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Prayers Section => Sai Baba Help Me => Confession Box => Topic started by: Pratap Nr.Mishra on January 02, 2012, 10:20:44 AM

Title: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on January 02, 2012, 10:20:44 AM






ॐ श्री साईंनाथाय नमः
ॐ लक्ष्मीनारायणाय नमः
ॐ कृष्णरामशिवमारुत्यादिरूपाय नमः
ॐ शेषशायिने नमः
ॐ गोदावरी तटशीलधीवासिने नमः 

बाबा मै एक अनजान देश में अनजान व्यक्तिओ के बीच में अपना कर्म (जीविकोपार्जन) कर रहा हूँ . सोचा था की यहाँ सकाम कार्य की पहचान होगी और अपनी मेहनत और लगन से मै एक सफल मुकाम को हासिल कर पाउँगा. पर बाबा यहाँ भी हमारे देश की तरह ही सच्ची मेहनत और लगन का कोई महत्व नहीं है. षड्यंत्र, चालाकी और चाटुकारिता का ही बोलबाला है अपने देश की तरह. जिस तरह से दूर से सरसों का खेत बहुत घना दीखता है,पर पास आने पर सबकुछ खाली-खाली सा होता है ,उसी तरह हमारे वहां और यहाँ कोई विभिन्नता नहीं है. यहाँ आने के पश्च्यात पता चला की मनुष्य की प्रकृति और प्रविर्ती यथारूप से सामान ही होती है केवल उसकी बहीरूपता में अंतर होता है.

बाबा मै बहुत ही प्रयत्न कर रहा हूँ की जैसा आपने अपने विचारो और वचनों में कहा है उसी का अनुसरण कर सकूँ पर कभी-कभी बहुत विवश हो जाता हूँ.  षड्यंत्रों का सामना करना कभी -कभी नामुश्किल सा प्रतीत होने लगता है. मन अपना दृढ़ता और धर्यता को खो देता है.

मुझे बाबा पूर्ण  विस्वास है की आपकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता तो लाख कोसिस करने पर भी कोई मेरा अहित नहीं कर सकता. बाबा आपके चरणों में मेरी प्राथना है की मुझे हर विसमताओ से बचा के रखियेगा. बाबा मै परिस्थियो के अधीन न होऊ और आपके दिखाए मार्ग पर ही चलता रहूँ. बाबा मेरी रक्षा करना. मेरी अब परीक्षा न लो देवा क्योकि सारी जिन्दगी कड़ी परीक्षाओ से गुजरा हूँ ,मुझमे अब हिम्मत नहीं है बाबा . साईनाथ मुझे सदेव हर पाप कर्म से बचाये रखियेगा.

बाबा मेरी नाव के माझी और पतवार भी आप ही हो. बाबा आपके भरोसे ही अब मेरा सम्पूर्ण जीवन है . देवा  रक्षा करना .

ॐ साईं राम















Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on January 26, 2012, 07:25:28 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

बाबा आज मेरी मनः स्थिति बहुत ही अशांत है और अशांत होने का कारण आप भालीभाती जानते हो. किसी को ऋण देकर सहायतार्थ करना क्या इतना बड़ा गुनाह हो गया कि जिसकी वजह से मै इन  स्थितियों का सामना कर रहा हूँ. बाबा मुझे ये भी पता है की आप मुझे इस पीड़ा से जरूर मुक्ति दिलवाओगे पर साईं इस पीड़ा को सह पाना भी बहुत मुस्किल सा प्रतीत होता है. सबकुछ जानने के बाद भी कि ये मेरे पूर्व के कर्मफल ही है जो मुझे इस जीवन में भोगने है,पर कभी-कभी अभावग्रस्त हालत को देखते हुये जिन भावनायो का मैंने दमन कर दिया था वो पुनः फन फैलाकर मेरे सामने आ जाती है.  इस सहायता के ऋण को चुकाने के बदले मै खुद भी आज ऋणी हो गया हूँ.  साईं मेरे देवा मेरे पिता मुझपर इतनी कृपा अवश्य करना की मै किसी भी तरह से खुद के ऋणों से इस जीवन में मुक्त हो सकूँ. ऋण की एक-एक पाई चूका सकूँ ,इतना समर्थवान बना देना. तेरे ही आशीर्वाद से मै जहा कभी की कल्पना नहीं कर सकता था वहां आज हूँ और जीविकोपार्जन कर रहा  हूँ. मुझे दृढ विस्वास है कि मै इन सब परेशानियो से अवश्य मुक्त हो जाऊंगा क्योकि मै आपकी शरण में हूँ पर कर्मो के लेनदेन के  बहीखाता के अनुसार तो दुःख-सुख भोगना ही पड़ेगा. बाबा मै ये भी अच्छी तरह से जनता हूँ की ऋण देनेवाले भी आप ही थे और लेनेवाले भी आप ही हो क्योकि आपकी इच्छा के बिना न कोई किसीको कुछ दे सकता है न ही ले सकता है. आपकी इच्छा के बिना तो एक पत्ता भी नहीं हिल सकता .

