DwarkaMai - Sai Baba Forum
Main Section => Inter Faith Interactions => Kabir Vani => Topic started by: JR on May 07, 2008, 01:38:54 AM
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बीत गये दिन भजन बिना रे ।
भजन बिना रे, भजन बिना रे ॥
भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