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Author Topic: सांई के भजन  (Read 62489 times)

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Offline bindu tanni

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सांई के भजन
« on: April 14, 2007, 02:31:37 PM »
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  • जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय
    हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय

    चहूं ओर तूफ़ान के धारे,मैली हवा वीरान किनारे
    जीवन नैया सांई सहारे फिर भी चलती जाय
    जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय

    नाम सिमरले जब तक दम है,बोझ ज़ियादा वक्त भी कम है
    याद रहे दो दिन की उमरिया पल पल घटती जाय
    जबसे बढ़ा………………

    सांई के मंदिर में आए जब श्रद्दा के हार चढ़ाए
    मन विश्वास के फूल की रंगत और निखरती जाय
    जबसे बढ़ा……………

    भक्तों को दर्शन भिक्षा दो,रक्षा की ठंडक पहुंचा दो
    तुम ही कहो ये बिरहा कि अग्नि कब तक जलती जाय
    जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
    हम आए सांई के द्बारे धरती कहीं भी जाय

    Offline tana

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #1 on: April 14, 2007, 02:43:15 PM »
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  • ॐ सांई राम !~!

            बिन्दू जी बहुत सुन्दर भजन है | आप ने हिन्दी में लिखा तो और सुन्दर लगा |

    नाम सिमरले जब तक दम है,बोझ ज़ियादा वक्त भी कम है...
    याद रहे दो दिन की उमरिया पल पल घटती जाय...


    जय सांई राम !~!
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #2 on: April 15, 2007, 03:11:27 AM »
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  • चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
    तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे

    कभी दिन उजियारा कभी रैन अंधेरी
    कभी मन हरियाली कभी झोली खाली
    वो सब कुछ जाने कब क्या देना है
    हर पग पे करेगा तेरी रखवाली
    तू पकड़ के रखियो विशवास कि डोरी
    वो जहां मिला था फिर वहीं मिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल……………

    स्वीकार किया है हमें सांई ने जब से
    ख़ुद को पहचाना जग को पहचाना
    मुश्किल से मिली है सदगुरू कि चौखट
    मुश्किल से मिला है हमें एक ठिकाना
    लगता है सभी हम किस्मत के धनी हैं
    अब एसी जगह से कहो कौन हिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल………………

    हो सकता है इक दिन तुम्हैं नींद आजाये
    तुम रोम-रोम को ज़रा बोल के रखना
    बंद भी हो जाएं जग के दरवाज़े
    तुम मन की खिड़की सदा खोल के रखना
    किस रात मैं सांई कब चुपके-चुपके
    अपने भक्तों से ख़ुद आन मिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे

    तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
    फिर पतझड़ में भी तेरी बगिया में
    सांई तहमत का ह्र फूल खिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे

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    • साई राम اوم ساي رام ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ OM SAI RAM
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    Re: सांई के भजन
    « Reply #3 on: April 15, 2007, 04:26:58 AM »
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  • Jai Sai Ram

    It's very nice.

    Sai Ram

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: सांई के भजन
    « Reply #4 on: April 15, 2007, 06:29:34 AM »
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  • चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
    तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे.......

    हो सकता है इक दिन तुम्हैं नींद आजाये
    तुम रोम-रोम को ज़रा बोल के रखना
    बंद भी हो जाएं जग के दरवाज़े
    तुम मन की खिड़की सदा खोल के रखना
    किस रात मैं सांई कब चुपके-चुपके
    अपने भक्तों से ख़ुद आन मिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे....

    सांई तहमत का ह्र फूल खिलेगा
    चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे


