श्याम नाम रस बरसे रे मनवा,
श्याम नाम रस बरसे ||
सावन भादो जस हिरयाली,
तस् हिरयाली तन में |
जस बसंत में फुलवा खिलते,
तस फुलवारी मन में ||
निरख -निरख प्रभु श्याम छबि को,
मनवा मोरा हरषे ||१||
श्याम नाम में मन अस भीज़ा,
नदिया तट हो जैसे |
श्याम बिना है जीवन ऐसो ,
जल बिन मीन हो वेसे |
‘दास नारायण’ प्रभु चरनन को,
बार-बार मन तरसे ||२||