मैं तो रोज तेरे मैं तो रोज तेरे
मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ कभी घर मेरे आओ तो जानूँ
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
मैं तो मन्दिर तो ओ मन का मन्दिर तो सूना पड़ा है
उस पर आँसन जमाओ तो जानूँ
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ कभी घर मेरे आओ तो जानूँ
जब तुम थे समाधी समाये ओ
बाबा के प्यारे वचन में कहा है
जो समाधी पर आयेगा सारे दुख मिटाऊँगा
जब तुम थे समाधी समाये ओ
तेरे भक्तों के दिल भर आये
जब बुलाओगे ओ जब बुलाओगे
मैं आऊँगा वो वचन तुम निभाओ तो जानूँ
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ कभी घर मेरे आओ तो जानूँ
दिल में लाखों – 2 गिले और सिकवे
जग मैं लोगों है तुम्हे सुनाने
कितने अहसान मुझपे तुम्हारे – 2
मेरे मुख से सुनो तो मैं जानू
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ कभी घर मेरे आओ तो जानूँ
शाम जीवन की ओ शाम जीवन की ढलने को आई – 2
शाम जीवन की ढलने को आयी -2
अब तो खाओ तरस मुझपे सांई – 2
हांजी हां अब तो खाओ तरस मुझपे सांई
कई सदियों से ओ कई सदियों से -2
तुमसे जुदा हूँ
अब गले से लगाओ तो जानूं
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ कभी घर मेरे आओ तो जानूँ
टूटी नइया है टूटी नइया है – 2
टूटी नइया है दूर किनारा – 2
ढूँढे भी पर मिला ना सहारा – 2
टूटी नइया....................
तुम खिवइया हो..........
आके दे दो सहारा तो मैं जानू
ओ मैं तो रोज तेरे दर पर हूँ आता
ओ कभी घर मेरे आओ तो जानूँ