DwarkaMai - Sai Baba Forum
Sai Literature => सांई बाबा के हिन्दी मै लेख => Topic started by: Sai Meera on November 25, 2009, 01:40:04 AM
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Jai Sai Ram,
भगवान ने हमारे जीवन को पवित्र बनाने के लिए समय-समय पर जो उपदेश दिए हैं, वे शास्त्रों के रूप में हमारे सामने हैं। हमें यह जो मनुष्य भव मिला है, यदि कर्मों का कर्ज चुका दिया तो सीधे मोक्ष प्राप्त हो सकता है। मनुष्य को अपने कर्मों का भुगतान स्वयं करना पड़ता है।
उपाध्याय प्रवर मूलमुनिजी ने समाजवादी इंदिरानगर स्थित जैन स्थानक पर ये प्रेरणास्पद उद्गार महती धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कई भवों के बाद मनुष्य जन्म प्राप्त होता है। हम मनुष्य भव को सद्कार्यों में लगाकर जीवन का कल्याण कर सकते हैं।
ऋषभमुनिजी ने कहा कि भगवान के शरीर में तीर्थंकर का शरीर सबसे श्रेष्ठ बना है।
तीर्थंकरों के शरीर में सुगंध आती है जबकि भगवान के पास जाते ही समभाव आ जाता है। भगवान के 34 अतिशय का प्रभाव रहता है। भगवान का शरीर के प्रति राग नहीं रहता। केवलज्ञान ही पूर्ण ज्ञान रहता है। आत्मा ही गुरु है। आत्मा ही देव है।
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साईं भक्तो ,
प्रणाम
साईं के चरणों में कोटि कोटि वंदन साईं लीला का अमृतपान भाग्यवान
लोगो को प्राप्त होता है साईं के उपदेशो का पालन हमारा उद्येश्य होना चाइये
क़र्ज़ है माता पिता का, गुरुओ का, साथियो का हमारे पर
चुकाना है उसे