वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सबकी आँखों का तारा – 2
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सबका प्यारा
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सबकी आँखों का तारा
यमुना तट पर नन्द का लाला
जब जब रास रचाये रे – 2
तन मन डोले कान्हा ऐसी बंशी मधुर बजाये रे
सुध बुध भूली खड़ी बापिया जाने कैसा जादू डाला
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सबकी आँखों का तारा – 2
रंग सलोना ऐसा जैसे छायी हो घट सावन की -2
तेरी मैं तो हुई दीवानी मनमोहन मन भावन की
तेरे कारण देख साँवरे छोड़े दिया मैंने जग सारा
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सबकी आँखों का तारा – 2
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सबका प्यारा