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Main Section => Inter Faith Interactions => Kabir Vani => Topic started by: JR on March 11, 2008, 09:23:19 AM
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ऊँ सांई राम
का ज्ञानी देहो अधिकारा । हमरो नहि छूटे जम जारा ।।
पांच पचीस तीन गुन आही । यह लै सकल शरीर बनाई ।
तामें पाप पुण्य का वासा । मन बैठा ले हमरी फांसा ।।
जहां तहां जग भरमावै । ज्ञान संधि कछु रहन न पावै ।।
एक शब्द की केतक आया । मेरे है चौरासी फांसा ।।
ऊँ सांई राम