि एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है.

क्यूं सच है ना ????

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।


ॐ सांई राम~~~

हांजी रमेश भाई...

बिल्कुल सही कहा आप ने एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है....

और एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ और बोलने पङते है....

जय सांई राम~~~

       
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: SaiServant on September 08, 2008, 10:03:04 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई ने आज मुझसे कहा - सच बोलने मे थोड़ी सी परेशानी जरुर होती है पर बाद मे जब सब कुछ ठीक हो जाता है तो मज़ा आने लगता है . फिर तो ऐसी आदत हो जाती है कि चाहे सच कितना ही कड़वा क्यूं ना हो मुह से सच ही निकलता है. मेरा अपना अनुभव रहा है कि एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है.

क्यूं सच है ना ????

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।


ॐ सांई राम~~~

हांजी रमेश भाई...

बिल्कुल सही कहा आप ने एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है....

और एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ और बोलने पङते है....

जय सांई राम~~~

       


Om Sai Ram!


Truth must be upheld at all costs. But, before we do that we need to make sure that something is "True'.  By merely acting on circumstantial evidence, we can end up convicting an innocent person.

Violence is not only physical, it can be mental and emotional also. We don't need weapons to hurt, maim or kill others. We can use words to do that.  If truth is bitter or violent, it is better to keep silent. Instead of wounding or hurting others by the truth, it pays to keep silent and leave it to God.

We know many instances in the lives of saints and sages who either maintained silence or spoke evasively to save a situation. Even in the life of Baba, we see how He avoided speaking when there was something delicate at stake.

If words are silver, silence is golden. We need to use our power of discrimination to see the difference.


Om Sai Ram!
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on September 19, 2008, 08:51:40 AM
जय सांई राम।।।

लेकिन मेरे मन का सांई तो सदा खुश रहता है। मैं अपनी कह सकता हूँ जब से मै उनकी शरण में आया हूँ मैने तो उन्हे हमेशा बस मन्द मन्द रहस्यमयी हंसी हंसते ही देखा है।  अरे ये तो रीत है ज़माने की इन छोटी छोटी बातों से हमे परेशान नही होना चाहिये। इस जहां में हर तरह के लोग होते हैं। सबको लौट के आना ही है शरण् में अपने बाबा की।  कुछ आसान और सरल रास्ते से आते हैं कुछ ललचाने वाला लम्बा रास्ता तय करके आते है। आना सबको ही है। तभी तो मेरे बाबा कहते है।

चिराग़ जला के मेरे नाम का,
चाहे वो बुझ जाए फिर भी,
मुझे इन्तज़ार है,
कि तू आएगा,
खुली आंखों से न सही,
बन्द पलकों के तले,
मै तेरी एक आंसू की बूंद-सा,
ठहर जाऊगा,
मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
कि तू आएगा।
न इस तरह से मुझे,
भूल जाने की कौशिश कर,
मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
तू मुझे भूल नही पाएगा,
मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
कि तू आएगा ज़रूर आएगा
क्योंकि मैं...
मैं तेरा सांई...
सांई बाबा हूँ...

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on September 26, 2008, 07:59:24 AM
जय सांई राम।।।

जीवन एक संग्राम है,  और जीवन के संग्राम अपने आपको जीतने से जीते जा सकते हैं....

इसलिये कोशिश करके शरीर को सेवा-श्रम में लगाओ!  इन्द्रियों को सयंम में लगाओ! मन को सुविचारों में लगाओ ! वाणी को सुशब्दों में लगाओ!  जीवन अपने आप सफल होने लगेगा....

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on October 20, 2008, 09:35:45 AM
जय सांई राम।।।

मैं तुम्हारे साथ हूँ एक अहसास की तरह मुझे बस इतना कहना है तुम सबसे, कभी मैं याद आऊ तो....

कभी तन्हाई की राते तुम्हें ज़्यादा सतायें तो...
कभी तितली ना बोले तो, और जुगुनू लौट जाये तो...
कभी दिल भी भर जाये, कोई जब सुन ना पाये तो...
कभी सब दोस्त साथी भी जो तुम से रूठ जायें तो...

कभी जब खुद से लड़ कर थकान से चूर हो जाओ तो...
कभी चाहते हुऐ भी खुद अकेले रो ना पाओ तो...
अपनी आंखों को बन्द करना और मुझे आवाज़ दे देना...
फिर मेरे तसवुर से जो चाहे बाते कह देना...
मेरे चरणों में बैठकर जितना चाहे रो लेना...

अन्त में बस यही कहना है कि जब भी दुख याँ खुशियों में...
हमे दिल से पुकारोगे तो मुझे हमेशा अपने संग ही पाओगे
क्योंकि मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ एक अहसास की तरह....

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: tana on October 31, 2008, 04:37:57 AM
ॐ सांई राम~~~

बाबा~~~मेरे दिल के सांई~~~मेरे बाबा~~~

बस,यही चाहूं गी कि कभी गल्ती से भी किसी के दिल को दुःख न पहुचाऊं।बाबा इतनी समझ देना।

मेरे मन दिल न किसी का दुखा
भले ही तूं ऱब को न मना,
न मंदिर जा,न दीपक जला
पर किसी को यूं ही न सता,
आंसू कही जो तेरे कारण बहे
न सोच कि तूं बच जाए गा,
ये आंसू नहीं दरिया है पाप का
जिसमें तूं गोते खाएगा,
छटपटाए गा,चिल्लाएगा
पर कोई न बचाएगा,
तेरी करनी क्या रंग लाए,
ये तो ऱब ही तुझे बताएगा~~~~

बस ,मेरे मन का सांई तो यही बोलता है कि कभी भी किसी इंसान का दिल ना दुखाऊं, ये गलती कभी ना हो मुझसे।चाहे कुछ और करूं ना करूं पर ये पाप ना हो मुझसे।

जय सांई राम~~~

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on November 14, 2008, 08:03:08 AM
जय सांई राम।।।

मैंने कहा -
बाबा क्या मेरे दुःख का अंत है?
उन्होने पूछा -
क्या सुख का अंत चाहते हो?
मैंने कहा -
नही
सुख पाना चाहता हूँ
उन्होने कहा -
तो दुःख के लिए तैयार रहो
तुम्हारा चाहना ही दुःख है
बाकी हर क्षण सुख है।

वैसे यह तो बात के लिये बात की है मैने। सच कहूँ तो जब से बाबा का सानिध्य मिला तब से दुख कँहा काफूर हुआ नही जानता।  बाबा सुख के सागर जो है।
.
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on November 14, 2008, 07:58:35 PM
OMSAIRAM!Sai baba said...Shraddha Saburi...

