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Main Section => Little Flowers of DwarkaMai => Topic started by: JR on April 09, 2007, 12:19:15 AM

Title: Buddhuram
Post by: JR on April 09, 2007, 12:19:15 AM
बुद्वूराम

एक आदमी था उसका नाम था बुद्वूराम ।  जब वह कमाधमाकर लौटा तो अपनी पत्नी से कहा, मैं विवाह के बाद कभी अपनी ससुराल नहीं गया, क्योंकि मैं कुछ करता धरता नहीं था ।  अब मैं इस लायक हो गया हूँ कि मैं अपनी ससुराल जा सकता हूँ ।

पत्नी बोली - अच्छा चले जाओ ।
पति ने कहा – लेकिन मैं रास्ता तो भूल गया हूँ, कैसे जाऊँ ।
पत्नी ने कहा – तुम यहाँ से सीधे नाक की सीध में जाओ पहुँच जाओगे ।
वह एकदम नाक की सीध में चला गया ।  रास्ते में एक बरगद का पेड़ पड़ा ।  उसने उसे डाँट कर कहा मेरे रास्ते से हट जा, नहीं तो तेरे ऊपर चढ़कर जाऊँगा ।  भला पेड़ क्यों हटता वह पेड़ पर चढ़ गया और उसकी जटा पकड़ कर लटक गया ।  सोचने लगा, कि अब उतरुँ कैसे, यदि कूदा तो लग जायेगी ।


इतने में एक राहगीर हाथी पर चढ़कर उस पेड़ के नीचे से गुजरने लगा ।  वह राहगीर से बोला अरे भाई, मुझे पेड़ से उतार लो ।  जो कहोगे वही करुँगा जो माँगो वही दूँगा ।  तुम्हारे हाथी, घोड़े धोऊँगा, पौछूंगा ।

राहगीर ने सोचा ठीक है इसे उतार लेते है ।  वह हाथी पर खड़ा हो गया और उसके पैर पकड़ कर उतारने लगा ।  तभी अभ्यासवश उसके मुँह से अगत-अगत शब्द निकल पड़े ।  इतना सुनते ही हाथी आगे बढ़ गया और दोनो लटक गये ।  दोनों लटके-लटके इन्तजार कर रहे थे कि कोई वहाँ से निकले, तो उससे उतारने का आग्रह करें ।  इतने में एक नर्तकी उधर से निकली ।  वह ताँगे पर सवार थी ।

वे दोनो बोल उठे, हमें उतार लो ।  जो कहोगी हम करेंगे, जो माँगोगी हम देंगें ।

नर्तकी ने सोचा कि चलो इन्हें उतार लेते है ।  वह ताँगे पर खड़ी हो गयी और नीचे वाले आदमी के पैर पकड़कर उतारने लगी ।  पर उसके मुँह से आदतन टिक-टिक शब्द निकलने लगा, जिसे सुनकर घोड़ा आगे बढ गया ।  इस प्रकार तीनों लोग लटक गये ।

बीच वाले आदमी ने कहा कि तुम तो नर्तकी हो कोई गाना गाओ ।

नर्तकी बोली पहले ऊपर वाले आदमी को गाने को कहो ।

बुद्घुराम ने कहा – मैं गाऊँगा तो पर तुम सँभले रहना ।  इस पर दोनों ने कहा हाँ हम सँभले रहेंगे ।

बुद्घूराम ने विरहा गाना शुरु कर दिया ।  विरहा गाते समय कान पर हाथ रखना जरुरी होता है ।  जैसे ही उसने कान पर हाथ रखने के लिये हाथ से जटा छोड़ी, तीनों धरती पर आ गिरे ।  ऊपर बुद्घूराम तो साफ बच गया, क्योंकि वह सबसे ऊपर था ।  बीच वाले को भी कम चोट आयी,  पर नर्तकी नीचे थी, उसका पैर टूट गया वह हाय हाय करने लगी ।  नर्तकी ने बुद्घू से अपने पैर पर मालिश करने के लिये तेल लाने को कहा ।

बुद्घू तेल लेने गया ।  तेल खरीदा तो कटोर भर गया ।  उसने बनिये से घलुआ (लुभाव) माँगा ।  बनिये ने कहा कि किसमें लोगे ।  बुद्घू ने तेल का कटोरा उलट दिया और उसके पेंदे में लुभाव ले लिया ।  वह तेल लेकर लौटा तो नर्तकी ने बोला कि इतने पैसे में सिर्फ इतना ही तेल आया ।

बुद्घू बोला – नहीं यह तो लुभाव है तेल तो यहाँ है ।  यह कहकर उसने कटोर उलट दिया और कहा तेल तो यहाँ है ।

नर्तकी ने कहा जाओ, तुम्हारी बुद्घि बलिहारी है ।  मैं तुम्हें अपने साथ नहीं रख सकती ।