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Author Topic: आरती संग्रह  (Read 42838 times)

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Offline rajiv uppal

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आरती संग्रह
« on: January 28, 2008, 06:03:39 AM »
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  • श्री गणेश जी की आरती  


    जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .
       माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ..

    एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
    माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी .
    पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
    लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ..

       अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
       बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया .
       ' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
       जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

    ---------------------------------------------------------------------------------------------



    ..तन है तेरा मन है तेरा प्राण हैं तेरे जीवन तेरा,सब हैं तेरे सब है तेरा मैं हूं तेरा तू है मेरा..

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #1 on: January 28, 2008, 06:06:18 AM »
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  • श्री भग्वन्नाम आरती


    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे .
        भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ..
       
    जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का .
    सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ..
       
        मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी .
        तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ..
       
    तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी .
    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ..
       
        तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता .
        मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ..
       
    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति .
    किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ..
       
        दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे .
        करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे ..
       
    विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा .
    श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ..
    ..तन है तेरा मन है तेरा प्राण हैं तेरे जीवन तेरा,सब हैं तेरे सब है तेरा मैं हूं तेरा तू है मेरा..

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #2 on: January 28, 2008, 06:08:29 AM »
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  • श्री लक्ष्मी माता की आरती


    ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
    तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत
    हर विष्णु विधाता .
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
    ओ मैया तुम ही जग माता .
    सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
    ओ मैया सुख सम्पति दाता .
    जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
    ओ मैया तुम ही शुभ दाता .
    कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
    ओ मैया सब सद्गुण आता .
    सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
    ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .
    खान पान का वैभव, सब तुम से आता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
    ओ मैया क्षीरोदधि जाता .
    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..

    महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
    ओ मैया जो कोई जन गाता .
    उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
    ॐ जय लक्ष्मी माता ..
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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #3 on: January 28, 2008, 06:12:00 AM »
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  • श्री शिव शंकर जी की आरती


    ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा .
    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ..
    जय शिव ॐकारा ..

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे
    स्वामी पंचानन राजे .
    हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे ..
    जय शिव ॐकारा ..

    दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे
    स्वामी दस भुज से सोहे .
    तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ..
    जय शिव ॐकारा ..

    अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
    स्वामि मुण्डमाला धारी .
    चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी ..
    जय शिव ॐकारा ..

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे
    स्वामी बाघाम्बर अंगे .
    सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ..
    जय शिव ॐकारा ..

    कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता
    स्वामी चक्र त्रिशूल धरता .
    जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता ..
    जय शिव ॐकारा ..

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
    स्वामि जानत अविवेका .
    प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका .
    जय शिव ॐकारा ..

    निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे
    स्वामि जो कोई नर गावे .
    कहत शिवानंद स्वामी मन वाँछित फल पावे .
    जय शिव ॐकारा ..
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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #4 on: January 28, 2008, 06:16:16 AM »
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  • श्री कृष्ण जी की आरती


    आरती कुँज बिहारी की
    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

    गले में वैजन्ती माला, माला
    बजावे मुरली मधुर बाला, बाला
    श्रवण में कुण्डल झलकाला, झलकाला
       नन्द के नन्द,
       श्री आनन्द कन्द,
       मोहन बॄज चन्द
       राधिका रमण बिहारी की
    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

    गगन सम अंग कान्ति काली, काली
    राधिका चमक रही आली, आली
    लसन में ठाड़े वनमाली, वनमाली
       भ्रमर सी अलक,
       कस्तूरी तिलक,
       चन्द्र सी झलक
       ललित छवि श्यामा प्यारी की
    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

    जहाँ से प्रगट भयी गंगा, गंगा
    कलुष कलि हारिणि श्री गंगा, गंगा
    स्मरण से होत मोह भंगा, भंगा
       बसी शिव शीश,
       जटा के बीच,
       हरे अघ कीच
       चरण छवि श्री बनवारी की
    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

    कनकमय मोर मुकुट बिलसै, बिलसै
    देवता दरसन को तरसै, तरसै
    गगन सों सुमन राशि बरसै, बरसै
       अजेमुरचन
       मधुर मृदंग
       मालिनि संग
       अतुल रति गोप कुमारी की
    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

    चमकती उज्ज्वल तट रेणु, रेणु
    बज रही बृन्दावन वेणु, वेणु
    चहुँ दिसि गोपि काल धेनु, धेनु
       कसक मृद मंग,
       चाँदनि चन्द,
       खटक भव भन्ज
       टेर सुन दीन भिखारी की
    श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..
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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #5 on: January 28, 2008, 06:18:17 AM »
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  • श्री अम्बे माता जी की आरती

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
    तुम को निस दिन ध्यावत
    मैयाजी को निस दिन ध्यावत
    हरि ब्रह्मा शिवजी .
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
    मैया टीको मृगमद को
    उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
    मैया रक्ताम्बर साजे
    रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
    मैया खड्ग कृपाण धारी
    सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
    मैया नासाग्रे मोती
    कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
    मैया महिषासुर धाती
    धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे
    मैया शोणित बीज हरे
    मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
    मैया तुम कमला रानी
    आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
    मैया नृत्य करत भैरों
    बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
    मैया तुम ही हो भर्ता
    भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
    मैया वर मुद्रा धारी
    मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
    मैया अगर कपूर बाती
    माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
    बोलो जय अम्बे गौरी ..

    माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
    मैया जो कोई नर गावे
    कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
    बोलो जय अम्बे गौरी ..
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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #6 on: January 28, 2008, 06:19:54 AM »
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  • श्री सन्तोषी माता जी की आरती

    जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता .
    अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता .
    मैया जय सन्तोषी माता .

    सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो
    मैया माँ धारण कींहो
    हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो
    मैया जय सन्तोषी माता .

    गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
    मैया बदन कमल सोहे
    मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे
    मैया जय सन्तोषी माता .

    स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे
    मैया चँवर डुले प्यारे
    धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे
    मैया जय सन्तोषी माता .

    गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो
    मैया ता में सन्तोष कियो
    संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो
    मैया जय सन्तोषी माता .

    शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही,
    मैया आज दिवस सो ही
    भक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही
    मैया जय सन्तोषी माता .

    मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई
    मैया मंगल ध्वनि छाई
    बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई
    मैया जय सन्तोषी माता .

    भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै
    मैया अंगीकृत कीजै
    जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै
    मैया जय सन्तोषी माता .

    दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये
    मैया संकट मुक्त किये
    बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये
    मैया जय सन्तोषी माता .

    ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो
    मनवाँछित फल पायो
    पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो
    मैया जय सन्तोषी माता .

    चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे
    मैया रखियो जगदम्बे
    संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे
    मैया जय सन्तोषी माता .

    सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे
    मैया जो कोई जन गावे
    ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे
    मैया जय सन्तोषी माता .
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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #7 on: January 28, 2008, 06:21:33 AM »
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  • श्री हनुमान जी की आरती


    आरति कीजै हनुमान लला की .
    दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

    जाके बल से गिरिवर काँपे
    रोग दोष जाके निकट न झाँके .
    अंजनि पुत्र महा बलदायी
    संतन के प्रभु सदा सहायी ..
    आरति कीजै हनुमान लला की .

    दे बीड़ा रघुनाथ पठाये
    लंका जाय सिया सुधि लाये .
    लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई
    जात पवनसुत बार न लाई ..
    आरति कीजै हनुमान लला की .

    लंका जारि असुर संघारे
    सिया रामजी के काज संवारे .
    लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
    आन संजीवन प्राण उबारे ..
    आरति कीजै हनुमान लला की .

    पैठि पाताल तोड़ि यम कारे
    अहिरावन की भुजा उखारे .
    बाँये भुजा असुरदल मारे
    दाहिने भुजा संत जन तारे ..
    आरति कीजै हनुमान लला की .

    सुर नर मुनि जन आरति उतारे
    जय जय जय हनुमान उचारे .
    कंचन थार कपूर लौ छाई
    आरती करति अंजना माई ..
    आरति कीजै हनुमान लला की .

    जो हनुमान जी की आरति गावे
    बसि वैकुण्ठ परम पद पावे .
    आरति कीजै हनुमान लला की .
    दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..
    ..तन है तेरा मन है तेरा प्राण हैं तेरे जीवन तेरा,सब हैं तेरे सब है तेरा मैं हूं तेरा तू है मेरा..

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #8 on: February 01, 2008, 01:50:29 AM »
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  • साई बाबा की आरती~~~                  
     

    आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ।
    चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ बाबा ॥



    विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
    तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
    हे जगदाता अवतारे, साईँ बाबा ।
    आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥



    ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
    ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
    सुन लो विनती हमारी साईँ बाबा ।
    आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥



    आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
    सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
    शिरडी के संत चमत्कारी साईँ बाबा ।
    आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥



    भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
    प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
    दुखिया जनों के हितकारी साईँ बाबा ।
    आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #9 on: May 21, 2008, 11:19:48 AM »
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  • ओम साईं राम

    अमृत आरती श्री साईं बाबा जी की


    ( ओम जय जगदीश हरे............के सुर पर )


    ओम जै प्रभु साईं नाथा
    जै जै प्रभु साईं नाथा
    अमृत है इस जग में तेरो गुण गाथा
    ओम जै प्रभु साईं नाथा

    तेरी दया करुणा के
    सब जग गुण गाता
    साईं सब जग गुण गाता
    शरण तेरी में आकर
    प्राणी सुख पाता

    ओम जै प्रभु साईं नाथा
    जै जै प्रभु साईं नाथा
    अमृत है इस जग में तेरो गुण गाथा
    ओम जै प्रभु साईं नाथा

    मंगल महिमा तेरी मंगल नाम तेरो
    साईं मंगल नाम तेरो
    क्षमा करो हे मैया
    जन के पाप हरो

    ओम जै प्रभु साईं नाथा
    जै जै प्रभु साईं नाथा
    अमृत है इस जग में तेरो गुण गाथा
    ओम जै प्रभु साईं नाथा

    हम हैं बालक तेरे
    हम पर दया करो
    साईं हम पर दया करो
    हे मैया बच्चों के
    अवगुण चित्त न धरो

    ओम जै प्रभु साईं नाथा
    जै जै प्रभु साईं नाथा
    अमृत है इस जग में तेरो गुण गाथा
    ओम जै प्रभु साईं नाथा

    भक्ति भाव से तुझको
    जो निशदिन ध्यावें
    साईं जो निशदिन ध्यावें
    सो जन साईं दया से
    भव से तर जावें

    ओम जै प्रभु साईं नाथा
    जै जै प्रभु साईं नाथा
    अमृत है इस जग में तेरो गुण गाथा
    ओम जै प्रभु साईं नाथा

    शरण तेरी हम आए
    हमको अपनाओ
    साईं हमको अपनाओ
    लाख जनम से बिछडे
    अब तो मिल जाओ

    ओम जै प्रभु साईं नाथा
    जै जै प्रभु साईं नाथा
    अमृत है इस जग में तेरो गुण गाथा
    ओम जै प्रभु साईं नाथा

    श्री साईं स्तोत्रम


    नमो साईं सत्यम शिवम सुंदरम
    नमो ब्रह्म रूपम नमो जग गुरम
    नमो देव देवम सर्व आत्मम
    नमो भगवती रूप करुणाकरम


    "ओम श्री साईं"

    जय साईं राम

    Offline tana

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #10 on: June 30, 2008, 03:47:45 AM »
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  • वृहस्पतिवार व्रत की आरती~~~


    जय जय आरती राम तुम्हारी। राम दयालु भक्त हितकारी॥
    जनहित प्रगटे हरि व्रतधारी। जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पारी॥
    द्रुपदसुता को चीर बढ़ायो। गज के काज पयादे धायो॥
    दस सिर छेदि बीस भुज तोरे। तैंतीसकोटि देव बंदी छोरे॥
    छत्र लिए सर लक्ष्मण भ्राता। आरती करत कौशल्या माता॥
    शुक शारद नारदमुनि ध्यावैं। भरत शत्रुघन चँवर ढुरावैं॥
    राम के चरण गहे महावीरा। ध्रुव प्रहलाद बालिसुर वीरा॥
    लंका जीति अवध हरि आए। सब संतन मिलि मंगल गाए॥
    सीय सहित सिंहासन बैठे। रामा। सभी भक्तजन करें प्रणामा॥
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline tana

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #11 on: June 30, 2008, 03:48:36 AM »
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  • बुधवार व्रत की आरती~~~

    आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥
    गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
    रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
    ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
    फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥
    कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
    श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
    नंदनंदन बृजभान किशोरी। परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

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    Offline tana

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #12 on: June 30, 2008, 03:49:48 AM »
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  • ~~~॥श्री शनिदेव जी की आरती॥~~~


    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
    सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय॥
    श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
    नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय॥
    क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
    मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय॥
    मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
    लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय॥
    देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
    विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥जय॥
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

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    Offline bindu tanni

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #13 on: July 16, 2008, 10:48:04 AM »
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  • गद-गद ह्रदय से आरती उतारें साँई प्रेम की दिल मैं जलाएँ बाती
    साँई नाथ तेरी आरती हे दयाल तेरी आरती

    साँई पूरण पुरुष विधाता साँई भक्तों के सुख दाता
    साँई नाथ तेरी आरती,हे दयाल तेरी आरती

    साँई तेरी लीला न्यारी,तेरे चरणों की बलिहारी
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई हम हैं तेरे बन्दे,तेरी पूजा में हैं रंगे
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई हम हैं तेरे बालक,तू है हमरा सबका पालक
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई सच्ची भक्ती दीजो,साँई अपना ही कर लीजो
    साँई नाथ तेरी आरती……………

    साँई ब्रह्म का भेद बताओ,हमको माया से छुड़ाओ
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई देह का मान मिटाओ,अन्तर आतम में ले जाओ
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई अपना आप मिटाएँ,हम सब तुझमें ही मिलजाएँ
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई बसो मन के माहीं,अन्दर साँई बाहर साँई
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    साँई तुझ बिन कोऊ नाहीं,मेरो साँई मेरो साँई
    साँई नाथ तेरी आरती…………

    सँई तेरा तेरा तेरा मैं हूँ तेरा तेरा तेरा

    बाबा मेरे राम हैं बाबा घनश्याम हैं
    बाबा पे मैं वारी जाऊँ कोटि परनाम हैं
    बाबा मेरे राम हैं बाबा घनश्याम हैं
     

    Offline asharamsohni

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    Re: आरती संग्रह
    « Reply #14 on: August 27, 2009, 01:10:59 AM »
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  • बाबा मेरे राम हैं बाबा घनश्याम हैं
    बाबा पे मैं वारी जाऊँ कोटि परनाम हैं
    बाबा मेरे राम हैं बाबा घनश्याम हैं
    bahen aapke andar ki aavaas ko mai kya kahoon
    sakshath saraswathi ka vaas hai aap ke ander
    shabdkosh aap ke ander dhanya ho aap,

     


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