ALLAH MALIK!


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on November 21, 2008, 07:29:40 AM
जय सांई राम।।।

Today My BABA SAI said through my Inner Voice (अपने मन का साई)

Whenever you feel alone, know you are not.

Whenever you need a shoulder to cry on, you can use MINE.
 
Whenever you need someone just to listen, you can have MY Eear.

Whenever you lose your way, you can have MY Eyes to guide you.

Whenever you don't know the words to say, you can have MY Lips to speak them.

Whenever you are afraid, I will be brave for you.

Whenever you fall, I will catch you.

Whenever you are sad, I will do anything to make you glad.

I may not always know what to do or say, but I will help you anyway.

Whenever you have a question or favor to ask, know that the answer will always be YES.

Whatever you do, wherever you go, I will always be here for you.

If you ever thought I was mad or upset with you, that is not true.

I will not and could not, ever be mad at you.

If you were ever mad or upset with ME, even for that I will be truly sorry.


अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on December 05, 2008, 12:39:49 AM
जय सांई राम।।।

When you've lost your way down the road of life
and the shadows seem to loom...
When you see no hope as a new day dawns
and the emptiness seems to consume...
When you shed each tear and you feel inside
there could be no greater pain...
When you look outside to see the sun
yet all you can see is the rain...
When you drift in thought, feeling so alone
and you wonder just how you'll get by...
When you try to think of a positive thought
yet all you can do is sigh...
When you've reached the end
and with one last hope, you wish to find some cheer...
When you look in your heart
and with arms open wide,
You will see
I'll be standing here...


अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: nimmi_sai on December 05, 2008, 01:38:08 AM
Indeed an inspirational post ramesh ji . Thanks for sharing.
regards
Nimmi
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 04, 2009, 12:42:46 AM
जय सांई राम।।।

2009 में एक समृद्ध जीवन जीने के लिये 7 आसान सूत्र

समय समय पर इस विशाल ब्रह्मांड के सापेक्ष में अपने जीवन को देखो। यह समुद्र में एक बूंद जितना भी नहीं है। बस इतनी सी जागरूकता तुम्हें अपने छोटेपन से निकाल देगी और तुम अपने  जीवन के हर पल को जीने के लिए सक्षम हो जाओगे।

अपने आप को जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य की याद दिलाओ। तुम यहाँ शिकायत करने और भुनभुनाने के लिए नहीं आये हो। तुम यहाँ पर कुछ अधिक बड़ा करने के लिए आये हो।

सेवा करो! अधिक से अधिक सम्भव सामुदायिक सेवा में शामिल हो जाओ।   

विश्वास रखो कि दिव्य शक्ति तुमसे अत्यधिक प्यार करती है और तुम्हारा ख्याल रख रही है। यह आस्था और विश्वास रखो कि तुम्हारे जीवन के लिये जो कुछ भी आवश्यक है वह तुम्हें ज़रूर मिलेगा।

जैसे हम कैलेंडर के पन्नों को पलट देते हैं, उसी प्रकार से हमें अपने मन को भी पलटते रहने की जरूरत है। अक्सर हमारी डायरी यादों से भरी हुई रहती है। ध्यान रखो कि तुम अपने भविष्य की तिथियों को अतीत की घटनाओं के साथ न भर दो।  अपने अतीत से कुछ सीखो और कुछ  छोड़ो और आगे बढ़ो।

और अधिक मुस्कुराओ! तुम्हारे चेहरे पर एक अमिट शर्तरहित मुस्कान सच्ची समृद्धि की निशानी है।

अपने साथ सैर के लिए कुछ समय निकालो। संगीत, प्रार्थना और मौन से अपने आप का पोषण करो। कुछ मिनट ध्यान, प्राणायाम और योग करो। यह तुम्हें रोगमुक्त करता है और तरोताज़ा करता है, और तुम में गहनता और स्थिरता लाता है।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: my_sai on January 05, 2009, 10:21:31 PM
MEREY MAN KE MANDIR MAIN SAI MA AAP HAMESHA REHNA,
OM SAI MA
OM SAI MA
OM SAI MA
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: my_sai on January 07, 2009, 03:30:43 AM
merey man ko shant ker do saima .
jai sai ram
jai sai ram,
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on January 16, 2009, 08:32:37 AM
जय सांई राम।।।

बहुत गई थोड़ी रही, व्याकुल मन मत हो।
धीरज सबका मित्र है, करी कमाई मत खो॥

अर्थात- धैर्य मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है, जिसने इससे दोस्ती की, उसे जीवन की सारी खुशियाँ हासिल हो सकती हैं। मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना। किसी भी परिस्थिति में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। जीवन में रात आती है, दिन आता है, रोग आता है, आरोग्य आता है, सुख आता है, दुःख आता है, परंतु किसी भी स्थिति में हमें विचलित नहीं होना चाहिए। जिसके पास धैर्य रूपी पारसमणि है, वही व्यक्ति अपने जीवन में सफल होता है। इसीलिए कहा भी जाता है-

