ऊँ सांई राम
तब ज्ञानी अस बोले बानी । जमते जीव छुड़वहुँ आनी ।।
पुरुष नाम को कहुँ समझाई । जम राजा तब छोड़ पराई ।।
घाट-बाट बैठे उरझेरा । हमरे शब्द ते होय निवेरा ।।
सुन रे काल दुष्ट अन्याई । शब्द संग हंसा घर जाई ।।
अर्थ - हे निरंजन मेरे पास नाम है, शब्द है । इस शब्द के बल पर जीव अमर लोक में पहुंच जाएगा । अब तुम जीवों का कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे ।
जय सांई राम