बाबा इन परेशानियो के तहत भी मुझे कुछ ज्ञान भी मिला. दानशील हर मनुष्य को होना चाहिए पर राजा बलि की तरह बिने सोचे समझे दान भी नहीं देना चाहिए. किसी की सहायता अवश्य करनी  चाहिए पर उसका मकसद और उसकी योग्यता का भी बुद्धि द्वारा विवेचन करके ही कुछ करना चाहिए. दान सेवा का मतलब ये नहीं है कि किसी अनर्थक कार्य या कपट बुद्धि वाले और दुसरे के धन के लोभी प्रवृति वाले व्यक्तिओ को किया जाये क्योकि तब  इस सेवा और सच्ची भावना का कोई मोल नहीं रहता . सांप को बाज़ से बचालेने पर भी क्या सांप डसना भूल जाता है ऐसा तो सम्भव ही नहीं है क्योकि सांप की प्रविर्ती ही डसना है.  हर सात्विक गुणों का होना हमारे लिए उतना ही जरूरी है जितना उसके सही उपयोग्य की जानकारियो का ज्ञान रखना . इस कर्मयुद्ध के मैदान में इस तरह के लालची अधर्मियो की सेवा न करने पर भी वो अकर्म नहीं बलकि सुकर्म ही कहलायेगा.

साईं तेरे श्री चरणों में मेरा यही निवेदन है की मुझे इस पीड़ा से मुक्त करा दे. बाबा अशांत मन भी भक्ति के मार्ग में एक सबसे बड़ी बाधा है. इस बाधा का निवारण इस जगत में तेरे सिवाय और कोई दूसरा कर ही नहीं सकता मेरे देवा. बाबा आज जिन विचारो का दमन करदिया था वो पुनः मुझे अशांत करने को आ गए है. मुझे साईं इन विचारो से निजात दिलवाओ. साईं दुखो को सेहन करने की शक्ति प्रदान करो जिससे इस विषम परिस्तिथी में भी मन की शांति को न खोऊ.

ॐ साईं राम


Title: बाबा के द्वारा मेरा मार्गदर्शन
Post by: Pratap Nr.Mishra on January 31, 2012, 01:28:19 AM



ॐ साईं राम

मै एक जिज्ञासु और अज्ञानी व्यक्ति होने की वजह से मुझे किसी चीज़ को जानने की प्रविर्ती सदा बनी रहती है. बाबा के चरणों में आने के बाद अध्यात्मिक रहष्यो के ज्ञान को जान पाने की बहुत ही ललक बड गई है. इस वजह से मैंने मेरे सहपाठी से जो इसाई है प्रभु ईशु के वचनों की एक छोटी सी संक्षिप्त पुस्तिका ली और अध्धयन करने लगा. एक दिन के बाद ही उसने वो मांग ली और कहा कि भविष्य में वो इस पुस्तिका को देने में असमर्थ है क्योकि उसकी इससे कुछ भावनाये (भ्रान्तिया) जुडी हुई है. मुझे उसी समय बहुत ही क्रोध आया और सोचा कि एक ज्ञान की वस्तु को भी देने में मना कर दिया. इस पुस्तक का कोई मूल्यविहीन  है पर उसमे लिखे गये वचनों अमूल्य और अनमोल है. क्रोध में विवेक से न सोचकर मैंने उसको कुछ कटु वचन कह दिये  बाद में जब इस सम्पूर्ण घटना का आत्म चिंतन किया तो मेरी मूडबुद्धि में बाबा की कृपा से कई प्रश्नों के हल मिले जो मै आपसे बांटना चाहूँगा.