धैर्य धरो आगे बढ़ो, पूरन हो सब काम।
उसी दिन ही फलते नहीं, जिस दिन बोते आम।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: bharatsoni on April 28, 2009, 01:03:48 AM
thanks for this post rani ji,baba ko pasand hain vo bhakt jo unke bataye hue raste par chale,parantu agyan vash manav apne man ke anusar bhakti karta hai na ki baba ke kathan anusaar. isi karan manav antramukhi na hokar sansarik karmo mein apna jeevan vayteet kar deta hai,ant main khali haath reh jata hai, tabhi hamare baba kahte hai ki jo bhakt mujhse brahmgyan mangne aate hai mein unki jaldi sunta hu.so, hum bhagyashali hai ki baba sadev hamare marg darshk bankar hame jeewan ko jeene ki kala seekhte hai. jai sai ram
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saikripa.dimple on April 29, 2009, 12:48:57 AM
Aao aaj hum sab milkar ye Vaada kare khudse
Kii

 
Jis haal me rakhe Sai , Us haal me khushi se rahenge Hum
Sukh ho ya Dukh , Naam unka japenge har pal
Chahe bhatkaye ye zamana
Chahe maare jag taana
Magar Sai Sai kahte kahte
Jeevan gujarenge Hum

Kuch kahna hoga gar Sai se
Toh Shukriya hi karenge Hum

mila hai ye jeevan toh den hai usi ki
Usi ke liye jeevan nyochhavar karenge Hum

Nahi hume haq rulane ka kissi ko
Nahi hume haq satane ka kissi ko
Gar nh kar paaye kisi ki madad toh
Rasta use Sai Dar ka dikhlayenge Hum

Joh bhatak gaye hai zindagi se apni
Joh naraz hai har khushi se apni
Joh anjaan hai Sai ki shakti se
Unhe jeevan jeena sikhayenge Hum

Nahi phir Sai ka dil kabhi dukhayenge Hum
Kabhi na karenge shikwa unse
Sada musakuraayenge Hum

Hai yakeen mera musakurata hume dekh kar
Sai ki Vyadha ko kam kar paynge hum

Do Sai Aashirwaad prann ko hamare
Saari duniyaa ko Sai se milana Chahate hai Hum

Diya hai Jeevan Ye aapne
Aapko hi samarpit ye jeevan karte hai hum

Karo aisi kripa apne bachcho par
Aa kar paas tumhare
tumhare hi ho le Hum

Na bhule kabhi dil Sai ko apne
Sote Jagte Sai Japte rahe Hum


OM SAI RAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on July 20, 2009, 09:44:06 AM
जय सांई राम।।।

मेरे बच्चो तुम क्या जानो मैं खुदा से क्या मांगता हूँ?
तुम सब की सलामती की हमेशा दुआ मांगता हूँ

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on July 31, 2009, 01:31:50 AM
जय सांई राम।।।

खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाऊंगा
सकून बनकर दिल मे उतर जाऊंगा
महसूस करके कोशिश कीजिये
दूर होकर भी पास नज़र आऊंगा।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 06, 2009, 07:54:49 AM
जय सांई राम।।।

जिनके प्रेम सफल हो गए है, उनके प्रेम भी असफल हो जाते है। इस संसार मे कोई भी चीज़ सफल हो ही नही सकती। बाहर की सभी यात्राऐं असफल होने को आबद्ध है। क्यों? क्योंकि जिसको तुम तलाश रहे हो बाहर, वह भीतर  मौजूद है।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 06, 2009, 11:11:03 PM
जय सांई राम।।।

मन का अर्थ ही यह होता है कि जो सदा बंटा हुआ है, जो सदा द्वंद्व में है - कहता है बाएं चलो, कहता है दाएं चलो; जो कभी एकजुट नही होता। और उसको एकजुट करने का एक ही उपाय है कि जीवन में कुछ ऐसे निष्कर्ष लो जो निष्कर्ष तुम्हारी सारी शैली को बदल जाएं, जो तुम्हें आमूल रपांतरित कर जाएं।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 21, 2009, 08:11:11 AM
जय सांई राम।।।
 
मन में
मेरे जगह है जितनी
उस सब में मैंने
फूलों की
पंखुरियां
बिछा दी हैं यों
कि जो कुछ
मन में आए
बाबा उन्हें
उन फूलों की पंखुरियों पर
सुलाए!

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saib on August 25, 2009, 12:28:52 AM
सत्य कहा रमेश जी,
सीधे चलते चलते मन कब पलटी मार जाये, कुछ कह नहीं सकते . पर यदि जीवन में कोई निर्णय लेकर उसका धरिन्द्ता से पालन किया जाये तो जीवन काफी हद तक स्थिर हो सकता है . दुःख और सुख से बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की और अगार्चित रहते हुए .

ॐ श्री साईं राम !

जय सांई राम।।।

मन का अर्थ ही यह होता है कि जो सदा बंटा हुआ है, जो सदा द्वंद्व में है - कहता है बाएं चलो, कहता है दाएं चलो; जो कभी एकजुट नही होता। और उसको एकजुट करने का एक ही उपाय है कि जीवन में कुछ ऐसे निष्कर्ष लो जो निष्कर्ष तुम्हारी सारी शैली को बदल जाएं, जो तुम्हें आमूल रपांतरित कर जाएं।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saib on August 25, 2009, 07:05:17 AM
वाह रमेश जी,

इतने ऊँचे विचार व जीवन मार्गदर्शन करती प्रेरणाएं , इस भर्मित व कमजोर मन को जैसे किसी ने पुनः उर्जावान और संकल्पित कर दिया हो .

मेरे मन के सांई का आज का संदेश -  कभी ज़िन्दगी में किसी के लिये मत रोना.....क्योंकि वो तुम्हारे आंसूओं के काबिल नही होगा....और वो जो इस काबिल होगा.....वो तुम्हें कभी रोने नही देगा.....

आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - मन बुरा नहीं है इसे सुंदर भावनाओं से तरंगित करो तो यही मन सुंदर विचारों से ऊँचाइयों को छू लेगा, और अगर बुरे विचारों से भरोगे तो यह न्यूनतम से न्यूनतम नीचे गिर जाता है ! इसलिए मन के अन्दर उठती तरंगों को पवित्र बनाए रखो !

कोटि कोटि धन्यवाद !

ॐ श्री साईं राम !
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Ramesh Ramnani on August 25, 2009, 09:12:12 AM
जय सांई राम।।।

धन्यवाद सैब जी हौसला अफज़ाई का। 

जिंदगी कई बार हमें अंधेरे में लाकर छोड़ देती है|
दर्द में बेहाल बेबस छोड़ देती है
ना मैं नज़र आता था ना रास्ता नजर आता था
दूर तक बस अँधेरा ही अँधरा नज़र आता था
तड़पता था रोता था
बिगड़ता था
फ़िर लाचार सा गिर जाता था
ठोकरों के शहर में बिना मरहम दिल तोड देती थी
जिंदगी ने कई बार अंधेरे में लाकर छोड़ दिया था
दर्द के साये में हमेशा रहता था
कुछ बाते बयान के बाहर है
दर्द मेरा अपना था
मुझे ही सहना था
नौकरी भी एक दिन चली गई
उसी दौरान माँ का साथ भी छूट गया एक दिन
उसके उपर शारीरिक की अपाहिज़ता
तूफान मचा अचानक जैसे
लाचार सा हो गया था
सोच के घोडे दौड़ने लगते थे
कि कैसे चलेगा यह जीवन
फ़िर अचनाक से एक हीरा चमकता है
अंधेरे में रोशन सा नज़र आता है
उसी अंधेरे में चल पड़ा उसे पाने
रोशनी मिलती है हौसला मिलता है
रास्ता जैसे कदमो के साथ चलता है
बदलता कुछ नही पर सब कुछ बदलता है
जानते है वो हीरा कौन था?
वो हीरा मेरा बाबा सांई
जो आया मेरे जीवन में
अँधेरे सी कोयले की खान से
निकाला मुझे
संभाली मेरी उजड़ी जिंदगी
बस फिर क्या
उसका सहारा मिला
जीवन सुधरा
जीने की राह मिली
इस मृत प्राय से जीवन मे,
इस बोझिल तन्हा से मन मे,
बाबा ने जीवन से महकाया,
उजड़ा जीवन एक बार
फिर से आबाद हुआ
शिरडी बना दिया।

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saib on August 26, 2009, 01:04:03 AM
बहुत दर्द भरी गाथा है रमेश जी , पर ये भी सत्य है जिसे साईं का साथ नसीब हो जाये उससे बड़कर भाग्यशाली भी कोई नहीं . इस दुनिया में वो सबसे बड़ा अमीर नहीं जिसके पास सब दौलत हो, पर वो जिसके मन में कुछ पाने को शेष न हो . जो साईं के नाम की दौलत पा चुका हो . साईं का साथ आपके साथ हमेश बना रहे . साईं की रोशनी से जीवन सदा चमकता रहे और मुझ जैसे हजारो मुसाफिरों को राह दिखाता रहे .
ॐ श्री साईं राम !
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: nitin_super on March 21, 2010, 09:21:18 PM
ॐ साईं राम;
 आप लोगो ने बहुत ही सही बाते कहीं हैं. हम दूसरो के लिए क्या करते हैं. मै भी एक साधारण सा मनुष्य हूँ. मई भी बाबा के लिए कुछ करना चाहता हूँ. मुझे भी मानव सेवा में साईं सेवा कि झलक मिलाती है. ज़िन्दगी कि जिम्मेदारियों के बोझ टेल दब के ज्यादा कुछ कर निः पता उसके लिए साईं नाथ मुझे माफ़ करे. फिर भी मैंने पिछले एक साल से दो बच्चो कि शिक्षा का प्राण लिया हुआ है, मै उनसे मिलाने तो नहीं जा पाटा लेकिन उनकी मासिक किश्त बिना भूले समय से पंहुचा देता हूँ. अक्सर मै अपने ऑफिस के बाहर जाता हु तो वह एक छोटी सी दुकान है वह लाचार कुत्ते आवारा घुमाते रहते हैं. मै अक्सर बिस्कुट लेके उन्हें अपने हाँथ से खिलाता हूँ और इससे मुझे बहुत संतोष मिलाता है..

मै जानता हूँ ये कोई बहुत बड़े कार्य नहीं है.. साईं नाथ इसके लिए मुझे छमा करें. बाबा आप ही मेरी रखवाले हो आप ही मेरे मालिक. मेरे जीवन में जो भी ख़ुशी है वो आपके आशीर्वाद से है और जो भी पीड़ा है वो मेरे बुरे कर्मो का फल है. बाबा मेरे दोषों को छमा करके मेरे जीवन को सुखमय बनाइये साईं नाथ..

जय साईं राम...
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: nitin_super on May 19, 2010, 07:45:26 AM
Jai Sai Ram
Om Sai Ram

Daya Karo Kripa Karo Chhama karo He Sai Nath..

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: mbhowmick on August 06, 2010, 06:01:38 AM
Sai Ram Ke Charno Mein
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: devika on August 16, 2010, 09:37:16 AM
sai ram pranam om sai shree jai jai sai om sai nathay namah sachidanand sadguru sai nath maharaj ki jai om sachidanand sai nath maharaj ki jai  om sai shri sai jai jai sai
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: vishwa on September 09, 2010, 11:22:32 PM
sai baba ki jai ho

om sai namo namaha sad guru sai maharaj ki sai
her dukh may sai baba mera sath digiya baba duksh ka kast bota hai sabo nivarn ker dey sai  meri vennti siwaker keary sai baba  hameri kushiya ber dey jorei main sai baba
 aap ka

pradeep vishwa
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: vishwa on September 09, 2010, 11:24:33 PM
sai baba aap hai to mera kabi bura nehi ho sakta hai sai baba

o m sai ram
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 10, 2011, 09:51:45 AM
जय सांई राम।।।

मेरे मन के सांई ने आज मुझसे कहा - सच बोलने मे थोड़ी सी परेशानी जरुर होती है पर बाद मे जब सब कुछ ठीक हो जाता है तो मज़ा आने लगता है . फिर तो ऐसी आदत हो जाती है कि चाहे सच कितना ही कड़वा क्यूं ना हो मुह से सच ही निकलता है. मेरा अपना अनुभव रहा है कि एक झूठ बोल दो फिर ये सिलसिला चलता ही चला जाता है.

