DwarkaMai - Sai Baba Forum
Main Section => Inter Faith Interactions => Kabir Vani => Topic started by: tana on February 15, 2008, 07:03:44 AM
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ॐ सांई राम~~~
घूँघट के पट~~~
घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे।
घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥
धन जोबन का गरब न कीजै, झूठा पचरंग चोल रे।
सुन्न महल मे दियना बारिले, आसन सों मत डोल रे।।
जागू जुगुत सों रंगमहल में, पिय पायो अनमोल रे।
कह कबीर आनंद भयो है, बाजत अनहद ढोल रे॥
जय सांई राम~~~