DwarkaMai - Sai Baba Forum

Indian Spirituality => Bhajan Lyrics Collection => Topic started by: bindu tanni on April 14, 2007, 02:31:37 PM

Title: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 14, 2007, 02:31:37 PM
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय
हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय

चहूं ओर तूफ़ान के धारे,मैली हवा वीरान किनारे
जीवन नैया सांई सहारे फिर भी चलती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय

नाम सिमरले जब तक दम है,बोझ ज़ियादा वक्त भी कम है
याद रहे दो दिन की उमरिया पल पल घटती जाय
जबसे बढ़ा………………

सांई के मंदिर में आए जब श्रद्दा के हार चढ़ाए
मन विश्वास के फूल की रंगत और निखरती जाय
जबसे बढ़ा……………

भक्तों को दर्शन भिक्षा दो,रक्षा की ठंडक पहुंचा दो
तुम ही कहो ये बिरहा कि अग्नि कब तक जलती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
हम आए सांई के द्बारे धरती कहीं भी जाय
Title: Re: सांई के भजन
Post by: tana on April 14, 2007, 02:43:15 PM
ॐ सांई राम !~!

        बिन्दू जी बहुत सुन्दर भजन है | आप ने हिन्दी में लिखा तो और सुन्दर लगा |

नाम सिमरले जब तक दम है,बोझ ज़ियादा वक्त भी कम है...
याद रहे दो दिन की उमरिया पल पल घटती जाय...


जय सांई राम !~!
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 15, 2007, 03:11:27 AM
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे

कभी दिन उजियारा कभी रैन अंधेरी
कभी मन हरियाली कभी झोली खाली
वो सब कुछ जाने कब क्या देना है
हर पग पे करेगा तेरी रखवाली
तू पकड़ के रखियो विशवास कि डोरी
वो जहां मिला था फिर वहीं मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल……………

स्वीकार किया है हमें सांई ने जब से
ख़ुद को पहचाना जग को पहचाना
मुश्किल से मिली है सदगुरू कि चौखट
मुश्किल से मिला है हमें एक ठिकाना
लगता है सभी हम किस्मत के धनी हैं
अब एसी जगह से कहो कौन हिलेगा
चिन्ता से भरा दिल………………

हो सकता है इक दिन तुम्हैं नींद आजाये
तुम रोम-रोम को ज़रा बोल के रखना
बंद भी हो जाएं जग के दरवाज़े
तुम मन की खिड़की सदा खोल के रखना
किस रात मैं सांई कब चुपके-चुपके
अपने भक्तों से ख़ुद आन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे

तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
फिर पतझड़ में भी तेरी बगिया में
सांई तहमत का ह्र फूल खिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
Title: Re: सांई के भजन
Post by: Admin on April 15, 2007, 04:26:58 AM
Jai Sai Ram

It's very nice.

Sai Ram
Title: Re: सांई के भजन
Post by: Ramesh Ramnani on April 15, 2007, 06:29:34 AM
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे.......

हो सकता है इक दिन तुम्हैं नींद आजाये
तुम रोम-रोम को ज़रा बोल के रखना
बंद भी हो जाएं जग के दरवाज़े
तुम मन की खिड़की सदा खोल के रखना
किस रात मैं सांई कब चुपके-चुपके
अपने भक्तों से ख़ुद आन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे....

सांई तहमत का ह्र फूल खिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे


जय सांई राम।।।

सबसे पहले तो बिन्दूजी आपका बाबा सांई के इस मनोरम मन्दिर में स्वागत है। बहुत सुन्दर भजन पोस्ट किये है  आपने। हो सके तो अपने बारे में कुछ लिखें। एक बार फिर आपका तहे दिल से स्वागत। 

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 15, 2007, 12:23:36 PM
सांई राम रमेश भाई
आपके इस मन्दिर में आकर में बता नहीं सकती कि मुझे कितना अच्छा लग रहा हैइस मन्दिर में इतना कुछ है कि अगर कोई चाहे तो घटों अपने समय का सदुपयोग कर सकता है सांई की बहुत बड़ी क्रपा है हम सब पर जो इस मन्दिर में हम साथ-साथ हैं।
मैं अपने विषय में क्या बताऊं सच कहूँ तो बताने जैसा कुछ भी नहीं है,मैं मूलत: ब्रज की रहने वाली हूँ ग्वालियर में शिक्षा दीक्षा हुई
हिन्दी साहित्य से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की मुझे कविता लिख्ने का शौक़ है,मेरे दो बच्चे हैं एक बेटी एक बेटा दौनौं विवाहित हैं मेरे पति ने अभी हाल ही में बी एच ई एल से अवकाश ग्रहण किया है। इस के अतिरिक्त मुझे सबसे ज़्यादा शौक़ बाबा के भजन गाने का है,बाबा के विषय में अधिक से अधिक अनुभव सुनने तथा उनके विषय में बातें सुनने का है।मैंने एक भजन लिखा है मैं भेज रही हूँ बताइयेगा कि ठीक बना है या नहीं।