    जय सांई राम।।।

    सबसे पहले तो बिन्दूजी आपका बाबा सांई के इस मनोरम मन्दिर में स्वागत है। बहुत सुन्दर भजन पोस्ट किये है  आपने। हो सके तो अपने बारे में कुछ लिखें। एक बार फिर आपका तहे दिल से स्वागत। 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #5 on: April 15, 2007, 12:23:36 PM »
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  • सांई राम रमेश भाई
    आपके इस मन्दिर में आकर में बता नहीं सकती कि मुझे कितना अच्छा लग रहा हैइस मन्दिर में इतना कुछ है कि अगर कोई चाहे तो घटों अपने समय का सदुपयोग कर सकता है सांई की बहुत बड़ी क्रपा है हम सब पर जो इस मन्दिर में हम साथ-साथ हैं।
    मैं अपने विषय में क्या बताऊं सच कहूँ तो बताने जैसा कुछ भी नहीं है,मैं मूलत: ब्रज की रहने वाली हूँ ग्वालियर में शिक्षा दीक्षा हुई
    हिन्दी साहित्य से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की मुझे कविता लिख्ने का शौक़ है,मेरे दो बच्चे हैं एक बेटी एक बेटा दौनौं विवाहित हैं मेरे पति ने अभी हाल ही में बी एच ई एल से अवकाश ग्रहण किया है। इस के अतिरिक्त मुझे सबसे ज़्यादा शौक़ बाबा के भजन गाने का है,बाबा के विषय में अधिक से अधिक अनुभव सुनने तथा उनके विषय में बातें सुनने का है।मैंने एक भजन लिखा है मैं भेज रही हूँ बताइयेगा कि ठीक बना है या नहीं।



    बँगलिया मेरी एसी बनवइयौ सांई नाथ2
    जिसमें सारी उमर कटजाय जिसमें सारा बुढ़ापा कटजाय
    बँगलिया मेरी एसी बनवइयौ सांई नाथ

    जहां बनाऊँ कुटी में सांई वहीं धाम तेरा होवे
    तेरे चरण की धूल उठाऊँ फिर दीवार बनाकर के
    लता-पता से बँगला छाना सांई ज़रा दया करके
    दरवाज़े पर श्रद्धा लिखना2लिखना सबूरी किवाड़
    बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ

    उस बँगले के अन्दर सांई तेरा इक मन्दिर होवे
    मन्दिर अन्दर मेरे सांई की इक सुन्दर मूरत होवे
    मन भावों का हार बनाऊँ तब इच्छा पूरी होवे
    साँझ सवेरे उन भावों का तुमको हार पहनाऊँ
    बँगलिया मेरी……………

    भक्तिभाव से भरा हुआ उस बँगले में कुनबा होवे
    शमा तात्या हों संग में और भगत म्हालसापति होवे
    भक्तमंडली वहां विराजेऔर लक्ष्मी माई होवे
    चारों पहर की होय आरती नित-नित दर्शन होय
    बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ……।

    गुरूवार के रोज़ वहां सांई तेरा भंडारा होवे
    हलुआ पूरी और खिचड़ी का भोग वहां लगता होवे
    सांई के हाथों हांडी में भी कुछ पकता होवे
    सांई प्रेम से भोग लगावें जूठन मोहे मिल जाय
    बँगलिया मेरी…………………

    चैत मास में नौंवी के दिन उर्स भरे मेला होवे
    यशुदा नन्दन पालने झूलें राम जनम सुन्दर होवे
    क्वार मास में मने दशहरा तब उत्सव पूरा होवे
    सांई नाथ कि चले पालकी मौं भी नाचूँ गाऊँ
    बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ
    जिसमें सारी उमर कटजाय जिसमें सारा बुढ़ापा कटजाय
    ब।Bगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ

     




    Offline tana

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #6 on: April 16, 2007, 12:07:07 AM »
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  • ॐ सांई राम ~~~

    चिन्ता छोङ के तो देख एक बार...
    चिंता तेरी सांई जी करे गे...

    उनका बन के तू देख एक बार
    चिंता तेरी सांई जी करेगे...

    बिन्दू जी बहुत सुन्दर भजन पोस्ट किये है आपने |हो सके तो इन अधूरे शब्दों को भी अपने शब्दों से पूरा करे...आभार...

