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Author Topic: ^^*^^MERRY CRISTMAS^^*^^  (Read 3725 times)

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Offline Sai ka Tej

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^^*^^MERRY CRISTMAS^^*^^
« on: December 21, 2007, 10:25:57 PM »
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  • JAI SAI RAM :-* :-* :-*

                                       ^^*^^THE CHRISTMAS EVE^^*^^


    The christmas eve is going to come
    All around their is happiness and fun
    Everyone is decoratingchristmas tree
    With a dirty sox and a lot of candles
    Everyone is feeling happiness and joy
    be'coz 'santa' is coming with gifts and toys
    People move to church for a calm prayer
    So that Jesus helps them to take their care
    By Lightening the candles in front of Jesus
    Our sorrows and sadness also decreases
    Santa clause, santa clause come at the night
      & enjoys the party with all the guys
          He gives us gifts and toys
      With which everyone has a big smile
             So it was the christmas eve
    Whose colour of celebration is too much deep.

    !!!WISH YOU A MERRY X-MAS!!!!!

    SAI RAM :-* :-* :-*
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    Offline tana

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    Re: ^^*^^MERRY CRISTMAS^^*^^
    « Reply #1 on: December 21, 2007, 11:49:58 PM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    मैरी क्रिसमस !!!

    चलो, करें सब लोगों को विश !
    मैरी क्रिसमस! मैरी क्रिसमस!!

    ईसा का प्रेम-संदेश फैलाएं ,
    नफरत को हर जगह से मिटाएं ,
    प्यारे प्रभु की है ये 'विश'!
    मैरी क्रिसमस !मैरी क्रिसमस!!

    दीन दुखियों को गले लगाएं,
    उनके सब दुःख दर्द मिटाएं,
    भलाई के न कर दे मौके'मिस' !
    मैरी क्रिसमस !मैरी क्रिसमस!!

    देखो, सांता क्लॉज आया है,
    बच्चों के लिए तोहफे लाया है,
    क्रिसमस बाबा की प्यारी'ड्रेस'!
    मैरी क्रिसमस !मैरी क्रिसमस!!

    सब बच्चे केक_मिठाई खाएंगे,
    बङे-बूढ़े भी मौज़ मनाएंगे,
    मेज़ पे सज़ीं स्वीट 'डिश'!
    मैरी क्रिसमस !मैरी क्रिसमस!!


    मैरी क्रिसमस ~~~मैरी क्रिसमस~~~
    जय सांई राम~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline tana

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      • Sai Baba
    Re: ^^*^^MERRY CRISTMAS^^*^^
    « Reply #2 on: December 25, 2007, 12:25:35 AM »
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  • Om Sai Ram~~~

      :-* :-* :-* ~~~~~~~MERRY CHRISTMAS~~~~~~~  :-* :-* :-*

    Jai Sai Ram~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline Sai ka Tej

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    Re: ^^*^^MERRY CRISTMAS^^*^^
    « Reply #3 on: December 25, 2007, 01:15:21 AM »
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  • JAI SAI RAM


    Jingle Bells JIngle Bells
    Jingle all the way
    Santa claus is coming to town
    Riding on his sleigh................
    Dashing through the snow
    In a one horse open sleigh
    Over the fields we go
    laughing all the way.HA HA HA HA HA
    Bells on bob tail ring
    making spirits bright
    what fun it is to ride & sing
    A sleighing song tonight.



                     WE WISH YOU A MERRY X - MAS & A HAPPY NEW YEAR


    SAI RAM
    ஜஜ♥ஜ♥♀♥♀♥ ♥♥♥♥Sai Ram♥♥♥♥  ♥♀♥♀♥ஜஜ♥ஜ

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: ^^*^^MERRY CRISTMAS^^*^^
    « Reply #4 on: December 26, 2007, 04:27:24 AM »
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  • जय सांई राम़।।।

    सांता का संदेश : प्यारे बच्चों के नाम - सच्ची खुशी किसी को कुछ देने में है, किसी से कुछ लेने में या माँगने में तो बिलकुल नहीं।

