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Author Topic: Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~  (Read 4870 times)

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Offline tana

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  • ~सांई~~ੴ~~सांई~
    • Sai Baba
Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~
« on: September 18, 2008, 08:59:49 PM »
  • Publish
  • Om Sai Ram~~~

       
    Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~

    Suffering is a blessing in disguise. One's mind at once turns to God and seeks His Grace. Misery comes to everyone. In adversity God is remembered the most.

    Suffering teaches us endurance and perseverance, it teaches us humility, it teaches us resignation to the Will of God. In suffering one develops many divine virtues.

    We remember God, the most in solemn moments of sorrow, misery and suffering. We envision the Reality of Death and Truth of God more closely and intimately near the burning pyres.
          
    ~~One clears oneself from the debt of sins and karmas through suffering. Suffering has a purging effect.    
          
    ~Baba Narinder Singh Ji    

          
    ~~In Suffering The Ego Melts Away.    
          
    ~Baba Narinder Singh Ji    


          
    ~~Purification through suffering leads one nearer to redemption.    
          
    ~Baba Narinder Sing
    h Ji    

    No one has come in this world, of his free will. Sooner one learns the sway of a Supreme Will as Indweller, Ordainer and Controller of the whole universe, better it is. Suffering in the Will of God unveils the true face of Maya, the true nature of perishable body and life and turns one's mind God-ward. It induces mercy in the heart for the suffering creation.

     
    Jai Sai Ram~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~
    « Reply #1 on: October 09, 2008, 09:01:13 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    बाबा जब किसी को अपना मानते हैं,  उसे गहराइयों से प्यार करते हैं,  तो उसे अपना सबसे भरोसेमन्द सेवक प्रदान करते हैं और उससे कहते हैं कि तुम हमेशा मेरे प्रिय के साथ रहो,  उसका दामन कभी न छोड़ो। कहीं ऐसा न हो कि हमारा प्रिय भक्त अकेला रहकर संसार की चमक-दमक से भ्रमित हो जाए,  ओछे आकर्षणों की भूल-भूलैया में भटक जाए अथवा फिर सुख-भोगों की झाडियों में अटक जाए। प्रभु के इस विश्वस्त सेवक का नाम हैं - दु:ख। सचमुच वह बाबा भक्त के साथ-साथ छाया की तरह चिपका रहता है।

    नि:सन्देह यह दु:ख ही ईश्वरीय अपनत्व की कसौटी हैं। ज्यों ही इसका आगमन होता हैं हमारी चेतना ईश्वरोन्मुख होने लगती हैं। दु:ख का हर पल,  दिल की गहराइयों में संसार की यथार्थता-उसकी असारता एवं निस्सारता की अनुभूति कराता हैं। इन्हीं क्षणों में इस सत्य की सघन अनुभूति होती हैं कि मेरे अपने कितने पराए हैं?  जिन सगे-सम्बन्धियों, मित्रों-परिजनों, कुटंबियों-रिंश्तेदारों को अपना कहने और मानने में गर्व की अनुभूति होती थी,  दु:ख के सघन होते ही उनके पराएपन के रहस्य एक के बाद एक उजागर होने लगते हैं। इन्हीं पलों में ईश्वर की याद विकल करती हैं। ईश्वरीय प्रेम अंकुरित होता हैं। बाबा सांई के प्रति अपनत्व सघन होने लगता है।

    प्रभु का विश्वस्त सेवक दु:ख अपने साथ न रहे तो अन्तरात्मा पर कषाय-कल्मष की परतें चढ़ती जाती हैं। `अहं´ का विषधर समूची चेतना को ही डस लेता हैं। आत्मा के प्रकाश के अभाव में प्रवर्तियों और कृत्यों में पाप और अनाचार की बाढ़ आ जाती हैं। सत् और असत् का विवेक जाता रहता हैं। जीव सघन अंधेरे और घने कुहासे में घिर जाता हैं। इन अंधेरों की मूर्छना में वह संसार के छद्मजाल को अपना समझने लगता हैं और प्रभु के शाश्वत मृदुल प्रेम को पराया। और तब प्रभु अपने प्रिय को उबारने के लिए उसे अपनाने के लिए अपने सबसे भरोसेमन्द सेवक दु:ख को उसके पास भेजते हैं।

    जिनके लिए दु:ख सहना कठिन है उनके लिए बाबा को अपना बनाना भी कठिन हैं। बाबा के साथ सम्बन्ध जोड़ने का अर्थ हैं-जीवन को आर्दशों की जटिल परीक्षाओं में झोंक देना। बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा को हर दिन नई आग में तपाते हुए उसकी आभा को नित नये ढंग से प्रदीप्त रखना पड़ता है। तभी तो बाबा को अपना बनाने वाले भक्त उनसे अनवरत दु:खों का वरदान मॉगते हैं। कुन्ती, मीरा,  राबिया,  तुकाराम,  नानक,  ईसा, बुद्ध,  एमर्सन,  थोरो आदि दुनिया के हर कोने में रहने वाले परमात्मा के दीवानों ने अपने जीवन में आने वाले प्रचण्ड दु:खों को प्रभु के अपनत्व की कसौटी समझकर स्वीकारा और हंसते-हंसते सहा। प्रभु ने जिनको अपनाया,  जिन्होने प्रभु को अपनाया,  उन सबके हृदयों से यही स्वर गूंजे हैं कि ईश्वर-भक्ति एवं आदर्शों के लिए कष्ट सहना यही दो हाथ हैं, जिन्हें जोड़कर भगवत्प्रार्थना का प्रयोजन सही अर्थों में पूरा हो पाता है।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline MaheshKanishka

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    Re: Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~
    « Reply #2 on: December 01, 2008, 09:53:14 AM »
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  • Om Sai Ram~~~

       
    Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~

    Suffering is a blessing in disguise. One's mind at once turns to God and seeks His Grace. Misery comes to everyone. In adversity God is remembered the most.

    Suffering teaches us endurance and perseverance, it teaches us humility, it teaches us resignation to the Will of God. In suffering one develops many divine virtues.

    We remember God, the most in solemn moments of sorrow, misery and suffering. We envision the Reality of Death and Truth of God more closely and intimately near the burning pyres.
          
    ~~One clears oneself from the debt of sins and karmas through suffering. Suffering has a purging effect.    
          
    ~Baba Narinder Singh Ji    

          
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    ~Baba Narinder Singh Ji    


          
    ~~Purification through suffering leads one nearer to redemption.    
          
    ~Baba Narinder Sing
    h Ji    

    No one has come in this world, of his free will. Sooner one learns the sway of a Supreme Will as Indweller, Ordainer and Controller of the whole universe, better it is. Suffering in the Will of God unveils the true face of Maya, the true nature of perishable body and life and turns one's mind God-ward. It induces mercy in the heart for the suffering creation.

     
    Jai Sai Ram~~~


    Offline vishwa

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    Re: Dukh Daroo Sukh Rog Bhaya~~~
    « Reply #3 on: June 09, 2010, 11:21:57 PM »
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  • om sai ram

    mera naam pradeep vishwa hai is guru ki vani say baba ka viswah zadaa bader gaya hum baba key dass hai baba humko diksha dey ki humera jeven accha bitey our mera bura samay beet jay kya mera accha samya kab ayaa ga baba mery sabi dukh dure ker day sai baba je hum bahut eakely hai jee koi jeven sathi bej dey sai jo hum ko bahut pyar kery sai sab aap ko kerna hai sai baba humera her kaam karab ho jata hai hum aap ka deyaan latay haia to kaam purely ho jatay hai baba

    baba no hai

    9044026473

     


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