बँगलिया मेरी एसी बनवइयौ सांई नाथ2
जिसमें सारी उमर कटजाय जिसमें सारा बुढ़ापा कटजाय
बँगलिया मेरी एसी बनवइयौ सांई नाथ

जहां बनाऊँ कुटी में सांई वहीं धाम तेरा होवे
तेरे चरण की धूल उठाऊँ फिर दीवार बनाकर के
लता-पता से बँगला छाना सांई ज़रा दया करके
दरवाज़े पर श्रद्धा लिखना2लिखना सबूरी किवाड़
बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ

उस बँगले के अन्दर सांई तेरा इक मन्दिर होवे
मन्दिर अन्दर मेरे सांई की इक सुन्दर मूरत होवे
मन भावों का हार बनाऊँ तब इच्छा पूरी होवे
साँझ सवेरे उन भावों का तुमको हार पहनाऊँ
बँगलिया मेरी……………

भक्तिभाव से भरा हुआ उस बँगले में कुनबा होवे
शमा तात्या हों संग में और भगत म्हालसापति होवे
भक्तमंडली वहां विराजेऔर लक्ष्मी माई होवे
चारों पहर की होय आरती नित-नित दर्शन होय
बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ……।

गुरूवार के रोज़ वहां सांई तेरा भंडारा होवे
हलुआ पूरी और खिचड़ी का भोग वहां लगता होवे
सांई के हाथों हांडी में भी कुछ पकता होवे
सांई प्रेम से भोग लगावें जूठन मोहे मिल जाय
बँगलिया मेरी…………………

चैत मास में नौंवी के दिन उर्स भरे मेला होवे
यशुदा नन्दन पालने झूलें राम जनम सुन्दर होवे
क्वार मास में मने दशहरा तब उत्सव पूरा होवे
सांई नाथ कि चले पालकी मौं भी नाचूँ गाऊँ
बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ
जिसमें सारी उमर कटजाय जिसमें सारा बुढ़ापा कटजाय
ब।Bगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ

 



Title: Re: सांई के भजन
Post by: tana on April 16, 2007, 12:07:07 AM
ॐ सांई राम ~~~

चिन्ता छोङ के तो देख एक बार...
चिंता तेरी सांई जी करे गे...

उनका बन के तू देख एक बार
चिंता तेरी सांई जी करेगे...

बिन्दू जी बहुत सुन्दर भजन पोस्ट किये है आपने |हो सके तो इन अधूरे शब्दों को भी अपने शब्दों से पूरा करे...आभार...

जय सांई राम ~~~
Title: Re: सांई के भजन
Post by: Ramesh Ramnani on April 16, 2007, 12:40:25 AM
जय सांई राम।।।

प्रिय बहन बिन्दू जी वाह़ वाह क्या बात है सच में आपके बाबा के प्रति भाव देखकर मन अति प्रसन्न हुआ।  आपके बारे मे पढ़ा और सब कुछ विस्तार में जान कर अति प्रसन्नता हुई। सच कहा आपने इस मनोरम मन्दिर के बारे में। बाहर के मन्दिरों में भगवन की मूर्तियों के अलावा होता ही क्या है लेकिन यंहा भाई बहन भक्तों के बीच बाबा के विषयों पर चर्चा करने मे जो आनन्द आता है उसकी तो बात ही कुछ निराली होती है। बहुत अच्छा लगा भाई-बहनों की कड़ी में एक और बहन को जुड़ते देख।

मैंने तुम्हारी तरह हिन्दी में स्नातकोत्तर की डिग्री तो हासिल नही लेकिन हाँ जब से रवि भाई ने इस फोरम को Bi-lingual बनाया है मैं थोड़ा बहुत हिन्दी में लिखने तथा टाइप करने लगा हूँ।  तुम्हारे भजन सच में बहुत सुन्दर होते है उपरोक्त व्रज भाषा मे यह भजन तो काबिले तारीफ है।