    प्यारे बच्चो,

    मैं तुम्हारा चहेता सांता, हर साल क्रिसमस पर तुमसे मिलने आता हूँ और तुम्हारे द्वार पर उपहारों की वर्षा करता हूँ। मैं जानता हूँ, अपने मनपसंद उपहारों को पाने की चाहत के साथ तुम सभी नन्हें मासूम बड़ी बेसब्री से मेरी प्रतीक्षा करते हो। तुम्हारी इसी प्रतीक्षा को पूरा करने और विश्वास को अटूट बनाए रखने के लिए ही हर साल क्रिसमस की रात को मैं आता हूँ। गीतों की सुमधुर स्वर लहरियाँ और घंटियों की गूँज के बीच जब ईश्वर को याद किया जाता है, तो उन स्मृतियों में ही कहीं न कहीं मैं भी शामिल होता हूँ। तुम्हारी ऑंखों के इंद्रधनुषी सपनों में जहाँ अनेक कल्पनाएँ साकार होती हैं, वहाँ मेरी भी छवि बनी हुई है, जो मेरी अनुपस्थिति में माता-पिता और स्नेहीजनों के स्नेह के साथ साकार रूप लेती है। उनसे अपनी पसंद का उपहार पाने के बाद तुम फूले नहीं समाते और एक क्षण को ये सोच कर अपने आपको दिलासा देते हो कि इस बार सांताक्लास नहीं तो क्या, मम्मी-पापा से तो मनपसंद उपहार पा लिया। अब अगले साल फिर सांताक्लास का इंतजार करेंगे। इस प्रकार हर साल मेरी प्रतीक्षा करते-करते तुम बचपन को अलविदा कह कर एक नए सफर की शुरुआत करते हो।

    प्यारे बच्चो, जब तुम सभी रात के जगमगाते सितारों के बीच अपनी आशा और विश्वास का एक नया सितारा बनाकर उसे छत पर लटकाए हुए मेरी प्रतीक्षा करते हो, तो मैं अपने आपमें एक अनोखी खुशी और गर्व महसूस करता हूँ। तुम्हारे इसी विश्वास को बनाए रखने के लिए मुझे हर साल बर्फीले पहाड़ों और स्लेज का सफर पूरा कर एक नए सफर की शुरुआत करनी पड़ती है, क्योंकि सिर्फ बर्फीली वादियों के बीच बसे घरों में ही नहीं, बल्कि दुनिया के हर घर के बच्चों को मेरी प्रतीक्षा होती है। इसीलिए मुझे शहरों से गाँवों तक, मकानों से झोंपड़ियों तक की यात्रा करनी पड़ती है, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी भी मासूम का दिल टूटे। इसी चाहत के लिए मैंने पहाड़ों से सड़कों तक का सफर करना स्वीकार किया और हर ऑंगन तक पहुँचने का प्रयास किया।

    मेरा और तुम्हारा स्नेह का बंधन काफी गहरा है। इसे यूँ ही विस्मृत नहीं किया जा सकता। इसी गहराई को ध्यान में रखते हुए आज मैं तुमसे क्रिसमस के इस पवित्र पर्व पर अपनी एक बात कहना चाहता हूँ- आज इतने सालों से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए, तुम्हारे सपनों में रंग भरते हुए, अब मैं काफी बूढ़ा हो चुका हूँ। शरीर थक चुका है और तुम सभी के विश्वास का बढ़ता दायरा मुझे पहले की तरह गर्वित करने के बजाए भयभीत कर रहा है। भय इतना गहरा है कि मैं हर क्षण इसी वेदना से पीड़ित रहता हूँ कि कहीं मेरी थकान तुम्हारे विश्वास पर हावी न हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो हमारा स्नेह बंधन केवल एक स्मृति बन जाएगा। इस घोर वेदना के बीच भी मैं तुमसे अपने मन की बात कह कर ही रहूँगा। इस बात को सुनना और उसे ग्रहण करना तुम्हारे लिए कितना फायदेमंद है, इसे तुम स्वयं ही महसूस करोगे।

    प्यारे बच्चो, तो मैं शुरू करता हूँ अपने और तुम्हारे हित की बात। मेरी बात ध्यान से सुनो... अब मैं तुम्हारी झोली में उपहारों की वर्षा करने नहीं आना चाहता। मैं चाहता हूँ कि हर साल मेरी प्रतीक्षा में ऑंखें बिछाने के बजाए तुम एक नई शुरुआत करो। स्वयं ही इस लायक बनो कि दूसरों से उपहार की अपेक्षा न रखो। तुम्हारा स्वावलंबी और स्वाभिमानी बनना तुममें तो आत्मविश्वास भरेगा ही, मुझे भी एक अनोखी खुशी देगा। तुम सभी आज की दुनिया के बच्चे हो। आज की दुनिया अर्थात नवीन टेक्नोलॉजी और स्वतंत्र विचारों से भरी हुई एक आधुनिक दुनिया। इस दुनिया में ज्ञान का अथाह सागर है जिसमें कम्प्यूटर और नेट की तरंगे उठती है। इन तरंगों में स्वयं को भिगोकर तुम स्वयं ही कई उपहार प्राप्त कर सकते हो। अपनी मेहनत के बल पर प्राप्त किया गया प्रत्येक उपहार अपने आपमें अनमोल होता है। इस बात को तुम उस समय महसूस करोगे, जब तुम स्वयं ही उसे प्राप्त कर लोगे।