क्यूं सच है ना ????

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।



Speak the Truth and Truth alone

Sai baba

Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.omsairam
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 23, 2011, 03:54:47 AM
OMSAIRAM!Deva mere to aap hi ho  ;D


What whether good or bad belongs to us is with us what with others its with them

Sai baba


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 25, 2011, 01:25:44 AM
OMSAIRAM!Deva sometimes you force bitter medicines through our throats  >:(

May be for our Good health   ;D




Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 25, 2011, 05:56:44 PM
OMSAIRAM!Deva commoners cant crack jokes   >:(

 ;D


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 26, 2011, 07:50:54 PM
Deva came to know OMSAIRAM wale ache nahi hain


what whether good or bad belongs to us is with us what with others its with them


Deva we are all your kids


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM


Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 27, 2011, 09:33:57 AM
Baba tere charanoo ki Sai tere char anon ki

agar dhool jo mil jaaye sach kahthaa hoon

bas apnee thakdeer badal jaaye |

soonte hei teri rahamat din raat barastee hei,

is dayaa ke saagar se ek boond jo mil jaaye



http://www.saikrupa.org/sai_amrit_vani.htm


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 27, 2011, 11:06:20 PM
OMSAIRAM!Deva i always says you are my Everything,you know what is best for me.

You give me experiences of life which brings me closer to you  ;D


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 28, 2011, 09:31:45 AM
OMSAIRAM!Deva i wish i could be a flower placed on your holy lotus feet  ;D


(http://images.flowers.vg/1024x768/pinkroses.jpg)



Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on January 30, 2011, 04:25:23 AM
OMSAIRAM!Deva you seem to be telling me all these trials will bring me closer to you.

The more i seek you,closer i come 2 u


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: SaiSevak!9 on April 19, 2011, 10:52:45 PM
diPika

OMSAIRAM!Deva i wish i could be a flower placed on your holy lotus feet

^
This line is such b'ful!! Immensely b'ful!!
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Pratap Nr.Mishra on May 26, 2011, 05:26:40 PM

साईं  राम

रविजी नमस्कार ,

बाबा की अनुकम्पा से आपने और संस्थान ने मुझे अन्य सदश्सो से परिचय करवाया इसके लिए तहे दिल से सबको
धन्यबाद देता हु  , आज बाबा के चरणों में प्रणाम करते हुए और उनसे आज्ञा एवम आशीर्वाद लेते हुए कुछ सच प्रगट करना
चाहता हु .

मै काफी दिनों से कोई न कोई मेल या परचा बाबा के नाम का पा  रहा हु जिसमे बाबा की फोटो और कुछ चमत्कारिक
घटनाओ का उन्लेख किया होता है .फिर उसमे ये लिखा होता है कि इसको आप आगे 20-30 या और अधिक लोगो तक फेलाए .

मुझे बहुत ही प्रसंता होती है कि बाबा के विचारो को लोग फेलाने का प्रयास कर रहे है . पर ये खुसी  तभी ही समाप्त हो जाती
है जब ये पढता हु कि अगर ये मेल या परचा नहीं आगे फेलाया तो धन सम्पति ,कारोबार, मान मर्यादा ,परिवार के प्रिय सदस्य से हाथ धोना पड़ेगा .

बाबा तो सभी के लिए चिन्ता करते थे और करते है वो चाहे उनका उपासक हो या न हो . उन्होंने अपने जीवनकाल में लोगो के दुखों को अपनाया था . किसी पर  भी आई विपदा को वो खुद पर ले लेते थे . साईं सत्चरित के अनुसार उन्होंने तत्याजी की म्रत्यु को भी  अपने उपर ले लिया था ,जो सबके दुखों को हरते है वो अपने बच्चो को कैसे दुःख दे सकते है . क्या कोई पिता अपने बच्चो का अहित कर सकता है . बाबा तो  दुखहर्ता है ..

बाबा ने सदा ही अन्धविस्वासो से दूर रहने की सलाह दी है और वो खुद भी समय -समय पर किसी भी अंधविश्वास को अपने
अभूतपूर्व कर्यो द्वारा खंडन किया करते थे .

मै ऐसे मेल या पर्चो को यही कह कर आगे फेलता हु की बाबा के विचारो और उनको वचनों को फेलाने कि कोशिस करिये नाकि दुष्प्रचार करके सचाई को छुपाने की.

क्या मेरे द्वारा किया हुआ कार्य उचित है या अनुचित ?  आपके विचारो द्वारा ही मुझे ज्ञात होगा की मै इस मुहीम को आगे ले जाऊ या नहीं  और इस दुष्प्रचार को समाप्त करने की कोशिस करू या नहीं.

मेरे विचार से बाबा के वचनों और उनके विचारो को फेलाने से मानव जाती का कल्याण ही होगा , बाबा ने सदा  इंसानियत का ही तो पाठ पडाया  है . उनके हर वचनों में कोई न कोई गूढ़  बाते छिपी होती है उन्ही को समाज में फेलाने से सारा समाज ही साईं -साईं हो सकता है . बाबा के विचारो से ही इंसानियत जो प्रय समाप्त होती हुई दिखती है फिर से लोगो में जागृत हो जाएगी .

