ॐ श्री साईंनाथाय नमः
ॐ लक्ष्मीनारायणाय नमः
ॐ कृष्णरामशिवमारुत्यादिरूपाय नमः
ॐ शेषशायिने नमः
ॐ गोदावरी तटशीलधीवासिने नमः
बाबा मै एक अनजान देश में अनजान व्यक्तिओ के बीच में अपना कर्म (जीविकोपार्जन) कर रहा हूँ . सोचा था की यहाँ सकाम कार्य की पहचान होगी और अपनी मेहनत और लगन से मै एक सफल मुकाम को हासिल कर पाउँगा. पर बाबा यहाँ भी हमारे देश की तरह ही सच्ची मेहनत और लगन का कोई महत्व नहीं है. षड्यंत्र, चालाकी और चाटुकारिता का ही बोलबाला है अपने देश की तरह. जिस तरह से दूर से सरसों का खेत बहुत घना दीखता है,पर पास आने पर सबकुछ खाली-खाली सा होता है ,उसी तरह हमारे वहां और यहाँ कोई विभिन्नता नहीं है. यहाँ आने के पश्च्यात पता चला की मनुष्य की प्रकृति और प्रविर्ती यथारूप से सामान ही होती है केवल उसकी बहीरूपता में अंतर होता है.
बाबा मै बहुत ही प्रयत्न कर रहा हूँ की जैसा आपने अपने विचारो और वचनों में कहा है उसी का अनुसरण कर सकूँ पर कभी-कभी बहुत विवश हो जाता हूँ. षड्यंत्रों का सामना करना कभी -कभी नामुश्किल सा प्रतीत होने लगता है. मन अपना दृढ़ता और धर्यता को खो देता है.
मुझे बाबा पूर्ण विस्वास है की आपकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता तो लाख कोसिस करने पर भी कोई मेरा अहित नहीं कर सकता. बाबा आपके चरणों में मेरी प्राथना है की मुझे हर विसमताओ से बचा के रखियेगा. बाबा मै परिस्थियो के अधीन न होऊ और आपके दिखाए मार्ग पर ही चलता रहूँ. बाबा मेरी रक्षा करना. मेरी अब परीक्षा न लो देवा क्योकि सारी जिन्दगी कड़ी परीक्षाओ से गुजरा हूँ ,मुझमे अब हिम्मत नहीं है बाबा . साईनाथ मुझे सदेव हर पाप कर्म से बचाये रखियेगा.
बाबा मेरी नाव के माझी और पतवार भी आप ही हो. बाबा आपके भरोसे ही अब मेरा सम्पूर्ण जीवन है . देवा रक्षा करना .
ॐ साईं राम