    मीडिया और इंटरनेट का मायाजाल तुम्हें दिग्भ्रमित करने के लिए नहीं, बल्कि तुम्हें एक नई दिशा प्रदान करने के लिए है। इसलिए इसका सही उपयोग करो और अपने आपसे एक वादा करो कि कभी स्वयं को दिशाहीन होने नहीं दोगे, यदि कोई तुम्हारे सामने दिशाहीन होने लगे, तो उसे अपने सामर्थ्यनुसार सही रास्ते पर लाने का प्रयास करोगे। अपने आप से किया गया यह वादा ही तुम्हारा पहला उपहार है।

    ऐसा कहने की मेरी हिम्मत इसहलए हुई कि इन सालों में मैं कई विकलांग बच्चों से भी मिला हूँ । तुम्हें जानकर आश्चर्य होगा कि इन बच्चों में स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा हुआ है। ये बच्चे सितारों की जगमगाहट के साथ मेरी प्रतीक्षा नहीं करते, बल्कि हमेशा मुझे यही कहते हैं कि हमारे द्वार पर कभी उपहार लेकर न आना सांताक्लास। जब भी आना, तो केवल आशीर्वादों की जादुई छड़ी लेकर ही आना। जिसे पाने के बाद हमें और किसी उपहार की आवश्यकता ही नहीं है। केवल तुम्हारा आशीर्वाद ही हमारे लिए अमूल्य उपहार है। उनके विचारों का यह तेज मुझे चकाचौंध कर देता है। वे कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते। हमेशा अपने दम पर अपने जीवन में रंग भरने का प्रयास करते हैं। जब वे विकलांग होकर किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते, तो तुम क्यों मुझसे अपेक्षा रखते हो? मैं चाहता हूँ कि तुम भी इन्हीं बच्चों की तरह स्वावलंबी बनो। अपने जीवन में तुम स्वयं ही रंग भरो। अपने हिस्से का आकाश तुम स्वयं ही प्राप्त करो और उस पर अपनी कल्पनाओं को आकार दो।

    मेरी ये चाहत पूरी करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाओ मेरे प्यारे बच्चो। तुम्हारा एक-एक कदम मुझे एक-एक क्षण सुकून की ओर ले जाएगा। मेरे स्वाभिमानी बच्चों के बीच केवल आशीर्वादों की वर्षा करते हुए मुझे अद्वितीय खुशी होगी। इस बार मुझसे ये वादा करो कि तुम कभी भी मेरे सामने तो क्या किसी के भी सामने हाथ नहीं फैलाओगे। उपहारों की आशा के साथ जीने वाले दयनीय बच्चे न बन कर तुम सभी स्वाभिमान से ओतप्रोत तेजस्वी पुंज बनो। याद रखो, सच्ची खुशी किसी को कुछ देने में है, किसी से कुछ लेने में या माँगने में तो बिलकुल नहीं। तुम स्वयं इस धरती पर विधाता के द्वारा भेजा गया एक अनमोल उपहार हो। तुम्हें पाकर माता-पिता, समाज, देश और पूरा विश्व धन्य हो गया। जीवन में ऐसा काम करो कि ये सभी तुम पर गर्व करें।

    तुम ये न समझना कि ऐसा हो जाएगा, तो मैं तुम्हारे द्वार पर कभी नहीं आऊँगा। मेरा शरीर बूढ़ा हो गया है, किंतु मेरी आत्मा तो अभी भी तुम्हारी मासूमियत और चंचलता का प्रतिरूप है। इसका और थकान का दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं। इसलिए आत्मिक रूप से तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा। जब जब मुझे पुकारोगे- घंटियों की समधुर गूँज और जादुई छड़ी की जगमगाहट के साथ मैं तुम्हारे पास रहूँगा। मुझे महसूस करने और एक नई शुरुआत के लिए हमेशा तैयार रहना। तो अब मैं चलूँ बच्चो, अभी तुम्हारे जैसे कई बच्चों को इस तरह का संदेश देना है, चलता हूँ, कहीं देर न हो जाए....

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

     


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