【【【【 साँई प्रेम 】】】】
नजर जब जब साँई से मिलती
नजर ही नजर में होता प्यार
मुझ पर उनकी रहमत बरसती
हर घड़ी हर वक्त बेशुमार
बेशुमार प्यार बरसाता वो साँई
उस प्यार के आगे दौलत बेकार
सच्ची दौलत तो उसकी रहमत है
वो साँई ही है हमारा सारा संसार
संसार में सब रिश्ते है देखे
पर साँई संग रिश्ता है अनमोल
राह में संग मेरे साथी बन चलता
देता जीवन में मीठी मिश्री घोल
मिश्री सी मीठी लगे साँई
की वाणी
साँई याद में आँखों में आ जाता पानी
साँई ही सच्चा प्रीत है उसकी महिमा
बखानी
साँई नाम में जिंदगी गुजारनी मैंने है ठानी
ठान लिया अब मन में मैंने
कि जिंदगी गुजारनी नेकी में
साँई का वास हो हर जन में और
साँई दर्श करूँ हर साँई प्रेमी मे
साँई है प्रेम करते सबसे ऐसे
जैसे माँ संग है बच्चे का रिश्ता
साँई संग प्रीत में मन हो जाता ऐसे
जैसे सरोवर में पुष्प कमल है खिलता
कमल नयन युक्त सुंदर आभा वाले
समर्थ सदगुरू साँई नाथ को है प्रणाम
वो ही है इस सुंदर सी सृष्टि के रचयिता
आओ सब मिल कर ले उनका प्यारा नाम
साँई नाम लेने से हम भव से जाते ऐसे तर
जैसे राम नाम से पत्थर भी गए थे पानी में तैर
साँई हमारी भक्ति देख होते ऐसे भावविभोर
जैसे श्रीराम ने सबरी के खाये थे झूठे बैर
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