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Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: rahul jain on August 29, 2009, 11:43:26 PM

Title: अंहकार
Post by: rahul jain on August 29, 2009, 11:43:26 PM
अंहकार के आधीन होकर लोग दूसरो को दुखी क्यूं  करते है , क्या सुख मिलता है उन्हें  दूसरो  को दुखी करने में . दुःख देना एक मानसिक बीमारी है . इस बीमारी को दूर करने का इलाज क्या है ? बड़ी छोटी सी बात है दूसरो को सुख दो , उन्हें अपने सुख में शामिल करो .बात छोटी है लेकिन आसन नहीं है ,किसी को रुलाना आसन है , हसाना मुश्किल . किसी को हस्ते देख कर हम खुश  होते है , हमें भी ख़ुशी होती है , तो फिर हम दूसरो की ख़ुशी क्यों छीनते है ,क्यों दूसरो को दुःख देते है ,यह मेरा है ,यह मेरा नहीं है ,ऐसी भावनाएं ही हमें पक्षपात करने को मजबूर करती है .पक्षपात है तो अन्याय है और जहाँ अन्याय है वहां क्रोध है , दुःख है , दूसरो को सुख दे कर तो देखो ,कितना सुकून मिलता है तुम्हें . दूसरो को मुस्कुराना सिखाओ ,हस्सी के फूल खिलाओ उनकी ज़िन्दगी में ,तुम्हे एहसास हो जायेगा ,कितनी तसल्ली हुई है तुम्हें . दूसरो को हस्साना ,उन्हें ख़ुशी देना यह एक कठोर तपस्या है , जिसकी यह तपस्या सफल हो जाती है ,मालिक उस पर अपनी कृपा की वर्षा करता है .   
Title: Re: अंहकार
Post by: sis on November 07, 2009, 06:39:54 AM
he baba ji himmat dena apke bataye raste par chal sakoon jai sai ram