1 बाबा कहते है कि जो जैसा करता है उसको वैसा ही मिलता है. मैंने भी जाने या अनजाने कभी किसी से इसी तरह का व्यवहार किया है या होगा जिसका प्रतिफल आज मुझे मिला. भौतिक जगत में हर क्रिया की प्रतिक्रिया साथ साथ मिल जाया करती है पर आध्यत्मिक जगत में क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य मिलती है पर साथ साथ नहीं.

2  किसी दुसरे की वस्तु पर आसक्ति के भाव रखना

3  बाबा इस घटना से मुझे कुछ ज्ञान देने की कोशिश कर रहे है कि पहले खुद की कुप्रविर्तियो का अवलोकन करो.

4  दूसरो से जिस तरह की आशा मै रखता हूँ पहले खुद में पैदा करूँ.

5  बिना समझे किसी बात पर अनर्थक कुछ कहना या क्रोध करना उचित नहीं है.

6  किसी को मार्ग दिखलाने के पहले खुद उस मार्ग में चलकर देखो.

7  मेरे विचारो को केवल कहकर लोगो से प्रसंसा बटोरने की कोसिस में मत रहो.

8  सोना अगर बनना है तो पहले खुद को आग में जलना और तपना पड़ता है.

9  केवल मेरे वचनों को शब्दों से मत समझो या समझाओ,उसके भीतर के मूल तत्वों (रहस्यों) को समझो और समझाओ.

10  कोई भी घटना (क्रिया) बिना कारण के नहीं होती.उसके पीछे होने का कोई अवश्य कारण होता है.

11  जो भी होता है बाबा के मर्जी से होता है और उसके अंतर में भी कोई गूढ़ रहस्य ही छुपा होता है.

12  जिस तरह दुःख के बिना सुख की अनुभूति कारण सम्भव नहीं है उसी तरह क्रिया और प्रतिक्रिया को समझना भी असम्भव है.

13  बाबा कहते है जो कुछ भी तू सोचता है और करता है सबका प्रतिफल तुझे ही भोगना ही पड़ता है .

14 अहंकार से जिस क्रोध का जन्म होता है उसको पहचानना और उसको सवर्प्रथम दूर करने का प्रयास करना .


मै साईं के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम और धन्यवाद देता हूँ जो उन्होंने मुझे इस घटना से एक नया ज्ञान का आभास करवाया, बाबा सदा ही इसी तरह से मुझे मार्ग दर्शन करवाते रहियेगा.

ॐ साईं राम




























Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 09, 2012, 06:37:40 AM


ॐ साईं राम

आज मुझे एक अजीब सी खुसी का एहसास हो रहा क्योकि जो मै विगत लम्बे समय से बाबा से मांगता था आज वो मेरी माँ को मिल गई  है . जिस मानसिक व्याधियो से वो कष्ट पा रही थी उसका निदान बाबा ने कर दिया है. साईं ने उन्हें नई शक्ति प्रदान करके उनपर बहुत बड़ी कृपा की है. एक तरफ खुसी है तो दूसरी और थोडा सा मन गमगीन भी हो रहा है क्योकि माँ ने चुप्पी साध ली है और वो मुझसे भी बात करना उचित नहीं समझ रही है. अगर उनकी चुप्पी उनको उनकी व्याधियो से मुक्ति दिला देती है तो मुझे उनकी ये चुप्पी सर आँखों पर.. साईं सदा मेरी माँ पर अपनी कृपा के फूल बरसाते रहना.

