युग युग बीते लेते लेते सांई नाम – 2
तुम कब बुलाओगे अपने धाम - 2
युग युग बीते लेते लेते सांई नाम
तुम कब बुलाओगे अपने धाम
युग युग बीते...........................
जीने पे अब कोई अर्थ ना रहा
लगे सारा जीवन व्यर्थ ही रहा - 2
मतलबी जहां में ओओओओओओओओ – 2
मेरा नहीं कोई काम
तुम कब बुलाओगे अपने धाम
युग युग बीते...........................
अपनों ने हमको समझा ना अपना
गैरों के सहारे जियेंगें अपना - 2
वैसे भी ये जिन्दगी ओओओओओओओ -2
की अब ढल चुकी है शाम
तुम कब बुलाओगे अपने धाम
युग युग बीते...........................
मेरा ये जीवन तुझको है अर्पण
तेरे द्वार पे कटे पापी कुछ क्षण – 2
सांई तेरा द्वार ही ओओओओओओओओ -2
आखिरी होगा काम
तुम कब बुलाओगे अपने धाम
युग युग बीते...........................
युग युग बीते लेते लेते सांई नाम
तुम कब बुलाओगे अपने धाम...................