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Main Section => Inter Faith Interactions => Kabir Vani => Topic started by: JR on March 11, 2008, 09:17:20 AM

Title: तब ज्ञानी अस बोले बानी । जमते जीव छुड़वहुँ आनी ।।
Post by: JR on March 11, 2008, 09:17:20 AM
ऊँ सांई राम

तब ज्ञानी अस बोले बानी ।  जमते जीव छुड़वहुँ आनी ।।
पुरुष नाम को कहुँ समझाई ।  जम राजा तब छोड़ पराई ।।
घाट-बाट बैठे उरझेरा ।  हमरे शब्द ते होय निवेरा ।।
सुन रे काल दुष्ट अन्याई ।  शब्द संग हंसा घर जाई ।।

अर्थ - हे निरंजन मेरे पास नाम है, शब्द है ।  इस शब्द के बल पर जीव अमर लोक में पहुंच जाएगा ।  अब तुम जीवों का कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे ।

जय सांई राम