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Indian Spirituality => Bhajan Lyrics Collection => Topic started by: tana on January 14, 2008, 05:23:48 AM

Title: रामायण~~~
Post by: tana on January 14, 2008, 05:23:48 AM
ॐ साईं राम~~~

मंगल भवन अमंगल हारी,
दॄवहुसु दशरथ अजिर बिहारि ||

होवहि वही जो राम रचि राखा,
को करि तरक बढावहिं साखा ||

सुमति कुमति सब कें उर रहहीं ,
नाथ पुरान निगम अस कहहीं ||

जहां सुमति तहां सम्पत्ति नाना,
जहां कुमति तहां विपत्ति निधाना ||

जय साईं राम~~~
Title: Re: रामायण~~~
Post by: MANAV_NEHA on January 14, 2008, 05:35:48 AM
हो  मंगल  भवन  अमंगल  हरी  द्रभुसुदाश्रत  अजर्बिहारी
राम  सिया  राम सिया राम जय जय राम

हो होई है वही जो राम रची राखा कोकरी  तरसबदावेसखा
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो  धीरज धरम मिरत अरुनरी आपद काल परख यह चारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो  जेहि  के जेहि पर सत सनेहू सोताहिये  मिलये  न कछु संदेहू
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो जाकी रही भावना  जैसी प्रभु मूरत देखि तिन तैसी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो हरी आनत  हरी कथा आन्था कहहि सुनाही ब्रहुविर्धि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

प्रभासी  नगर  कीजे  सब  काजा हृदय
रखी  कौशल पुर  राजा 
                     जय सिया राम 
Title: Re: रामायण~~~
Post by: Ravi Sathe on July 07, 2008, 03:34:54 AM
There was no King as Great as "Bhagwan Ram". He is an Ideal man, father, son. husband , brother, and King.