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Main Section => Inter Faith Interactions => Guru Ki Vani - गुरू की वाणी => Topic started by: PiyaSoni on September 01, 2012, 01:29:25 AM

Title: गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाशोत्सव (01 Sep) जीवन की सही राह
Post by: PiyaSoni on September 01, 2012, 01:29:25 AM
सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब को सिर्फ धर्मग्रंथ नहीं, साक्षात गुरु की महत्ता दी गई है। इसमें मनुष्य को आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन का सही रास्ता दिखाया गया है।

(http://www.sikhism.0fees.net/images/tenguru.jpg)


गुरु ग्रंथ साहिब भारतीय दर्शन परंपरा का परम चिंतन है। वर्ष 1604 में पंचम पातशाह [पांचवें गुरु] श्री अर्जन देव जी ने इसे भाई गुरदास जी से लिखवाकर संपादित किया, जो नानकशाही जंत्री के अनुसार 30 अगस्त, 1604 को पूरा हुआ। इसके बाद 1 सितंबर, 1604 ई. को गुरु ग्रंथ साहिब का हरिमंदर साहिब [अमृतसर] में प्रथम प्रकाशन हुआ और बाबा बुढ्डा जी पहले ग्रंथी नियुक्त किए गए। प्रकाशन के इस दिन को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

इसके लगभग सौ वर्षो के बाद वर्ष 1704 में दशम पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब को मनी सिंह जी से पुन: संपादित करवाया। इस समय नवम गुरु श्री तेग बहादुर जी की वाणी भी इसमें शामिल की गई। बाद में गुरु गोविंद सिंह ने मानव गुरु की परंपरा को समाप्त करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब को जुगो-जुग अटल गुरु का स्थान प्रदान कर दिया, क्योंकि इसमें हमारे अनेक महान गुरुओं, दार्शनिकों और संतों की शिक्षाएं संकलित हैं।

36 महापुरुषों की वाणी : गुरु ग्रंथ साहिब में 6 गुरु साहिबान, 15 भक्तों, 11 भाटों एवं 4 निकटवर्ती सिखों यानी कुल 36 महापुरुषों की वाणी संकलित है। 6 गुरु साहिबान हैं- गुरु नानक देव, गुरु अंगद देव, गुरु अमरदास, गुरु राम दास, गुरु अर्जन देव एवं गुरु तेग बहादुर। 15 भक्तों में भक्त कबीर, भक्त रैदास, भक्त नामदेव, बाबा शेख फरीद, जयदेव, भक्त सधना, त्रिलोचन, सैण, पीपा, धन्ना, सूरदास, परमानंद, भीखन, बेनी और स्वामी रामानंद सम्मिलित हैं। 11 भाटों के नाम हैं-कल्हसार, जालप, कीरत, शिखा, सल्ह, भल्ह, नल्ह, गयंद, मथुरा, बल्ह और हरबंस, जबकि राय बलवंड, सत्ता, बाबा सुंदर और मरदाना 4 निकटवर्ती सिख हैं। सभी 36 महापुरुष भारत के अलग क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। गुरु साहिबान और बाबा फरीद पंजाब से हैं, तो भक्त कबीर, रैदास, रामानंद, सूरदास, बेनी आदि उत्तर भारतीय राज्यों से हैं। वहीं भक्त नामदेव और त्रिलोचन महाराष्ट्र से, भक्त धन्ना और पीपा राजस्थान से तथा जयदेव बंगाल के हैं। इनकी भाषाएं भी अलग-अलग हैं। गुरु ग्रंथ साहिब बहुभाषी ग्रंथ है, जिसमें पंजाबी, हिंदी, सधुक्कड़ी, राजस्थानी, मराठी, ब्रज, संस्कृत, अरबी-फारसी आदि लगभग सभी उत्तरभारतीय भाषाओं की वाणी दर्ज है।

विराट आध्यात्मिक चिंतन : गुरु ग्रंथ साहिब में 12वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक के [लगभग 500 वर्षो के] आध्यात्मिक चिंतकों की वाणी संकलित है। यह संपूर्ण जीवन-दर्शन पूरी मानवता को एक सूत्र में बांधता है। इसमें शबद, सवैये और श्लोक जहां प्रेम और सेवा का संदेश देते हैं, वहीं ईश्वर के एकत्व को भी दिखाते हैं। यह ऐसा गुरु ग्रंथ है, जिसमें प्रभु को अनेक नामों से बुलाया गया है, जिनमें अन्य धर्मावलंबियों द्वारा प्रयुक्त नाम भी हैं जैसे- हरि, प्रभु, गोबिंद, राम, गोपाल, नारायण, अल्लाह, खुदा, वाहेगुरु, पारब्रहृमा, करतार आदि।

रागबद्धता एवं वाणीक्रम : गुरु ग्रंथ साहिब में प्रयोग किए गए रागों की संख्या 31 है। वाणी को क्रमश: गुरु-क्रम के अनुसार महला पहला, महला दूजा, महला तीजा.. क्रम में रखा गया है। रागों में गुरु साहिबान और भक्तों की वाणी क्रम से रखते हुए शीर्षक भी दिए गए हैं। आमतौर पर रागों में पहले शबद, फिर अष्टपदी, छंद आदि क्रम से दर्ज हैं।

जीवन का मार्गदर्शक : इसमें ईश्वर की नाम-भक्ति, मानवीय समता, सर्वधर्म समभाव, आर्थिक समानता, राजनीतिक अधिकारों आदि से संबंधित चिंतन है। स्वतंत्र, भेदभाव-मुक्त समता परक समाज किस प्रकार सृजित किया जा सकता है, इसकी पूरी रूप-रेखा गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद है।


वाहेगुरु जी का खालसा
वाहेगुरु जी की फ़तेह!!
Title: Re: गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाशोत्सव (01 Sep) जीवन की सही राह
Post by: saib on September 01, 2012, 01:56:10 AM

"गुरु ग्रन्थ को मानियो प्रगट गुरां की देह !
जो प्रभ को मिलबो चहै खोज शब्द मैं लेह !"