ॐ साईं राम

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Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 24, 2012, 02:06:38 PM

ॐ श्री साईंनाथाय नमः

बाबा मुझे क्षमा करियेगा क्योकि मैंने भी आपके वचनों की अवहेलना करते हुये दोषारोपण और प्रतिकार किया है । बाबा मेरे आवेग ने मेरे मन एवंग बुद्धि पर कब्ज़ा कर लिया था फलस्वरूप मुझसे आपके वचनों की अवहेलना हुई । साईं आपने इस बच्चे की नादानी को माफ़ करना । बाबा जिस क्रोध और आवेश को मै आपके चरणों के समीप आने के पश्च्यात छोड़ दिया था ,आज पुनः उस नाग ने दंश लिया । मुझे मेरी इस गलती के लिए क्षमा करना देवा ।

ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम
ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम
ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम
ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम
ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम
ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम
ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम

Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 26, 2012, 12:14:28 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

साईं मुझे क्षमा करियेगा  और उचित कर्म करने की शक्ति  प्रदान करिए  ।

ॐ साईं राम
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: hanushasai on February 26, 2012, 12:59:34 AM
प्रताप जी,

आप के संघर्ष और मनोस्तिथि  से मै अवगत हूँ ! मै भी तो इसी पथ का एक पथिक हूँ  ! पर विडम्बना यही है की हम अनुमान लगा कर प्रतिक्रिया व्यक्त करते है ! दीपिका के लेख पदिती से हम भिन्न हो सकते है , पर यह अधिकार नहीं है की हम उनके भावों का अनादर करे ! उन्होंने किसी अन्य सदस्य को बेटी कहा - यह उपहास के लिए था यह सच्चे मन से किसी को दी गयी  आशीष ! यह तो मात्र साईं को ही ज्ञात है ! हमें यह नहीं भूलना चाहिए  हम साधारण मनुष्य  है परन्तु  किन्ही अच्छे कर्मो की वजह से ही सद्गुरु बाबा साईं के चरणों मे स्थान प्राप्त हुआ है ! इसलिए हमारा प्रथम भाव साईं को समर्पित होना चाहिए , जैसा  मैंने कहा की यदि हम DM को एक साधारण फोरम मानते है तो हम मात्र अन्य लोगो के व्यव्हार में उलझ कर रह जायेंगे.परन्तु यदि हम इसे एक मंदिर मानते है तो हमारा दृष्टीकोंण अपने आप बदल जायेगा, जैसे हम मंदिर मे एकाग्रता के साथ प्रभु के दर्शन करते है फिर यथोचित अन्य व्यव्हार, परन्तु बिना किसी भावनात्मक जुडाव के साथ ऐसा ही हम यहाँ करेंगे ! जैसा मैंने एक अन्य लेख मे भी  लिखा था सब लोग  अपनी अपनी जगह समजदार है परन्तु कर्मो के आधीन दुःख भोगते है , जब कर्मो का खाता पूरण समाप्त को जाता है तो उन्हें अपने आप सत्य और असत्य का बोध हो जाता है है !

आपको क्षमाप्रार्थी होने कि आवश्यकता नहीं, आपकी प्रतिक्रिया किसी व्यक्ति विशेष  के विरुद्ध न होकर व्यवहार से सम्बंदित थी , फोरम की मर्यादा को स्तरीय रखने के लिए !  :)

अंत मे मात्र साईं ही एक मात्र सत्य है बाकि सब तो जैसे सागर मे लहरे !

हमारा ज्ञान और सोच बहुत ही संकुचित  है, इसलिए साईं के चरणों मे यही प्राथना करते है कि सदेव उनके श्री चरणों का ध्यान कर इस जीवन को सफल कर सके !

एक बात और: जीवन मै बहुत ही महान और प्रभावशाली प्राणी हमारे संपर्क मै आते है , पर कभी भी कहीं रुकना नहीं चाहिए , हमारी मंजिल सिर्फ एक ही होनी चाहिए - बाबा साईं और कुछ नहीं !

जय साईं राम !
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 26, 2012, 02:43:03 AM



ॐ साईं राम

बाबा मुझे क्षमा करें । अनर्थक मै वाद-विवाद में लिप्त हो गया । जिस "मै" पर मै अज्ञानी ये समझ रहा था कि मैंने  काफी हदतक विजय प्राप्त कर ली है ,वो आज भ्रम टूट चूका है । बाबा आवेश और क्रोध ने मेरे विवेक को हर लिया और मै अनर्थक बातों में खुद को लिप्त कर अपनी शांति खो बेठा । बाबा अब आज से मेरा प्रयास यही रहेगा कि मै किसी के कोई भी कार्य में हस्ताछेप न करूँ । सबको स्वत्रंता है अपनी भावनाओ को आपके दरबार में कहने की । साईं मेरे "मै" का नाश करने की शक्ति देना । देवा सदा किसी न किसी को भेजकर मेरा मार्गदर्शन करते रहना । आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने हनुशासाईजी को भेजकर एक नई दिशा प्रदान की ।