मै कोई लेखक या वक्ता नहीं हु. मुझे  भाषा का कोई ज्ञान नहीं है . मै तो एक बाबा का सेवक  हु .मेरे मन में जो आता गया मैंने  आपके सम्मुख रखने का प्रयास किया है . मुझसे कही कोई गलती हुई हो और जिसकी वजह से किसी भी को कोई दुःख पंहुचा हो तो मै छमापार्थी हु .

आपके विचारो से अवगत करने का कष्ट करे .


साईं राम
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: arti sehgal on May 27, 2011, 02:18:19 AM
sairam prataj ji
you are saying true all such messages should not be send to anyone which distract thier minds .
baba always loves his bhakta with true affectionate and blessings . you have done a great job by posting this message .
jai sairam
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Dipika on June 13, 2011, 06:15:30 AM
OMSAIRAM!Nanak Dukhiya sab sansar,show me one who is truly happy says Nanak

Few days back my Maid lost her 28 yr old daughter,that day when i went to her house and saw her daughter's dead body and her lil 8 yr old daughter,and was in shock,there i saw Sai baba's photo.

My maid came and cried on my shoulder,sab ne to jaana hai is what i felt.

WHAT DO WE TAKE WITH US


BABA bless her soul to rest in peace nd bless her lil one


Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: PiyaSoni on June 13, 2011, 06:17:22 AM
Omsairam
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: PiyaSoni on July 02, 2011, 12:52:50 AM
OMSAIRAM

VRY TRUE , JST KEEP ON HOLDING BABA'S LOTUS FEET  WITH FULL FAITH AND PATENICE ...

BOW TO SHRI SAI ....PEACE BE TO ALL

SAI SAMARTH.......SHRADDHA SABURI
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Pratap Nr.Mishra on July 03, 2011, 01:11:59 PM
 
मैंने गलती से ये पोस्ट Spiritual  Discussion room मे करने  की बजाये  Welcome section मे कर दिया था .
मै इसे फिर से दुबारा पोस्ट कर रहा हू चर्चा के लिए

साईं राम

रविजी नमस्कार ,

अपने मन के साईं मे 5th January 2008 को एक बहुत ही सुंदर ओर महत्पूर्ण लेख "मिलकर करे एक अच्छा और नेक काम " लिखा था .

मै आज आपके  लेख को बहुत ही ध्यान  से पढ़ा ओर समझने की कोशिस भी की है. आपने अपने पहले अनुच्छेद (पेराग्राफ ) मे जो भी विचार
रखे है  सब  सच की पराकाष्टा को छुते है.  मै आपके विचारो से पूर्णता सहमत हु .  हमलोग साईं प्रेमी साधारणता : जेसा आपने अपने लेख मे
संबोधित किया है प्रतिदिन कार्यप्रणाली का ही अनुसरण करते है. वेहस्पतिवार  को जो श्री साईंनाथ का वार है हमलोग प्राय :मंदिर जाके कुछ भोग
 वितरण कर देते है , कुछ दान दान पेटी या बाबा के चरणों मे चड़ा देते है ओर कुछ पैसे भिखारियों को दान मे दे  देते है . बस सम्पूर्ण हो जाती है
अपनी भक्ति ओर बाबा के प्रति जिमेदारिया . सप्ताह के बाकि दिनों मे हमारे अन्दर का साईं प्रतीक्षा करता रहता है की मुझे कोई याद करे ओर
फिर मायूस होके अगले वेहस्पतिवार का इन्तेजार करने लगता है. इन ६ दिनों मे प्राय:हम ना कोई भूखे  को खाना देते है ना ही भिखारी को दान
 उलटे दुत्कारके भगा देते है.छमा करियेगा मै किसी भी साईं प्रेमी को  व्यक्तिगत रूप से कोई भी दोषारोपण नहीं कर रहा हु क्योकि मै भी आपके ही
समाज का एक हिस्सा हु . केवल वही कह रहा हु जो प्रतिदिन देख रहा हु . आम तौर पर प्राय :कोई भी बाबा के विचारो ओर उनके वचनों को पालन
करने या फेलाने  का प्रयास नहीं कर रहा है आपतु  बाबा के नाम का सहारा लेके गलत-गलत भ्रांतियों को पहलने मे आपनी पूरी शक्ति  लगा रहे है.
बाबा के नाम से अप्भ्रन्तिया,अंधविश्वास ,अविचार , द्रव्य उपार्जन व नाना प्रकार के कार्य जो कही भी बाबा के वचनों ओर विचारो से मेल नहीं कहते
समाज मे फेला रहे है . प्राय::सभी बाबा के भक्त कहलाने मे आपनी शोभा ओर सम्मान समझते  है पर  भक्त की क्या नैतिक ,अधत्यामिक , सामाजिक
 जिमेदारिया होती है  सम्पूर्णता प्राय: भूल ही जाते है. बाबा के  अनमोल वचनों ओर विचारो को यदा -कदा कोई सम्मलेन के मंच पर , भजन संध्या ,
मंदिर उत्सव  या साईं समाज मे अवश्य बोला जाता है ओर बहुत ही गंभीरता से वर्णन भी किया जाता है पर रोज की दैनिक वेवहार मे वचन ओर विचार
अछूते ही रह जाते है.  भक्त कहलाना मुझे भी शोभा ओर सम्मानित लगता है पर मै  अभी  केवल सेवक की ही योग्यता रखता हु भक्त की नहीं .ना मै
अभी एक भक्त की तरह सम्पूर्ण रूप से खुद को बाबा को समर्पित ही कर पाया हु ना ही सम्पूर्णता उनके वचनों ओर विचारो का ही पालन कर सका हु . 
मै अभी भी नाना प्रकार  की व्याधियो से  ग्रषित हु .अहंकार,लोभ ,लालच, घृणा ,परनिंदा ,परचर्चा इत्यादि नाना प्रकार की कुरितियो का शिकार हु .
ऐसा नहीं है की मै इनसे छुटकारा  पाने की कोशिस ही नहीं कर रहा हु . पर मुझे विश्वास है की बाबा मेरे एक ना एक दिन मेरे सभी विकारो का नाश
करेगे . उसदिन ही मै एक भक्त के श्रेणी मे आने की योगता आर्जित करूंगा . बाबा ने मुझे सोते हुये से जगा दिया है ओर मै बाबा का सदा के लिए
 ऋणी हु. मै भली-भात जनता हु ओर समझता हु की मेरे प्रयास  से अगर एक भी साईं प्रेमी लाभान्वित होता है तो मेरा मेरे गुरु को ये सबसे बड़ी पूजा होगी .

