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Indian Spirituality => Bhajan Lyrics Collection => Topic started by: JR on November 01, 2007, 11:41:38 PM

Title: सुमिरन कर के चारों बेला !
Post by: JR on November 01, 2007, 11:41:38 PM
सुमिरन कर के चारों बेला !
जीवन है सुख - दुःख का मेला !!

हरि को काहे मनवा भूला !
हरि तो है सावान का झूला !

काहे को तू रहे अकेला !!१!!

इस मेले में दर्द खिलौना !
ये मेला है इक मृगछौना !
जो सुखी है माटी का ढेला !!२!!

प्रभु का जो करते हैं सुमिरन !
सुमिरन से जीवन है उपवन !
‘दास नारायण’ छोड़ झमेला !!३!!