ॐ साईं  श्री साईं जय जय साईं   
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 12, 2012, 02:44:34 PM


ॐ साईं श्री नाथाय नमः

मेरे देवा मुझे नहीं पता कि मुझसे  अपराध हुआ है की नहीं ?,पर अगर इस अपराध से किसी को जीवनदान मिलता हो तो ऐसा अपराध मै  हर जन्म करता रहूँगा. देवा मुझे शक्ति देना कि मै  आपने प्रयास में सफल रहूँ. जो जीवन आपने दिया है उसमे अपने कर्तव्यों का निर्वाह और आपके श्री चरणों में पूर्ण समर्पित आपने को कर सकूँ ,इतनी बस मेरे साईं कृपा करना .

आपके श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम .

ॐ साईं
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on May 19, 2012, 05:08:33 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

यहाँ फोरम में पल पल साईं की लीला का अनुभव हो रहा है | देवा क्या लीला है तेरी ? बाबा मेरे उपर बस इतनी इनयात करना की तेरी चौखट कभी ना छुटने पाए चाहे लाख भौतिक बंधनों में फंसा रहूँ |  बाबा  मेरे अपने वजूद किसी के प्रभाव से कभी न खंडित होने देना | मै  भौतिक बन्धनों से नहीं तुम्हारे दिए हुए कर्मों से बंधा रहना चाहता हूँ मेरे देवा | बस इतनी  प्राथना मेरी अवश्य सुन लेना मेरे साईं |

ॐ साईं राम
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 22, 2013, 11:44:25 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

बाबा आपको मेरा कोटि कोटि नमन | आपही ही सबसे बड़ा सहारा हैं जो इस समय मुझे शीतलता प्रदान कर सकते हैं | आपसे बात करके ही मुझे नियति से लड़ने और सहने की ताकत मिलेगी |

बाबा आज मुझे मैनेजमेंट ने आगे मेरा जॉब कांटेक्ट ना बढाने की नोटिस दे दी है | बाबा आप त्रिकालदर्शी हैं इसलिए आपको सब विदित पहले से ही होता है | अचानक आये इस जीवन के परिवर्तन से मै क्षणभर के लिए अवश्य विचलित हुआ पर आपने स्वयम आके जैसे इस तूफ़ान को रोक लिया और तत्क्षण ही मुझे दृढ़ता से पकड़ लिया | पिता आगे के जीवन में क्या होगा और क्या नहीं ना अब मुझे कोई भय है और ना ही कोई असंका | मुझे पूर्ण विस्वास है मेरे बाबा आप मुझे आपके दिये हुए पारिवारिक ,सामाजिक एवंग अध्यात्मिक कर्तव्यों का पालन करने हेतु स्वयम ही अवश्य योग्यता ,समर्थता एवंग सम्पन्नता प्रदान करेंगे
क्योकि  पिता अपने पुत्र को हर हाल में संरक्षण प्रदान करता है |

बाबा मैंने तो अपना जीवन आपके चरणों में भेट कर दिया है अब आपकी जैसी अनुकम्पा होगी मेरे लिए प्रसाद सामान है | मुझे इस भवसागर में दुबोउ या पार लगाओ क्योकि होना तो वही है जो आपने सोच रखा है | बस मेरे पिता आपके चरणों में यही मेरी विनती है कि  इस अचानक आये इस तूफान से लड़ने और सहन करनी की शक्ति मुझे और मेरे परिवार को अवश्य प्रदान करना | जब भी भौतिक शक्तियों के आगे लाचार,बेबस और असहाय हूँ तो  मुझे और परिवार को अपने अचल में पनाह देते रहना |

बाबा आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम |


Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 23, 2013, 12:48:36 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

