प्रताप जी,
आपका व्यथित होना उचित है , परन्तु यह लोग नया कुछ नहीं कर रहे , इस संसार मे ऊँचा उठने के दो मार्ग होते है , प्रथम अपने गुणों को विकसित करना और दूसरा मार्ग है अपने को ऊँचा सिद्ध करने के लिए अन्य धर्म के अनुयायिओं को नीचा सिद्ध करना . यह मात्र बाबा साईं के विरुद्ध ही नहीं बोलते, बल्कि जो भी धर्म या महापुरुष प्रसिद्धी के शिखर पर हो, वही इनकी आलोचना का शिकार बनता है, जिस संगठन की स्थापना ही नकारात्मक विचारधारा के साथ हुई हो , उनके लिए तो यह साधारण बातें है ...... उचित यही है, उनको उनके हाल पर छोड़ दो, समय अपने आप उनको सत्य से अवगत कराएगा !
ॐ श्री साईं राम !