'जहां बनाऊँ कुटी में सांई वहीं धाम तेरा होवे
तेरे चरण की धूल उठाऊँ फिर दीवार बनाकर के
लता-पता से बँगला छाना सांई ज़रा दया करके
दरवाज़े पर श्रद्धा लिखना2लिखना सबूरी किवाड़
बँगलिया मेरी एसी बनवैयौ सांई नाथ'

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई


ॐ सांई राम।।।
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 16, 2007, 12:24:34 PM
प्रिय तानाजी सांई राम,

बाबा ने चाहा तो आपके भजन की पक्तियां भी पूरी करुंगी अभी आपके ही भावों से मिलता जुलता एक भजन लिख रही हूं।

ज़मान अगर छोड़ दे बेसहारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है2
हर इक जन अगर कर भी लेगा किनारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अग़र छोड़ दे बेसहारा……………


मेरी आह सुनकर मेरा दर्द सुनकर 2 मदद को कोई और आए न आए
वो आए हमेशा उन्हें जब पुकारा, 2 मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अगर……………

कभी सुख के दिन और कभी दुख की रातें 2 सांई तुममें विश्वास बढ़ता रहा है
हर इक हाल में दिल रहा है तुम्हारा 2 मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अगर छोड़ दे ………………

करूँ मैं तेरा शुक्रिया किस ज़ुबां से मैं 2 हर पल रहा तेरी मर्ज़ी का बन्दा
कहां से गिराया कहां से उभारा 2 मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अगर छोड़ दे बे सहारा,मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
 
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 16, 2007, 12:44:20 PM
ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई

तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं,जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ 2

तुम सबके राज़दां हो हर दिल की जानते हो 2
फ़िर भी ये हाले दिल मैं 2 तुमको सुना रहा हूँ
तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूँ

मुझसे सहा न जाये अब ग़म ये ज़िन्दगी का 2
नन्हीं सी जाँ पे कैसे सदमे उठा रहा हूँ
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

जब तक रहूँ मैं ज़िन्दा इज्ज़्त की भीख देना 2
ये आस लेके साँई तेरे दर पे आरहा हूँ
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

दीदार की तलब से हाज़िर हुआ है बन्दा 2
मुद्द्त से मेरे साँई तेरे दर पे आरहा हूँ
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

ॐ साँई राम साँई राम साँचा तेरा नाम
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 17, 2007, 11:42:53 AM
ऐ मेरे ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की
शिरडी के साँई महाराज 2 झोलियाँ भरो सब की
ऐ मेरे ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की

इक तेरी आस लिये बाबा मन में विश्वास लिये
इक तेरी आस लिये बाबा मन में विश्वास लिये
दर तेरे आए हैं आज झोलियाँ भरो सब की ।   शिरडी के साँई महाराज………………


निर्बल के तुम बल हो बाबा निर्धन के तुम धन हो
निर्बल के तुम बल हो बाबा निर्धन के तुम धन हो
तुम हो ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की ।   शिरडी के साँई महाराज झोलियाँ………………

कदमों के साए में बाबा रखना बिठाए हमैं
कदमों के साए में बाबा रखना बिठाए हमैं
रख लेना हम सबकी लाज झोलियाँ भरो सब की ।  शिरडी के साँई महाराज झोलियाँ भरो सब की

ऐ मेरे ग़रीब नवाज़ झोलियाँ भरो सब की


Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 18, 2007, 12:20:06 PM




साँई दीदार तेरा हो जाए
हम पे उपकार तेरा हो जाए

मेरी क्या सबकी ये तमन्ना है 2
सारा संसार तेरा हो जाए

देखलें तुझको ग़र चमन वाले 2
फूल क्या ख़ार तेरा हो जाए

इससे पहले कि ले वो हमसे हिसाब 2
हर गुनहगार तेरा हो जाए

तेरा घरबार मेरा हो बैठा 2
मेरा घरबार तेरा हो जाए

तूने बाँटा है प्यार लाखों में 2
मुझसे भी प्यार तेरा हो जाए

ये दुआ है कि एक बार नहीं 2
साँई हरबार तेरा हो जाए

साँई दीदार तेरा हो जाए
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 18, 2007, 01:09:03 PM
                     