बाबा अंतरयुद्ध बहुत घमासान होता जा रहा है | कल से और आजतक नाना प्रकार के संकल्पों और विकल्पों के तूफान ने घेर लिया है | मै अपने सिमित प्रयासों से इनसे लड़ रहा हूँ पर मुझे नहीं पता कबतक इन शक्तिओं से लड़ सकूँगा | अचानक उठे इस बवंडर ने जैसे मेरे अस्तित्व को ही समाप्त करने की सोच रखी है पर मुझे पूर्ण विस्वास है अपने पिता पे कि वो मुझे और इसका शिकार नहीं होने देंगे | मुझे अनुभव भी हो रहा है कि इस बहार देश में अनजान परिस्थिति में भी एक अदृश्य हाथ मुझे सम्भाले हुये है अन्यथा मै शायद अभी तक इस तूफ़ान का शिकार हो गया होता |

बाबा आपसे प्राथना है कि मुझे शक्ति प्रदान करते रहना जिससे मै इस विषम परिस्थिति में भी अपने मार्ग पर दृढ रह सकूँ |

आपके चरणों में कोटि-कोटि नमन |
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 23, 2013, 03:46:21 AM


ॐ परमात्मने नमः ॐ साईं नाथाय नमः ॐ परम पिताहः नमः

बाबा मुझे सबकुछ ज्ञात है कि भौतिक जगत में परिवर्तन ही जीवन का शास्वत सत्य है जिससे हर किसी को गुजरना पड़ता है पर बाबा  अचानक आये इस परिवर्तन और उसकी तीव्रता ने मुझे नाना प्रकार के संकल्पों -विकल्पों के चक्रवात में घेर लिया है | आपकी कृपा एवंग आशीर्वाद और आपके श्रधा और सबुरी के मन्त्र शक्ति से मै अभीतक इन अदृश्य मानसिक शत्रुओं से युद्ध करने में सक्षम हो पा रहा हूँ पर बाबा यह अदृश्य शक्तियाँ क्षण-क्षण में अपना रूप बदलती हैं और ओर भी विकरालता को धारण कर मुझे वश में करना चाहिती हैं | मुझे इन विकराल ओर भयंकर शत्रुओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करते रहना | मैंने तो इस चक्रवात में आपको ही पकड़कर रखा हुआ है और सबकुछ आप पर ही छोड़ दिया है | एक पुत्र अपने पिता से सहायता और मार्गदर्शन की प्राथना कर रहा है जो उसका वास्तविक अधिकार है |
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 24, 2013, 05:09:51 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

बाबा आपके श्री चरणों में श्रधापूर्वक नमन एवंग साथ में करुणा भरा अनुरोध | बाबा आज त्रिगुणी माया ने एक नये रूप में आकर मेरे उपर अपना प्रभाव ज़माने का लगातार प्रयास चला रही है जो आपकी सर्वज्ञता से छिपा नहीं है | बाबा अभी मै पूर्व की छलना से ही खुद को बचाने का प्रयास कर रहा था कि आज एक नये रूप से छलने को आ गई |

हे करुणानिधान मेरे बाबा मुझे शक्ति प्रदान करो जिससे मै स्वयं को स्थिर रखने मे सक्षम हो सकूँ | हे परमपिता परमेश्वर माया भी आपकी ही रचना है और कोई भी इससे अछुता नहीं रह सकता जबतक आप स्वयं इससे मुक्त करवाने की कृपा नहीं करते | बाबा इस नई परिस्थिति के समाधान और लड़ने हेतु ज्ञान और शक्ति प्रदान करें | मेरा मार्गदर्शन करिये |

आपके श्री चरणों में कोटी कोटी प्रणाम

ॐ साईं राम
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on February 26, 2013, 12:28:50 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

बाबा आपके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन | आज हमारी शादी की सालगिरह है | आपके चरणों में हमारा यही निवेदन है कि सदा आपकी कृपा और आशीर्वाद हमारे उपर बना रहा जिससे हर स्थिति में भी हम एकदूसरे के पूरक बने रहे | बाबा आपको तो ज्ञात है कि मुझे आपके श्री चरणों में शरण लेने का मार्ग सर्वप्रथम उसी ने दिखाया | बाबा उसको सदा सुख शांति एवंग समृधि प्रदान करते रहना एवंग अपने प्यार से सदा नवाजते रहना | उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करो देबा |

