शानू,
अजब प्रार्थना है जैसे कोई बच्चा कहे की मुझे नदी मे नहाना है पर गीला नहीं होना .............. संसार मे रहोगी तो संसार के matter तो deal करने ही पड़ेंगे, माया की शक्ति को तो स्वम राम ने (सीता माता की खोने पर ), क्रिशन ने (अभिमन्यु की मृत्यु पर ) स्वीकार किया था , तो हम साधारण लोग कहाँ बच सकते है ........... एक सत्य अनुभव से बताता हूँ, जो माया हमें सांसारिक मामलो मे उलझा कर इश्वर से दूर करती है, वही भक्त की सच्ची लगन देखकर उसको प्रभु चरणों से जोडती है , अच्छे बुरे का ज्ञान देती है ................ अगर मन मे प्रभु के प्रति सच्चा भाव प्रगट हो तो , सच्चा प्रेम जब जग जाता है तो माया समस्त मार्गो को प्रभु के चरणों से जोड़ देती है ....... और जीवन एक नेसर्गिक आनंद से भर जाता है !
साईं की आशीष तुमे प्राप्त हो !
ॐ श्री साईं राम !