तू है हमारा और हम तेरे

तेरे प्यार में तेरे द्वार पे डाल दिये हमने डेरे
तू है हमारा और हम तेरे

तेरे चमन का रग अनौखा है
दूसरे बागों में धोखा ही धोखा है
मुरझाए फ़िर खिले रहे चाहे कितना भी हमें ग़म घेरे
तू है हमारा और हम तेरे

किसकी मज़ाल तेरे दर से उठाएगा
किसमें है ताकत हमें कौन बहकाएगा   
दिलसे निकली यही दुआ तू कभी न हमसे मुहं फेरे
तू है हमारा और हम तेरे

तेरा रस्ता चमकता मिलेगा
कोई भी राही न थकता मिलेगा
हर पग पर मिट जाएंगे मन की शंका के अंधेरे
तू है हमारा और हम तेरे
Title: Re: सांई के भजन
Post by: tana on April 18, 2007, 09:43:54 PM
                     
तू है हमारा और हम तेरे

तेरे प्यार में तेरे द्वार पे डाल दिये हमने डेरे
तू है हमारा और हम तेरे

तेरे चमन का रग अनौखा है
दूसरे बागों में धोखा ही धोखा है
मुरझाए फ़िर खिले रहे चाहे कितना भी हमें ग़म घेरे
तू है हमारा और हम तेरे

किसकी मज़ाल तेरे दर से उठाएगा
किसमें है ताकत हमें कौन बहकाएगा   
दिलसे निकली यही दुआ तू कभी न हमसे मुहं फेरे
तू है हमारा और हम तेरे

तेरा रस्ता चमकता मिलेगा
कोई भी राही न थकता मिलेगा
हर पग पर मिट जाएंगे मन की शंका के अंधेरे
तू है हमारा और हम तेरे


ॐ सांई राम !~!

सच में बिन्दू जी सांई है हमारा और हम है सांई के....बङे किस्मत वाले है हम सब...जो सांई ने हमरा हाथ थामा...

बहुत सुन्दर भजन लिखती है आप....

सांई सांई बाबा सांई...सांई सांई सत्य सांई ...
सांई सांई राम सांई...सांई सांई देवा सांई...

जय सांई राम !~!
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 22, 2007, 01:13:58 PM
दु:ख को बोझ समझने वाले कौन तुझे समझाए
साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए कितना बोझ उठाए

वो ही तेरे प्यार का मालिक
वो ही तेरे संसार का मालिक
हैरत से तू क्या तकता है
दीया बुझ कर जल सकता है
वो चाहे तो रात को दिन और दिन को रात बनाए
साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पे कितना बोझ उठाए 2


तन में तेरा कुछ भी नहीं है
शाम सवेरा कुछ भी नहीं है
दुनिया की हर चीज़ उधारी
सब जाएंगे बारी-बारी
चार दिना के चोले पर काहे इतना इतराए
साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए 2

देख खुला है इक दरवाज़ा
अंदर आकर ले अंदाज़ा
पोथी-पोथी खटकने वाले
पड़े हैं तेरी अक्ल पे ताले
कब लगते हैं हाथ किसी के चलते फिरते साए
साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए  [/font] 2
[/b]
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 23, 2007, 12:50:31 PM
नेक कोई एक तो करम करले,नेक कोई एक तो करम करले
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई का भजन कर ले 2

माया के दिवाने थोड़ा पुन्य भी कमाले तू
साँई नाम की गंगा में गोते आ लगाले तू
मोहमाया त्यागने का प्रण करले 2
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई का भजन करले 2

होके धनवान भी तू कितना ग़रीब है
दूर साँई चरणों से जग के करीब है
मेरी इस बात का मनन करले 2
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई का भजन करले 2

त्याग के शरीर जब साँई धाम जाएगा
तेरा ये ख़ज़ाना तेरे काम नहीं आएगा
जमा साँई नाम के रतन करले 2
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई क भजन करले 2

प्यार से पुकार साँई दौड़े चले आएंगे
देखना वो डेरा तेरे मन में लगाएंगे
शिरडी के जैसा अपना मन करले 2
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई का भजन करले

नेक कोई एक तो करम करले
रोज़ थोड़ा-थोड़ा साँई का भजन करले
[
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on April 25, 2007, 12:10:59 PM
व्यर्थ गवाया 2 व्यर्थ गवाया इस जीवन को पुनर्जनम मैं पाऊँ
साँई तेरे बाबा तेरे मन्दिर की मैं घंटी बनकर आऊँ 2

साँझ सकारे मन को तुम्हारे लगते हैं जो प्यारे साँई लगते हैं जो प्यारे
घंटी के वो बोल मैं बनके गूँजू तेरे द्वारे साँई गूँजू तेरे द्वारे
भक्तों के हाथों हो SSSSSSS
भक्तों के हाथों हर पल हर दम कण-कण बजता जाऊँ
साँई तेरे मंदिर की मैं घंटी बनकर आऊँ

चाँद का चाँद और तारों का तारा,लगता है मन को प्यारा
साँई लगता है मन को प्यारा
स्वर्ग से सुन्दर सबसे न्यारा बाबा धाम तुम्हारा
साँई बाबा धाम तुम्हारा
उतनी ही कम है SSSSSSS तेरी प्रशंसा जितनी करता जाऊँ
साँई तेरे बाबा तेरे मंदिर की मैं घंटी बनकर आऊँ
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 19, 2007, 02:54:31 PM
तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूं

तुम सबके राज़दां हो हर दिल की जानते हो
फ़िर भी ये हाले दिल मैं तुमको सुना रहा हूं

मुझसे सहा न जाये अब ग़म ये ज़िन्दगी का
नन्हीं सी जाँ पे कैसे छोटी सी जाँ पे कैसे सदमे उठा रहा हूं

जब तक रहूं मैं ज़िन्दा इज़्ज़त की भीख़ देना
ये आस लेके साँई तेरे दर पे आ रहा हूं

दीदार की तलब से हाज़िर हुआ है बन्दा
मुद्द्त से मेरे साँई तेरे दर पे आ रहा हूं

तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूं
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 19, 2007, 03:11:43 PM
भावना की जोत को जगा के देख लो जगा के देख लो
आयेंगे साँई बुलाके देख लो 2
सौ बार चाहे आज़माके देखलो
आएंगे साँई बुलाके देख लो

श्रद्धा से सर को झुकाके देखिये
सारे दुःख बाबा को सुनाके देखिये
एक बार 2 आँसू बहाके देख लो बहाके देख लो
आएंगे साँई……………

करोगे सवाल तो जवाब मिलेगा
यहां पाप पुन्य का हिसाब मिलेगा
कर्मों का हिसाब लगाके देख लो लगाके देख लो
आएंगे साँई……………

साँई से अब नहीं दूर रहेंगे
हम भी आज बाबा को बुलाके रहेंगे
मन से साँई को पुकार देख लो पुकार देख लो
आएंगे साँई ………………

चरणों में ज़िन्दगी गुज़ार देखिये
बोझ सारा दिल का उतार फेंकिये
भार अपना बाबा को सौंप देख लो सौंप देख लो
आएंगे साँई बुलाके देख लो
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 24, 2007, 01:02:22 PM
तकदीर के मारे बन्दों को शिरडी में बुलालो हे साँई
बड़ा जग की बलाएं घूर रहीं हमें उनसे बचालो हे साँई

दुनिया के सताए बन्दों को जब अपनी शरण में लेते हो
बन जाते कवच हो तुम उनका कोई आँच न आने देते हो
अब हाथ पकड़ के हमको भी ज़रा पास बिठालो हे साँई

साँई तान के चादर करुणा की सब कमियाँ हमारी ढक लेना
नस-नस ये हमारी विनती करे लाज श्रद्धा की मेरी रख लेना
संसार ने जिसको ठुकराया उसे गले से लगालो हे साँई

हम बेबस और कमज़ोर बड़े दु:ख कैसे ज़माने भर के सहें
जो दर्द हमारे दिल में है तुमसे न कहें तो किससे कहें
अब अपनी महर की छाया तले हम सबको छुपालो हे साँई

तकदीर के मारे बन्दों को शिरडी में बुलालो हे साँई
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 26, 2007, 12:11:34 PM
मेरे बाबाजी बनालीजिये अपना मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना
बना लीजिये अपना बना लीजिये अपना

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ 2
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन घबराऊँ
मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना

गहरी नदिया नाव पुरानी पल-पल गोते खाये 2
आपका कहलाता हूँ साँई किसके द्वारे जाए
मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना

मन्दिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा सब ही एक समान 2
सबके रूप तुम्हीं में साँई सबमें तेरी पहचान
मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना

साँई साँई जपते-जपते सब ही उतरे पार 2
हम सब आस लगाए खड़े हैं अबतो करो उद्धार
मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 27, 2007, 12:08:41 PM
दया करो साँई दया करो अब तो हम पर दया करो 2
देर भई बड़ी देर भई अब न देर लगाया करो
दया करो साँई दया करो

मुद्दत हो गई हाथ पसारे कभी सुनी फ़रियाद नहीं
साँई बाबा इन बच्चों की आई तुम्हें क्यों याद नहीं
हम हैं बड़े कमज़ोर हमारा सबर न यूँ आज़माया करो
दया करो साँई दया करो

धूनी रमाई अलख जगाई बिगड़ी बनादो साँई राम
जग है भिखारी दुनिया सारी सबके हो तुम दाता राम
जीते हैं जो तेरे सहारे उनको न यूँ तड़पाया करो
दया करो साँई दया करो

कण-कण में बसते हो साँई हम ढूँढें तुझे मन्दिर में
हम नादान हैं मूरख बालक साँई बसे मन मन्दिर में
छोड़ेंगे न चरण तुम्हारे चाहे हमें ठुकराया करो

दया करो साँई दया करो अब तो हम पर दया करो
देर भई बड़ी देर भई अब न देर लगाया करो
दया करो साँई दया करो
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 27, 2007, 12:26:25 PM
तुम सागर ठहरे हम गागर ठहरे,हाये प्राण तुम्हीं को ध्याएँ
मोहे झलक दिखादो साँई मोहे झलक दिखादो साँई
याद बड़ी तड़पाए रे
तुम सागर ठहरे………………

आकुल-व्याकुल नैन हैं,सूने हैं दिन रैन रे 2
साँई के दर का कोई,साँई के दर का कोई रस्ता तो बतलाए रे
तुम सागर ठहरे………………

श्र्द्धा और सबूरी का देते तुम संदेश रे,
श्रद्धा और सबूरी का देते तुम संदेश
भक्ति के रस में प्रभु भक्ति के रस में प्रभु तन मन घुलता जाए रे
तुम सागर ठहरे…………

शिरडी वाले साँई की महिमा अपरम्पार रे 2
सूरज तुझसे पूछकर,सूरज तुझसे पूछकर चढ़ता ढलता जाए रे
तुम सागर ठहरे……………

पत्थर पूजन से नहीं मिलते तुम चितचोर रे
पत्थर पूजन से नहीं मिलते तुम चितचोर रे
मौसम पर मौसम मेरा मौसम पर मौसम मेरा खाली बीता जाए रे

तुम सागर ठहरे हम गागर ठहरे
हाए प्राण तुम्हीं को ध्यावें 2
मोहे झलक दिखादो साँई 2
याद बड़ी तड़पाए रे तुम सागर ठहरे हम गागर ठहरे[/color]
[/b]
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 29, 2007, 11:07:31 AM
है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
साँईनाथ के चरणों में आकर के झुकजाना
है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना

तेरा मुख्ड़ा सुन्दर है तू जान से प्यारा है 2
मैं आँखें जब खोलूँ मुझे तुम ही नज़र आना
है य पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना

तू जग का स्वामी है तू अन्तर्यामी है2
मेरी विनती सुनलेना साँई दया तू बरसाना
है य पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना

तू ही मेरी किस्मत है मुझे तेरी ज़रूरत है 2
साँई मेरी भक्ति का कुछ मोल तो दे जाना
है य पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना

इतनी मेरी अरज़ी है साँई इसको न ठुकराना
जब द्वार तेरे आऊँ साँई दर्शन दिखलाना
है य पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on May 29, 2007, 11:51:01 AM
साँई राम साँई श्याम दु:ख भन्जन तेरो नाम साँई राम साँई श्याम दु:ख भन्जन तेरो नामसाँई राम साँई श्याम दु:ख भन्जन तेरो नाम



तू मारे या तारे 2 साँई बाबा हम हैं दास तुम्हारे

जब से अपनी आँख खुली है
दिन उजला हर शब उजली है
जागे भाग हमारे,जागे भाग हमारे
ओ साँई बाबा हम हैं दास तुम्हारे

सदियों से थे पहरे दिल पर
आ पहुँचे अपनी मज़िल पर
आख़िर तेरे सहारे आख़िर तेरे सहारे
ओ साँई बाबा हम हैं दास तुम्हारे

हम तड़पत हैं तेरे दर्शन को
मांगत हैं तुझसे तेरे मन को
कबसे हाथ पसारे कबसे हाथ पसारे
ओ साँई बाबा हम हैं दास तुम्हारे

खोज में तेरी नीर बहाएँ
जाने और कहाँ ले जाएँ
इन अँखियन के धारे इन अँखियन के धारे
ओ साँई बाबा हम हैं दास तुम्हारे

हर संकट हर पीड़ को देखो
भक्तजनों की भीड़ को देखो
कोई न पत्थर मारे कोई न पत्थर मारे
ओ साँई बाबा हम हैं दास तुम्हारे
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on June 03, 2007, 12:54:09 PM
थोड़ा ध्यान लगा साँई दौड़े-दौड़े आएँगे थोड़ा ध्यान लगा थोड़ा ध्यान लगा साँई दौड़े-दौड़े आएँगे थोड़ा ध्यान लगा



भिक्षा देदे माई भिक्षा देदे माई
तेरे द्वार पे चलके आया शिरडी वाला साँई
भिक्षा देदे माई

चिमटा कटोरा सटका लेकर भिक्षा माँगने आए
तू दे न दे फिर भी साँई आशिष दे कर जाए
भिक्षा देदे माई

देवे भिक्षा उसको साँई दस पट कर लौटाए
ना भी दे तो हरपल साँई उसका भार उठाए
भिक्षा देदे साँई

दान धरम से भोग है कटता यह बतलाने आए
एक इशारा हो जाए उसका भव से तू तर जाए
भिक्षा देदे माई

रूप बदलना आदत उसकी घर भक्तों के जाए
रोटी टुकड़ा भिक्षा मांगे असली रूप छिपाए
भिक्षा देदे माई

तेरे द्वार पे चलकर आया शिरडी वाला साँई
भिक्षा देदे माई
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on June 13, 2007, 12:39:13 PM
ॐ साँई नमो नमः  ॐ साँई नमो नमः  ॐ साँई नमो नमः  ॐ साँई नमो नमः  ॐ साँई नमो नमः  ॐ साँई नमो नमः



धूल तेरे चरणों की बाबा चन्दन और अबीर बनी
जिसने लगाई निज मस्तक पर उसकी तो तकदीर बनी
धूल तेरे चरणों की बाबा……………

हर वस्तू का मोल है जग में इस वस्तू का मोल नहीं
चरणधूल से बढ़कर जग में चीज कोई अनमोल नहीं
धूल्………………

पार हुई पत्थर की अहिल्या चरण धूल को पाने से
भिलनी तर गई राम चरण की रज में डुबकी लगाने से
धूल्……………

जिन चरणों में गंगा बह्ती उन चरणों का करें हम ध्यान
लाखों पत्थर हीरे बनगये चरण-धूल में कर स्नान
धूल……………

तेरे चरणों की महिमा गाएँ युग-युग से ये वेद पुराण
आके श्रद्धा से हम करलें तुमको लाखों बार प्रणाम
धूल्……………

देवता तरसें इस धूली को पावन है कितनी धूली
लाखों देवता ब्रिज में ढूँढें चरण धूल की कुन्ज गली

धूल तेरे चरणों की बाबा चन्दन और अबीर बनी
जिसने लगाई निज मस्तक पर उसकी तो तकदीर बनी
धूल तेरे चरणों की बाबा………………
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on June 27, 2007, 01:08:33 PM
मेरे बाबाजी बनालीजिये अपना मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना मेरे बाबाजी बनालीजिये अपना  मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना मेरे बाबाजी बनालीजिये अपना




हम मतवाले हैं चले साँई के देस 2
जहाँ सभी को चैन मिलेगा कभी न लागे ठेस
हम मतवाले हैं चले साँई के देस

फूल सी धरती बनती जाए एक पिघलता लावा
पहन रही है पगली दुनिया अग्नि का पहरावा
जाने अभी ये बन्दे तेरे बदलें कितने भेस
हम मतवाले……………

देखो अपनी हर मुश्किल है आज समस्या उसकी
चलो चलें चरणों में सोकर करें तपस्या उसकी
किस सपने में कब मिल जाए प्रेम भरा संदेस
हम मतवाले………………

हमें न है कुछ फ़िक्र आजकी न अँदेसा कलका
मनका -मनका जपते कर लिया मनका बोझा हलका
दो दिन की बहरूपी दुनिया असल में है परदेस

हम मतवाले हैं चले साँई के देस
हम मतवाले………………
Title: Re: सांई के भजन
Post by: pam99999 on July 03, 2007, 06:38:40 AM
AUM SAI RAM!
Title: Re: सांई के भजन
Post by: bindu tanni on July 14, 2007, 12:09:14 PM
सबका मालिक एक  सबका मालिक एक  सबका मालिक एक  सबका मालिक एक  सबका मालिक एक  सबका मालिक एक  सबका मालिक एक सबका मालिक एक  


साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान
हे साँई बाबा हे साँई बाबा
साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान

इक दिन हरिश्च्न्द्र भरे ख़ज़ाना 4
फिर माँगे कफ़न का दान
न सब दिन एक समान

इक दिन रामचन्द्र चढ़े विमाना 4
फिर हुआ उनका बनवास
न सब दिन एक समान

इक दिन बालक भयो सयाना 4
फिर जाकर जरे मसान
न सब दिन एक समान

कहत कबीरा पद निरवाना 4
जो समझे चतुर सुजान
न सब दिन एक समान

साँई कैसा तेरा ये विधान
न सब दिन एक समान
Title: Re: सांई के भजन
Post by: saikrupakaro on August 23, 2007, 03:35:41 AM
:-* :-* :-* :-* :-*Dear Sai Bhagat, :-* :-* :-* :-* :-* :-*

when you see this Messge " Close your eyes and see SAI BABA  , breath inhale saying BABA BE WITH ME ALWAYS " open your eyes.

Thanks baba is happy with you.

 :-* :-* :-* :-* :-* :-*Bolo shri Sat Guru Sainath maharaj ki JAI :-* :-* :-* :-* :-* :-*

Sai Anamika :-* :-* :-* :-* :-* :-* :-*
Title: Re: सांई के भजन
Post by: Kapilnegi on January 23, 2008, 04:10:19 AM
OM SAI RAM...

Title: Re: सांई के भजन
Post by: MONTU on July 23, 2009, 03:53:36 AM
ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई राम ॐ सांई

तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूं,जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ 2

तुम सबके राज़दां हो हर दिल की जानते हो 2
फ़िर भी ये हाले दिल मैं 2 तुमको सुना रहा हूँ
तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हूँ

मुझसे सहा न जाये अब ग़म ये ज़िन्दगी का 2
नन्हीं सी जाँ पे कैसे सदमे उठा रहा हूँ
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

जब तक रहूँ मैं ज़िन्दा इज्ज़्त की भीख देना 2
ये आस लेके साँई तेरे दर पे आरहा हूँ
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

दीदार की तलब से हाज़िर हुआ है बन्दा 2
मुद्द्त से मेरे साँई तेरे दर पे आरहा हूँ
जैसी भी निभ रही है वैसी निभा रहा हूँ

ॐ साँई राम साँई राम साँचा तेरा नाम

Title: Re: सांई के भजन
Post by: sunita.pahuja on August 14, 2009, 12:52:05 AM
mere baba ne lagai pulwari ki pata pata sai bolda. kya aapke pas ye bhaja hai tu please isme bheje.
Title: Re: सांई के भजन
Post by: asharamsohni on August 26, 2009, 11:25:11 PM
kya kahun bindu bahen aap ne to apne bhajano se
hame sai ke sakshat darshan karadiye.
bhakth ko apni pahachan karadi
sai aap ki shradha banaye rakhe aur sabhi ka maarg darshan ho

sai charanome aap ka bhai
Title: Re: सांई के भजन
Post by: shalabh on January 07, 2011, 10:31:00 PM

KAVAL  SAI SAI  KAHO

JAGRAN  BHI    MAN  KA  HO
MAN  AAPKO  ARPAN  HO
HATH  THAMEY  AAP  CHALEIN
JEEVAN  PATH SARAL  HO

JAGRAN  MAN  KA  HO
BHAV  KAVEL SAI  KA  HO
TAN MERA  PULKIT  HO
INDREY  SUKH  TILANJIT  HO

KAVAL  SAI SAI  KAHO
Title: Re: सांई के भजन
Post by: manjuprakas on April 23, 2011, 12:55:49 AM
very good and all sai baba's blessing with u u did very good job
om sai ram