बाबा अचानक द्वार बंध होने से जीवन में एक शुन्यता आ गई है | आप कोई दूसरा द्वार खोलके इस शुन्यता को समाप्त कीजिये | बाबा प्रयास बहुत कर रहा हूँ इन असुरीरुपी  भयानक विचारों से लड़ने का पर ये इतने ताकतवर और
छलिया  हैं कि क्षण क्षण में अपना रूप बदलकर मुझे निगलने आ जाते हैं | बाबा आपही मुझे दृढ़ता और शक्ति प्रदान करते रहियेगा जिससे मैइनके आगे बेबस न होऊं | ईस अन्धकारमय मार्ग में रोशनी की ज्योत जला दीजिये |

मेरे पिता आपके चरणों में प्रणाम
Title: धन्यवाद मेरे भोलेनाथ शिवसाईं
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 10, 2013, 08:26:56 AM

बाबा आपके चरणों में कोटि कोटि नमन | हे परमपिता आज इस अनजान देश में भी आपने मुझे अपनी सेवा का अवसर प्रदान कर कृत-कृत कर दिया | आजतक मुझे इस पावन दिन का अज्ञानतावश कभी भी ऐसा अनुभव नहीं प्राप्त हुआ था जो आज मुझे आपने प्रदान किया | बाबा आपको बहुत-बहुत धन्यवाद | हे त्रिलोकीनाथ ,हे त्रिकालदर्शी आपको तो भलिभांत सबकुछ ज्ञात है कि आपके बच्चे के जीवन का उदेश्य क्या है | हे देवा मुझे योग्यता,समर्थता एवंग सम्पन्नता प्रदान करो जिससे मै आपके ही दिये हुये इस जीवन के सभी कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाते हुये अपने उदेश्य को प्राप्त कर सकूँ | आपकी कृपा एवंग आशीर्वाद के बिना एक पग भी चल पाना बाबा असम्भव है | कर्ता, कारण और कारक स्वयं आप ही हो ,हमतो केवल निर्मित मात्र ही हैं |

कहने को तो पिता बहुत कुछ है पर आपकी स्तुति को शब्द ही नहीं रहें इस मूढ़बुद्धि में | 

बाबा प्रणाम
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 11, 2013, 01:03:21 PM


बाबा आपके चरणों में कोटि-कोटि नमन | बाबा आज फिर माया ने अपना भयंकर रूप धारण कर मेरे मन को पूरी तरह से क्षत विक्षित कर दिया है | जैसे ज्वालामुखी के मुंह में बैठा हुआ हूँ और किसी समय भी इस आग्नि में भस्म हो जाऊंगा | बाबा अब आप के कृपा का ही दास हूँ जैसा आपको समझ आता है वैसा ही करो |  आप ही कर्ता और हर कारणों के कारण भी हो | कर्मों को तो भोगना ही है इस बात का भी मुझे आपसे ही ज्ञान मिला है | बाबा बाईस साल की उम्र से पिता के देहांत के पस्चात हर परिवार के कर्तव्यों को जितनी आपने समर्थता प्रदान की पूरा करने का प्रयास करता रहा | अपनी स्वेक्षिक इच्छाओं का भी त्याग करता रहा पर पूर्व के अशुभ कर्मों को, जिनसे मै पूर्णता अनभिज्ञ हूँ , अभी तक मिटा नहीं पाया | कुछ शुभ कर्मों के फलस्वरूप आपका सनिग्ध्य मुझे प्राप्त हुआ और वो ज्ञान भी जिससे मै आगे के जीवन को अच्छा बना सकूँ | मुझे कोई गिला सिकवा नहीं है मेरे पिता आपसे और आपकी कार्यप्रणाली से क्योकि आप तो समता का भाव ही रखते हो | आपके लिए तो हर कोई सामान है और सभी को अपने कर्मों के अनिरूप ही फल भोगना पड़ता है | पर बाबा हम आपकी ही रची माया से कैसे और कबतक लड़ सकतें हैं जब आप ही रक्षा नहीं करोगे |