    जय सांई राम ~~~
    « Last Edit: April 16, 2007, 12:12:14 AM by tana »
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
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    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #7 on: April 16, 2007, 12:40:25 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    प्रिय बहन बिन्दू जी वाह़ वाह क्या बात है सच में आपके बाबा के प्रति भाव देखकर मन अति प्रसन्न हुआ।  आपके बारे मे पढ़ा और सब कुछ विस्तार में जान कर अति प्रसन्नता हुई। सच कहा आपने इस मनोरम मन्दिर के बारे में। बाहर के मन्दिरों में भगवन की मूर्तियों के अलावा होता ही क्या है लेकिन यंहा भाई बहन भक्तों के बीच बाबा के विषयों पर चर्चा करने मे जो आनन्द आता है उसकी तो बात ही कुछ निराली होती है। बहुत अच्छा लगा भाई-बहनों की कड़ी में एक और बहन को जुड़ते देख।

    मैंने तुम्हारी तरह हिन्दी में स्नातकोत्तर की डिग्री तो हासिल नही लेकिन हाँ जब से रवि भाई ने इस फोरम को Bi-lingual बनाया है मैं थोड़ा बहुत हिन्दी में लिखने तथा टाइप करने लगा हूँ।  तुम्हारे भजन सच में बहुत सुन्दर होते है उपरोक्त व्रज भाषा मे यह भजन तो काबिले तारीफ है।

    'जहां बनाऊँ कुटी में सांई वहीं धाम तेरा होवे
    तेरे चरण की धूल उठाऊँ फिर दीवार बनाकर के
    लता-पता से बँगला छाना सांई ज़रा दया करके
    दरवाज़े पर श्रद्धा लिखना2लिखना सबूरी किवाड़
    बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ'

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #8 on: April 16, 2007, 12:24:34 PM »
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  • प्रिय तानाजी सांई राम,

    बाबा ने चाहा तो आपके भजन की पक्तियां भी पूरी करुंगी अभी आपके ही भावों से मिलता जुलता एक भजन लिख रही हूं।

    ज़मान अगर छोड़ दे बेसहारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है2
    हर इक जन अगर कर भी लेगा किनारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
    ज़माना अग़र छोड़ दे बेसहारा……………


    मेरी आह सुनकर मेरा दर्द सुनकर 2 मदद को कोई और आए न आए
    वो आए हमेशा उन्हें जब पुकारा, 2 मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
    ज़माना अगर……………

    कभी सुख के दिन और कभी दुख की रातें 2 सांई तुममें विश्वास बढ़ता रहा है
    हर इक हाल में दिल रहा है तुम्हारा 2 मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
    ज़माना अगर छोड़ दे ………………

    करूँ मैं तेरा शुक्रिया किस ज़ुबां से मैं 2 हर पल रहा तेरी मर्ज़ी का बन्दा
    कहां से गिराया कहां से उभारा 2 मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
    ज़माना अगर छोड़ दे बे सहारा,मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
     

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #9 on: April 16, 2007, 12:44:20 PM »
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  • ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई

    तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं,जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ 2

    तुम सबके राज़दां हो हर दिल की जानते हो 2
    फ़िर भी ये हाले दिल मैं 2 तुमको सुना रहा हूँ
    तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूँ

    मुझसे सहा न जाये अब ग़म ये ज़िन्दगी का 2
    नन्हीं सी जाँ पे कैसे सदमे उठा रहा हूँ
    जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

    जब तक रहूँ मैं ज़िन्दा इज्ज़्त की भीख देना 2
    ये आस लेके साँई तेरे दर पे आरहा हूँ
    जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

    दीदार की तलब से हाज़िर हुआ है बन्दा 2
    मुद्द्त से मेरे साँई तेरे दर पे आरहा हूँ
    जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

    ॐ साँई राम साँई राम साँचा तेरा नाम

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #10 on: April 17, 2007, 11:42:53 AM »
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  • ऐ मेरे ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की
    शिरडी के साँई महाराज 2 झोलियाँ भरो सब की
    ऐ मेरे ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की

    इक तेरी आस लिये बाबा मन में विश्वास लिये
    इक तेरी आस लिये बाबा मन में विश्वास लिये
    दर तेरे आए हैं आज झोलियाँ भरो सब की ।   शिरडी के साँई महाराज………………


    निर्बल के तुम बल हो बाबा निर्धन के तुम धन हो
    निर्बल के तुम बल हो बाबा निर्धन के तुम धन हो
    तुम हो ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की ।   शिरडी के साँई महाराज झोलियाँ………………

    कदमों के साए में बाबा रखना बिठाए हमैं
    कदमों के साए में बाबा रखना बिठाए हमैं
    रख लेना हम सबकी लाज झोलियाँ भरो सब की ।  शिरडी के साँई महाराज झोलियाँ भरो सब की

    ऐ मेरे ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की



    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #11 on: April 18, 2007, 12:20:06 PM »
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  • साँई दीदार तेरा हो जाए
    हम पे उपकार तेरा हो जाए

    मेरी क्या सबकी ये तमन्ना है 2
    सारा संसार तेरा हो जाए

    देखलें तुझको ग़र चमन वाले 2
    फूल क्या ख़ार तेरा हो जाए

    इससे पहले कि ले वो हमसे हिसाब 2
    हर गुनहगार तेरा हो जाए

    तेरा घरबार मेरा हो बैठा 2
    मेरा घरबार तेरा हो जाए

    तूने बाँटा है प्यार लाखों में 2
    मुझसे भी प्यार तेरा हो जाए

    ये दुआ है कि एक बार नहीं 2
    साँई हरबार तेरा हो जाए

    साँई दीदार तेरा हो जाए

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #12 on: April 18, 2007, 01:09:03 PM »
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  •                      
    तू है हमारा और हम तेरे

    तेरे प्यार में तेरे द्वार पे डाल दिये हमने डेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    तेरे चमन का रग अनौखा है
    दूसरे बागों में धोखा ही धोखा है
    मुरझाए फ़िर खिले रहे चाहे कितना भी हमें ग़म घेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    किसकी मज़ाल तेरे दर से उठाएगा
    किसमें है ताकत हमें कौन बहकाएगा   
    दिलसे निकली यही दुआ तू कभी न हमसे मुहं फेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    तेरा रस्ता चमकता मिलेगा
    कोई भी राही न थकता मिलेगा
    हर पग पर मिट जाएंगे मन की शंका के अंधेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    Offline tana

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      • Sai Baba
    Re: सांई के भजन
    « Reply #13 on: April 18, 2007, 09:43:54 PM »
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  •                      
    तू है हमारा और हम तेरे

    तेरे प्यार में तेरे द्वार पे डाल दिये हमने डेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    तेरे चमन का रग अनौखा है
    दूसरे बागों में धोखा ही धोखा है
    मुरझाए फ़िर खिले रहे चाहे कितना भी हमें ग़म घेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    किसकी मज़ाल तेरे दर से उठाएगा
    किसमें है ताकत हमें कौन बहकाएगा   
    दिलसे निकली यही दुआ तू कभी न हमसे मुहं फेरे
    तू है हमारा और हम तेरे

    तेरा रस्ता चमकता मिलेगा
    कोई भी राही न थकता मिलेगा
    हर पग पर मिट जाएंगे मन की शंका के अंधेरे
    तू है हमारा और हम तेरे



    ॐ सांई राम !~!

    सच में बिन्दू जी सांई है हमारा और हम है सांई के....बङे किस्मत वाले है हम सब...जो सांई ने हमरा हाथ थामा...

    बहुत सुन्दर भजन लिखती है आप....

    सांई सांई बाबा सांई...सांई सांई सत्य सांई ...
    सांई सांई राम सांई...सांई सांई देवा सांई...

    जय सांई राम !~!
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline bindu tanni

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    Re: सांई के भजन
    « Reply #14 on: April 22, 2007, 01:13:58 PM »
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  • दु:ख को बोझ समझने वाले कौन तुझे समझाए
    साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए कितना बोझ उठाए

    वो ही तेरे प्यार का मालिक
    वो ही तेरे संसार का मालिक
    हैरत से तू क्या तकता है
    दीया बुझ कर जल सकता है
    वो चाहे तो रात को दिन और दिन को रात बनाए
    साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पे कितना बोझ उठाए 2


    तन में तेरा कुछ भी नहीं है
    शाम सवेरा कुछ भी नहीं है
    दुनिया की हर चीज़ उधारी
    सब जाएंगे बारी-बारी
    चार दिना के चोले पर काहे इतना इतराए
    साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए 2

    देख खुला है इक दरवाज़ा
    अंदर आकर ले अंदाज़ा
    पोथी-पोथी खटकने वाले
    पड़े हैं तेरी अक्ल पे ताले
    कब लगते हैं हाथ किसी के चलते फिरते साए
    साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए
    [/font] 2
    [/b]

     


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