सच्ची राह
एक सुनसान रास्ते पर
साईं बाबा चले जा रहे है
मै उनकी भक्त उनके पीछे चल रही हूँ
साईं बाबा तो आगे निकल गए
और मै पीछे ही रह गयी
फिर भी कोशिश कर रही हूँ
साईं बाबा बहुत दूर चले गए
और मै थक गयी
मेने आवाज़ दी
साईनाथ साईनाथ
बस मै थक गयी
साईं बाबा तो अदृश्य हो गए
अर्थात
साईनाथ को पाना आसान नहीं
उनके पीछे चलना आसान नहीं
उनकी राह तो बहूत लम्बी है
यह सच की राह है
उनकी भक्ति में ही शक्ति है
अरे मेरे भक्त
निकल पड मुसाफिर बन कर
उस राह पर
कही न कही कभी न कभी
किसी न किसी मोड पर
बाबा तेरा इंतज़ार कर रहे है
थाम लेगे तेरा हाथ
ले जाये गे तुझे उस पार
जहा प्यार का स्त्रोत बहता है
जहा मन शांत रहता है
जहा इन्द्रियों का कोई बस नहीं
लेकिन साईं पर विश्वास करना जरूरी है
उनका सिमरन करना जरूरी है
उनेह महसूस करना जरूरी है
रास्ता अपने आप ही बन जाएगा
यही है सची राह