बाबा आपके चरणों में बस यही अनुरोध है कि मेरा हाथ नहीं छोड़ना मेरे पिता अपना वरदहस्त सदा अपने बच्चे के सर पे रखना वरना  मै अपने जीवन के उदेश्य जिसे आपने ही मेरे ह्रदय में बीज रुप में बोया है अंकुरित नहीं हो पायेगा | बाबा जो मैंने आपके सनिग्ध्य से जाना है ,समझा है वो यह कि सब झूट है जो हमें सच की तरह इस संसार में दीखता है |  बाबा मेरे पूर्वाध के अशुभ कर्मों का नाश करके मुझे उन्मुक्त जीवन प्रदान करें | इस पिंजरे में मेरा अब दम घुटने लगा है |

आज मै असहिनिये पीड़ा से पीड़ित हूँ इसी वजह से पिता को अपनी बातों को कहकर कुछ हल्का होना चाहता हूँ | आपके सिवा कोई नहीं है इस झूटी दुनियाँ में जिसके समक्ष मै अपने ह्रदय की बात कह सकूँ | मुझे ज्ञात है आप सर्वज्ञ हो,सर्वज्ञता हो पर पिता पुत्र के रिस्ते को  कैसे मै भूल जाऊ |

बाबा क्षमा करियेगा अगर मानसिक असंतुलन और अविचारी भावनायों में बहकर मैंने आपके ह्रदय को दुःख पहुँचाया हो | अबोध बालक की ढीढाई को जैसे सांसारिक पिता माफ़ कर देता है वैसे ही मुझे माफ़ कर देना और मुझे मार्गदर्शन कराते रहना |

आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम |
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 18, 2013, 08:33:17 AM


बाबा आपके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम | बाबा क्यों नहीं मुझे आपने वो विवेक दिया जिससे मै भी सब देखते हुये मौन रह सकता ? क्यों अपनों  को कोई कुछ असत्य कहने पर मै मौन नहीं धारण कर पता ? क्यों केवल धारा के विपरीत ही अकेले चलने का प्रयास करता रहता हूँ ? क्यों मुझे नहीं समझ आता की नजरंदाज करना ही समझदारी होती है चाहे वह गलत ही हो ? हर भावना क्या तर्कों के द्वारा ही तौली जाती है ? क्या धर्म यह नहीं कहता की आदर्श के मार्ग में चलो और उसको कायम रखो ? क्यों नहीं मै आज के समाज की व्यवहारिक सोच की समझ रखता हूँ ?

बाबा क्या वो सब बेवकूफ थे जिन्होंने दिल्ली की घटना के लिए जबरदस्त प्रतिवाद किया था ? क्या सब मौन नहीं रह सकते थे क्योकि ना ही वो लड़की किसी की बहन थी ना ही बेटी, यह तो सम्पूर्ण उसका और उसके परिवार का मामला था  ? क्या चुपचाप मौन धारण करने वाला भी अप्रतक्षरूप से समर्थन नहीं दे रहे है ?

बाबा ऐसे और भी कई प्रश्नों का जवाब मुझे नहीं मिल पा रहा है | आप मेरा मार्गदर्शन करिये | बाबा मेरी नासमझ और हठधर्मिता के लिए क्षमा करियेगा |

आपके चरणों में सतसत नमस्कार |
 
Title: Re: देवा रक्षा करना
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 23, 2013, 06:25:20 AM


बाबा चरण स्पर्श | मै सदैव आपका आभारी हूँ जो आप सब समय किसी न किसी रूप में आके मुझे मेरी त्रुटियों से परिचित कराते रहते हो जिनसे शायद मै अंजान रहता हूँ या रहने का प्रयास करता हूँ | बाबा तुम्हारी इस त्रिगुणी माया से मै भी बंधा हूँ और तामसिकता का प्रभाव प्रबल होने एवंग अज्ञानता के कारण जाने-अनजाने अकर्म कर जाता हूँ पर बोध होने पे  पश्चाताप भी करता हूँ | मुझे सदा मेरे अवगुणों से अवगत करवाते रहना जिससे मै इसको दूर कर सकूँ और जीवन के उदेश्य को प्राप्त कर सकूँ |

मुझे सदा मार्गदर्शन करते रहने के लिए मै अपना आभार प्रगट करता हूँ | मेरी अविवेकी बुद्धि और मन का सदैव मर्दन करते रहना जिससे विकाररहित हो सकूँ |

आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम |