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Indian Spirituality => Bhajan Lyrics Collection => Topic started by: tana on July 07, 2008, 12:52:25 AM

Title: नैया पड़ी मंझधार सांई बिन कैसे लागे पार~~~
Post by: tana on July 07, 2008, 12:52:25 AM
ॐ सांई राम~~~


नैया पड़ी मंझधार सांई बिन कैसे लागे पार~~~


साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये,
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं~~
अंतरयामी एक तुम आतम के आधार,
जो तुम छोड़ो हाथ सांईजी कौन उतारे पार~~
सांई बिन कैसे लागे पार~~~

मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार,
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार~~
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़,
जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज~~
सांई बिन कैसे लागे पार~~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: नैया पड़ी मंझधार सांई बिन कैसे लागे पार~~~
Post by: tana on July 09, 2008, 09:33:53 PM
ॐ सांई राम~~~


नैया पड़ी मंझधार सांई बिन कैसे लागे पार~~~


साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये,
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं~~
अंतरयामी एक तुम आतम के आधार,
जो तुम छोड़ो हाथ सांईजी कौन उतारे पार~~
सांई बिन कैसे लागे पार~~~

मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार,
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार~~
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़,
जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज~~
सांई बिन कैसे लागे पार~~~

जय सांई राम~~~