मै एक अज्ञानी हु जो अभी भी अज्ञानता के अन्धकार से निकलने की कोशिस कर रहा है. सागर से भी गहरे बाबा के वचन ओर विचार है . मै मूर्ख
अभीतक केवल चंद कुछ बुँदे ही संचित कर सका हु.

वेसे रविजी कुछ दिन पहले मैंने भी इसी फोरम मे आपके  विचारो  से प्राय : मिलते जुलते कुछ ऐसे ही विचार मैंने भी रखने की कोशिस की थी पर
हमेहा की तरह फिर ना कोई सकारात्मक ओर ना ही नकारात्मक उतर प्राप्त हुआ . शायद बाबा ने मुझे अभी उपयुक ही ना समझा हो . मुझे अभी
ओर भी परिक्षाये देनी बाकी है.

रविजी आपने अपने दुसरे अनुच्छेद   मे पूछा है की कोनसे दो  नेक काम मेने आज किये है .:

प्रथमता: इस फोरम के माध्यम से आज शायद पहली बार बिना हिचक के मैंने बाबा को नहीं बाबा की बताने की कोशिस की है  ओर बाबा की कृपा से
मै काफी हदतक अपनी बाते  कह सका हु.

द्वितीय  आज मेने फोरम के माध्यम से जानकारी हासिल की है ओर उसके  बाद एक संकल्प लिया है की मै अपनी छमता के तेहत गुप्त -रूप से किसी की  सहायता करूगा .वेसे भी मै कोन हु जो किसी की सहायता कर सकू. ये बाबा ही है जो खुद ही प्रेरणा देते है ओर खुद ही कार्य करते है . कर्ता बाबा खुद ही है मै तो केवल एक माध्यम हु.

अंत: मे आज हमेशा की तरह छमा-याचना  नहीं मांगूगा कारण आज मेरे मन के साईं ने कहा की तूने  सच कह कर किसी का दिल नहीं दुखाया है पर
हाथ जोड़ कर निवेदन अवश्य करूँगा की बाबा के अनमोल वचनों ओर विचारो को ही केवल ओर केवल ग्रहण करना चाहिए . हम अगर 5% भी
बाबा के वचनों का अनुसार चल सके तो भी ये समाज साईं-साईं हो जायेगा .

साईं राम




दुर्लभ मानुष जनम है,देह न बारम्बार |तरुवर ज्यो पत्ती झड़े, बहुरि न लागे डार ॥आय हाय सो जाएँगे,राजा रंक फकीर। एक सिंघासन चिढ़ चले,एक बँधे जात जंजीर ॥

Title: Re: अपने मन का साई
Post by: Pratap Nr.Mishra on July 03, 2011, 01:31:36 PM
मैंने गलती से ये पोस्ट Spiritual  Discussion room मे करने  की बजाये  Welcome section मे कर दिया था .
मै इसे फिर से दुबारा पोस्ट कर रहा हू चर्चा के लिए


साईं राम  साईं राम  साईं राम  साईं राम  साईं राम साईं राम साईं राम साईं राम साईं राम साईं राम साईं राम
  तनु बहन

सर्वप्रथम बाबा को बहुत-बहुत धन्यबाद जो साईं बंधुयो के साथ साथ गुरु बहन भी मुझे दे दिया. अब मै बिना संकोच
के बहन से विचारो का आदान -प्रदान बड़ी सहजता और सरलता से कर सकता हू.  तनुजी जिस सरलता ,सहजता और
 धैर्यपूर्वक आपने राकेशजी के प्रश्नों का दो दिनों तक सामना किया उसके किये बहुत-बहुत धन्यबाद . आखिर सकारात्मक
 वाद-विवाद से राकेशजी को उनके प्रश्नों के उतर भी मिल गए. अगर आपने राकेशजी के टापिक को फिर से ना खुलवाने
की इच्छा रखी होती तो शायद आप अपने को माफ़ नहीं कर सकती .

तनु बहन आपने बहुत ही सुंदर भाषा और सुंदर तरीके से  हर बात को अपने पोस्ट मे कहा है. मै और शायद सभी आपकी
बातो से सहमत होंगे . भक्त की योग्यताये ,भक्त का इष्ट के प्रति विश्वास और पूर्णता  समर्पण सभी बातो का अपने बहुत ही
सरलता से वर्णन किया है. पर जो प्रश्न  मैंने किये  थे  वो अभी भी अपने मूल्य स्थान  पर ही  भी कायम है .
प्रश्न ये थे  कि ;
 क्या बाबा के नाम का साहारा लेके जो अप्भ्रन्तिया ,अंधविश्वास .द्रव्य उपार्जन का कार्य और नाना रकम के कुप्रचार चल रहे
 है ,उनका क्या खंडन किया जाये या बाबा पर ही छोड़ दिया जाये ?

क्या छोड़ देने पर हमारी गुरु के प्रति जो जिमेदारी है वो ख़तम हो जाती है ?

क्या एक अनुयाई होने के नाते हमारा कर्तव् नहीं बनता कि गुरु के सही वचनों और विचारो को ही फेलने या फेलाने मे सहयोग करे ?

क्या उनके द्वारा दी गई शिक्षा का कोई मोल नहीं अगर गलत शिक्षा का विरोध ना करके केवल इन्तेजार ही करे ?

क्या चुप रहने या तमाशबीन बनके रहने पर हम प्रतक्ष या अप्रतक्ष अपने गुरु की शिक्षा की  अवहेलना नहीं कर रहे है?

क्या केवल ये कहकर की बाबा खुद ही सब देखेगे तो बाबा ने क्यों  ये अनमोल वचनों को कहे और उनको अनुसरण करने को कहा ?
क्या केवल बाबा के वचन अब बड़ी-बड़ी सभायो, साईं संध्याओ ,साईं संस्थानों तक ही सिमित रह गए है. ?

ऐसे ना जाने कितने प्रश्नों का सामना हम साईं प्रेमियों के अंदर बेठा हुआ साईं हर रोज हमसे करता  है पर हम चुप रहते है क्यों की
हम अभी भी साईं के विचारो की महानता से अनजान  है.  कही ना कही एक डर है जो हमें अंदर के साईं की आवाज को सुनके भी
अनसुनी करनेको मजबूर कर देता है.सच को कहने से कही अन्य साईं बंधू अपने को आहत ना महसूस करे , कही किसी की श्रधा
को  ठेस नहीं पहुचे  इत्यादि नाना प्रकार की विचारो का मन मे एक पहाड़ खड़ा कर लिया है हमलोगों ने .

बाबा ने  श्रधा और सबुरी का पाठ पढाया है . उन्होंने विनर्मता ,परोपकारिता ,सेहंसिलता और सदाचार का पाठ  पढाया है . जब कोई
 भी अज्ञानता के चलते अगर गलत रह पर कदम उठा रहा है तो क्या बाबा की शिक्षा के अनुसार उसको सही मार्ग नहीं दिखलाना चाहिए .
हम अपने माता-पिता जो प्रारंभिक गुरु होते है अगर कोई उनका या उनकी शिक्षा का अनादर करता है तो हमलोग क्या करते है ? क्या
मूक रहते है या फिर उसका खंडन करते है . यहाँ तो सदगुरु साईनाथ के वचनों और विचारो की बात है.  अहंकार से भरा हुआ ज्ञान
अंधकार का हरन नहीं कर सकता वहा  अहंकार शुन्य ज्ञान  प्रकाश पुंज की भात है जिसके फेलते ही अंधकार का नाश हो जाता है .

मेरा ऐसा मानना है बाबा ने सभी को  शिक्षा दी  है और उसके अनुयाई होने के नाते हमें केवल और केवल उनके वचनों और विचारो को
 ही आत्मसात करना चाहिए नाकि भ्रांतियों को फेलने या फेलाने मे मदत .मै सभी के विचारो का आदर और सम्मान करता हू .

तनु बहन ये एक मूल समस्या है जो धीरे-धीरे फेलती जा रही है. इस मंच का सही प्रयोग करके आप, रविजी ,सैब्जी ,रमेश रामनानीजी
एवंग और भी सदश्य इसके समाधान का मार्ग निकाल  सकते है. आपलोगों के लेख ,विचार और कहानिंया मेने पढ़ी है जिससे आपलोगों
 की लेखनी की ताकत का अंदाजा मिलता है . आपलोगों की हर एक बात सीधे दिल और दिमाग को छुती है.

मेरे विचारो से आपलोग अगर छुब्ध है या महसूस करते है तो अवश्य बताने का कष्ट करियेगा कारण फिर मै बाबा से किसी नई मंजिल की
प्राथना करूंगा जहा जो मेरे मन के साईं कह रहा है उसको कर सकू.

साईं राम

 
"जब लग नाता जगत का,तब लग भक्ति न होय | नाता तोड़े हरि भजे , भगत कहावे सोय ||

 
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: poojavivek on November 07, 2011, 01:54:34 AM
APNE BILKUL SHI LIKHA HAI, ROZ MANDIR ME JANAE SE BHAGVAN KI PUJA KARNAE SE HI SAB KUCH NHI HOTA. JO GYA VO HUMKO DETAE HAI USKO APNI ZINDGI ME UTARNA HI UNKI PUJA HAI.  KAI LOG HOTAE HAI JO KBHI KBHI DUSRO KO GALI DETAE HAI AGAR KOI GARIB UNSE KUCH MANGTA HAI TO VO USKO KUCH NA DEKAR GALIYA DETAE HAI. MERE ANUSHJAR AGAR AP KUCH DE NHI SAKATE TO USKO KUCH APSABD BHI BOLNE KA HAK BHI NHI RAKHTAE HUM, KAHTAE HAI HER GARIB KE VO BASTA HAI . MERA SOCHNA HAI AGAR AP KBHI BHI KISI KO KISI GARIB YA JANVAR PAR ABSABD USE KARATE HUAE DEKHAE , TO USKA VIRODH KARE NA KI VHA SE SUN KAR CHLAE JYE. MAIN HUMESHA YE SOCHTI HU EK GARIB KI DUA HI KAM KARI HAI :) :) :) :) :)OM SAI RAM :) :) :) :) :)
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: SANJAYA KAPOOR on May 02, 2013, 05:41:09 AM
MERE SAI BADE HI REHAMDIL, MERE BABA BADE HI REHAMDIL.
JO SAI KA JAAP KARE, SAI USKE PAAP HARE,
JO SAI KO DHYATA HEI, SAARI KHUSHIYAN PATA HEI,
JO SAI KI PUJA KARE,SAI USKE DUKH DOOR KARE,
BHARI SE BHARI SANKAT BHI PAL ME JATA TAL,
MERE SAU BADE HI REHAMDIL,MERE BABA BADE HI REHAMDIL.
JAI SAI RAM,JAI JAI SAI RAM, JAI JAI JAI SAI RAAAAAAM.
Title: Re: अपने मन का साई
Post by: saiarvind3 on December 27, 2013, 05:25:17 AM
Nice Post Jai Sai Baba Ji ki