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Main Section => Inter Faith Interactions => Kabir Vani => Topic started by: JR on April 22, 2008, 01:23:44 AM

Title: आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक ।
Post by: JR on April 22, 2008, 01:23:44 AM
आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक ।
कह `कबीर' नहिं उलटिए, वही एक की एक ॥

भावार्थ - हमें कोई एक गाली दे और हम उलटकर उसे गालियाँ दें, तो वे गालियाँ अनेक हो जायेंगी। कबीर कहते हैं कि यदि गाली को पलटा न जाय, गाली का जवाब गाली से न दिया जाय, तो वह गाली एक ही रहेगी ।