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Author Topic: अपने मन का साई  (Read 142215 times)

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Offline saikripa.dimple

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  • Om Sai Ram
Re: अपने मन का साई
« Reply #75 on: April 29, 2009, 12:48:57 AM »
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  • Aao aaj hum sab milkar ye Vaada kare khudse
    Kii

     
    Jis haal me rakhe Sai , Us haal me khushi se rahenge Hum
    Sukh ho ya Dukh , Naam unka japenge har pal
    Chahe bhatkaye ye zamana
    Chahe maare jag taana
    Magar Sai Sai kahte kahte
    Jeevan gujarenge Hum

    Kuch kahna hoga gar Sai se
    Toh Shukriya hi karenge Hum

    mila hai ye jeevan toh den hai usi ki
    Usi ke liye jeevan nyochhavar karenge Hum

    Nahi hume haq rulane ka kissi ko
    Nahi hume haq satane ka kissi ko
    Gar nh kar paaye kisi ki madad toh
    Rasta use Sai Dar ka dikhlayenge Hum

    Joh bhatak gaye hai zindagi se apni
    Joh naraz hai har khushi se apni
    Joh anjaan hai Sai ki shakti se
    Unhe jeevan jeena sikhayenge Hum

    Nahi phir Sai ka dil kabhi dukhayenge Hum
    Kabhi na karenge shikwa unse
    Sada musakuraayenge Hum

    Hai yakeen mera musakurata hume dekh kar
    Sai ki Vyadha ko kam kar paynge hum

    Do Sai Aashirwaad prann ko hamare
    Saari duniyaa ko Sai se milana Chahate hai Hum

    Diya hai Jeevan Ye aapne
    Aapko hi samarpit ye jeevan karte hai hum

    Karo aisi kripa apne bachcho par
    Aa kar paas tumhare
    tumhare hi ho le Hum

    Na bhule kabhi dil Sai ko apne
    Sote Jagte Sai Japte rahe Hum


    OM SAI RAM
    Jai Sai Ram
    Sai teri "Kami" bhi hai, tera "Ehsaas" bhi hai....

    Sai tu "Door" bhi hai mujhse par "Paas" bhi hai......

    Khuda ne yun nwaza hai teri "Bhakti" se mujhko.....

    Kii.............

    Khuda ka "Shukr" bhi hai aur khud pe "Naaz" bhi hai..

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: अपने मन का साई
    « Reply #76 on: July 20, 2009, 09:44:06 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    मेरे बच्चो तुम क्या जानो मैं खुदा से क्या मांगता हूँ?
    तुम सब की सलामती की हमेशा दुआ मांगता हूँ

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #77 on: July 31, 2009, 01:31:50 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाऊंगा
    सकून बनकर दिल मे उतर जाऊंगा
    महसूस करके कोशिश कीजिये
    दूर होकर भी पास नज़र आऊंगा।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #78 on: August 06, 2009, 07:54:49 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    जिनके प्रेम सफल हो गए है, उनके प्रेम भी असफल हो जाते है। इस संसार मे कोई भी चीज़ सफल हो ही नही सकती। बाहर की सभी यात्राऐं असफल होने को आबद्ध है। क्यों? क्योंकि जिसको तुम तलाश रहे हो बाहर, वह भीतर  मौजूद है।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    « Last Edit: August 06, 2009, 08:04:56 AM by Ramesh Ramnani »
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #79 on: August 06, 2009, 11:11:03 PM »
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  • जय सांई राम।।।

    मन का अर्थ ही यह होता है कि जो सदा बंटा हुआ है, जो सदा द्वंद्व में है - कहता है बाएं चलो, कहता है दाएं चलो; जो कभी एकजुट नही होता। और उसको एकजुट करने का एक ही उपाय है कि जीवन में कुछ ऐसे निष्कर्ष लो जो निष्कर्ष तुम्हारी सारी शैली को बदल जाएं, जो तुम्हें आमूल रपांतरित कर जाएं।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #80 on: August 21, 2009, 08:11:11 AM »
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  • जय सांई राम।।।
     
    मन में
    मेरे जगह है जितनी
    उस सब में मैंने
    फूलों की
    पंखुरियां
    बिछा दी हैं यों
    कि जो कुछ
    मन में आए
    बाबा उन्हें
    उन फूलों की पंखुरियों पर
    सुलाए!

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saib

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #81 on: August 25, 2009, 12:28:52 AM »
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  • सत्य कहा रमेश जी,
    सीधे चलते चलते मन कब पलटी मार जाये, कुछ कह नहीं सकते . पर यदि जीवन में कोई निर्णय लेकर उसका धरिन्द्ता से पालन किया जाये तो जीवन काफी हद तक स्थिर हो सकता है . दुःख और सुख से बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की और अगार्चित रहते हुए .

    ॐ श्री साईं राम !

    जय सांई राम।।।

    मन का अर्थ ही यह होता है कि जो सदा बंटा हुआ है, जो सदा द्वंद्व में है - कहता है बाएं चलो, कहता है दाएं चलो; जो कभी एकजुट नही होता। और उसको एकजुट करने का एक ही उपाय है कि जीवन में कुछ ऐसे निष्कर्ष लो जो निष्कर्ष तुम्हारी सारी शैली को बदल जाएं, जो तुम्हें आमूल रपांतरित कर जाएं।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।

    om sai ram!
    Anant Koti Brahmand Nayak Raja Dhi Raj Yogi Raj, Para Brahma Shri Sachidanand Satguru Sri Sai Nath Maharaj !
    Budhihin Tanu Janike, Sumiro Pavan Kumar, Bal Budhi Vidhya Dehu Mohe, Harahu Kalesa Vikar !
    ........................  बाकी सब तो सपने है, बस साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है !!

    Offline saib

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #82 on: August 25, 2009, 07:05:17 AM »
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  • वाह रमेश जी,

    इतने ऊँचे विचार व जीवन मार्गदर्शन करती प्रेरणाएं , इस भर्मित व कमजोर मन को जैसे किसी ने पुनः उर्जावान और संकल्पित कर दिया हो .

    मेरे मन के सांई का आज का संदेश -  कभी ज़िन्दगी में किसी के लिये मत रोना.....क्योंकि वो तुम्हारे आंसूओं के काबिल नही होगा....और वो जो इस काबिल होगा.....वो तुम्हें कभी रोने नही देगा.....

    आज मेरे मन के सांई ने मुझसे कहा - मन बुरा नहीं है इसे सुंदर भावनाओं से तरंगित करो तो यही मन सुंदर विचारों से ऊँचाइयों को छू लेगा, और अगर बुरे विचारों से भरोगे तो यह न्यूनतम से न्यूनतम नीचे गिर जाता है ! इसलिए मन के अन्दर उठती तरंगों को पवित्र बनाए रखो !


    कोटि कोटि धन्यवाद !

    ॐ श्री साईं राम !
    om sai ram!
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    ........................  बाकी सब तो सपने है, बस साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है !!

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #83 on: August 25, 2009, 09:12:12 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    धन्यवाद सैब जी हौसला अफज़ाई का। 

    जिंदगी कई बार हमें अंधेरे में लाकर छोड़ देती है|
    दर्द में बेहाल बेबस छोड़ देती है
    ना मैं नज़र आता था ना रास्ता नजर आता था
    दूर तक बस अँधेरा ही अँधरा नज़र आता था
    तड़पता था रोता था
    बिगड़ता था
    फ़िर लाचार सा गिर जाता था
    ठोकरों के शहर में बिना मरहम दिल तोड देती थी
    जिंदगी ने कई बार अंधेरे में लाकर छोड़ दिया था
    दर्द के साये में हमेशा रहता था
    कुछ बाते बयान के बाहर है
    दर्द मेरा अपना था
    मुझे ही सहना था
    नौकरी भी एक दिन चली गई
    उसी दौरान माँ का साथ भी छूट गया एक दिन
    उसके उपर शारीरिक की अपाहिज़ता
    तूफान मचा अचानक जैसे
    लाचार सा हो गया था
    सोच के घोडे दौड़ने लगते थे
    कि कैसे चलेगा यह जीवन
    फ़िर अचनाक से एक हीरा चमकता है
    अंधेरे में रोशन सा नज़र आता है
    उसी अंधेरे में चल पड़ा उसे पाने
    रोशनी मिलती है हौसला मिलता है
    रास्ता जैसे कदमो के साथ चलता है
    बदलता कुछ नही पर सब कुछ बदलता है
    जानते है वो हीरा कौन था?
    वो हीरा मेरा बाबा सांई
    जो आया मेरे जीवन में
    अँधेरे सी कोयले की खान से
    निकाला मुझे
    संभाली मेरी उजड़ी जिंदगी
    बस फिर क्या
    उसका सहारा मिला
    जीवन सुधरा
    जीने की राह मिली
    इस मृत प्राय से जीवन मे,
    इस बोझिल तन्हा से मन मे,
    बाबा ने जीवन से महकाया,
    उजड़ा जीवन एक बार
    फिर से आबाद हुआ
    शिरडी बना दिया।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saib

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #84 on: August 26, 2009, 01:04:03 AM »
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  • बहुत दर्द भरी गाथा है रमेश जी , पर ये भी सत्य है जिसे साईं का साथ नसीब हो जाये उससे बड़कर भाग्यशाली भी कोई नहीं . इस दुनिया में वो सबसे बड़ा अमीर नहीं जिसके पास सब दौलत हो, पर वो जिसके मन में कुछ पाने को शेष न हो . जो साईं के नाम की दौलत पा चुका हो . साईं का साथ आपके साथ हमेश बना रहे . साईं की रोशनी से जीवन सदा चमकता रहे और मुझ जैसे हजारो मुसाफिरों को राह दिखाता रहे .
    ॐ श्री साईं राम !
    om sai ram!
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    Offline nitin_super

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    • ॐ साईं राम
    Re: अपने मन का साई
    « Reply #85 on: March 21, 2010, 09:21:18 PM »
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  • ॐ साईं राम;
     आप लोगो ने बहुत ही सही बाते कहीं हैं. हम दूसरो के लिए क्या करते हैं. मै भी एक साधारण सा मनुष्य हूँ. मई भी बाबा के लिए कुछ करना चाहता हूँ. मुझे भी मानव सेवा में साईं सेवा कि झलक मिलाती है. ज़िन्दगी कि जिम्मेदारियों के बोझ टेल दब के ज्यादा कुछ कर निः पता उसके लिए साईं नाथ मुझे माफ़ करे. फिर भी मैंने पिछले एक साल से दो बच्चो कि शिक्षा का प्राण लिया हुआ है, मै उनसे मिलाने तो नहीं जा पाटा लेकिन उनकी मासिक किश्त बिना भूले समय से पंहुचा देता हूँ. अक्सर मै अपने ऑफिस के बाहर जाता हु तो वह एक छोटी सी दुकान है वह लाचार कुत्ते आवारा घुमाते रहते हैं. मै अक्सर बिस्कुट लेके उन्हें अपने हाँथ से खिलाता हूँ और इससे मुझे बहुत संतोष मिलाता है..

    मै जानता हूँ ये कोई बहुत बड़े कार्य नहीं है.. साईं नाथ इसके लिए मुझे छमा करें. बाबा आप ही मेरी रखवाले हो आप ही मेरे मालिक. मेरे जीवन में जो भी ख़ुशी है वो आपके आशीर्वाद से है और जो भी पीड़ा है वो मेरे बुरे कर्मो का फल है. बाबा मेरे दोषों को छमा करके मेरे जीवन को सुखमय बनाइये साईं नाथ..

    जय साईं राम...
    -- BABA, Bless all of your devotees. Calling your poor nitin from the valley of sorrow...!

    Offline nitin_super

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    • ॐ साईं राम
    Re: अपने मन का साई
    « Reply #86 on: May 19, 2010, 07:45:26 AM »
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  • Jai Sai Ram
    Om Sai Ram

    Daya Karo Kripa Karo Chhama karo He Sai Nath..

    -- BABA, Bless all of your devotees. Calling your poor nitin from the valley of sorrow...!

    Offline mbhowmick

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #87 on: August 06, 2010, 06:01:38 AM »
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  • Sai Ram Ke Charno Mein

    Offline devika

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #88 on: August 16, 2010, 09:37:16 AM »
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  • sai ram pranam om sai shree jai jai sai om sai nathay namah sachidanand sadguru sai nath maharaj ki jai om sachidanand sai nath maharaj ki jai  om sai shri sai jai jai sai

    Offline vishwa

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    Re: अपने मन का साई
    « Reply #89 on: September 09, 2010, 11:22:32 PM »
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  • sai baba ki jai ho

    om sai namo namaha sad guru sai maharaj ki sai
    her dukh may sai baba mera sath digiya baba duksh ka kast bota hai sabo nivarn ker dey sai  meri vennti siwaker keary sai baba  hameri kushiya ber dey jorei main sai baba
     aap ka

    pradeep vishwa

     


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